नई दिल्ली, 2 जुलाई। भारतीय फुटबॉल कोचिंग में एक बड़ा बदलाव सामने आया है। राष्ट्रीय फुटबॉल टीम के मुख्य कोच मनोलो मारक्वेज ने बुधवार को अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (AIFF) के साथ आपसी सहमति के आधार पर अपना पद छोड़ दिया। यह फैसला ऐसे समय में लिया गया है जब टीम हाल के महीनों में लगातार खराब प्रदर्शन के चलते आलोचनाओं के घेरे में थी।
आपसी सहमति से हुआ निर्णय
एआईएफएफ की कार्यकारी समिति की बैठक में इस फैसले पर मुहर लगाई गई। जानकारी के मुताबिक, मारक्वेज ने खुद ही पद छोड़ने की इच्छा जताई थी, जिसे संघ ने स्वीकार कर लिया। जबकि उनका अनुबंध जून 2026 तक था, लेकिन खराब नतीजों के बीच उन्होंने समय से पहले हटने का विकल्प चुना।
एआईएफएफ के उप महासचिव के सत्यनारायण ने इस फैसले की पुष्टि करते हुए कहा कि आईएफएफ और मनोलो मारक्वेज के बीच आपसी सहमति से, बिना किसी वित्तीय प्रभाव के, अलग होने का निर्णय लिया गया है। उन्हें भारत की सीनियर पुरुष टीम के कोच पद से मुक्त कर दिया गया है। जल्द ही इस पद के लिए आवेदन आमंत्रित किए जाएंगे।
मारक्वेज के कार्यकाल का प्रदर्शन
स्पेन के अनुभवी कोच मनोलो मारक्वेज को जून 2024 में भारत की पुरुष राष्ट्रीय टीम का कोच बनाया गया था। उनसे टीम के प्रदर्शन को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की उम्मीद की जा रही थी। हालांकि, उनकी कोचिंग में भारत का प्रदर्शन अपेक्षाकृत कमजोर रहा। भारत ने उनके नेतृत्व में खेले गए 8 मुकाबलों में केवल 1 जीत दर्ज की। बाक़ी मैचों में या तो हार मिली या ड्रा हुए, जिससे टीम की रैंकिंग और आत्मविश्वास दोनों पर असर पड़ा।
हाल के फीफा विश्व कप क्वालिफायर और अन्य अंतरराष्ट्रीय मैचों में टीम की रणनीति और प्रदर्शन दोनों को लेकर सवाल उठे। कई पूर्व खिलाड़ियों और विश्लेषकों ने भी बदलाव की मांग की थी।
आगे क्या?
अब एआईएफएफ के सामने सबसे बड़ी प्राथमिकता है नए मुख्य कोच की नियुक्ति। इसके लिए जल्द ही आधिकारिक तौर पर आवेदन मंगवाए जाएंगे। संघ ऐसे कोच की तलाश में है जो टीम इंडिया को न केवल तकनीकी दिशा दे सके, बल्कि युवा खिलाड़ियों के साथ काम करने का अनुभव भी रखता हो। मारक्वेज का जाना भारतीय फुटबॉल में एक बदलाव की शुरुआत के तौर पर देखा जा रहा है। अब देखना होगा कि अगला कोच टीम को कितनी मजबूती से आगे ले जा पाता है।
भारतीय फुटबॉल को नई दिशा की तलाश
मारक्वेज का कार्यकाल भले ही उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा, लेकिन इससे सीख लेकर एआईएफएफ को भविष्य की रूपरेखा तैयार करनी होगी। खासतौर से जब भारतीय फुटबॉल युवा प्रतिभाओं से भरा हुआ है और अंतरराष्ट्रीय मंच पर खुद को स्थापित करने की कोशिश कर रहा है।