कुंदन श्रीवास्तव, प्रमुख संवाददाता
स्पेक्टेटर्स के चेहरे पर गहराती चिंता की लक़ीरें, उस वक़्त तो जायज ही थे जब मध्यांतर के समय स्टेडियम में टंगे स्कोर बोर्ड पर 0-0 का स्कोर लाईन उदास-ख़ामोश टिमटिमाते नज़र आ रहे थे। अच्छे खेल के बावज़ूद भी स्कोर न कर पाने का मलाल डग आउट में बैठीं खिलाड़ियों के उपर साफ-साफ दिखाई भी दे रहा था तो फिक्र में डूबे भारतीय टीम के थिंक टैंक भी अपने आगे की रणनीति बनाने में मसरूफ नज़र आ रहे थे।
हजारों-हजार की तादाद में अपने हांथों में तिरंगा लिए तीनों जेनेरेशन की नुमाइंदगी करते लोग कैसे चार्ज्ड नहीं होती भारतीय खिलाड़ी। अचानक झुमती भारतीय खिलाड़ियों को ताल में ताल मिलाते देख सारा का सारा स्टेडियम एकबारगी मस्ती में झूम उठा। सबको समझ में आ चुका था हिन्दुस्तानी छोरियों ने गोल का खाता खोल दिया है। ये सब इतनी रफ़्तार से हुआ कि किसी को गोल होने का पता भी नहीं चला। मग़र संगीता कुमारी को तो यह पता था कि भारत का यह पहला गोल उनके स्टिक के डिफलेक्शन से ही आया है।
महज दिशा दिखा कर पलक झपकते मैच की दशा बदल कर रख दी थी संगीता ने। एक गोल की बढ़त और स्टेडियम में थिरकते लोग भला भारतीय शेरनियां ख़ामोश कैसे रह पातीं। देखते ही देखते भारत का दूसरा गोल भी आ गया।
प्रीति दूबे द्वारा बनाई गेंद को भारतीय कप्तान सलीमा टेटे ने अपनी स्टिक से दिशा दिखाते हुए अपनी टीम के लिए दूसरा गोल स्कोर कर दिया। इन दो दनदनाते गोलों के बावज़ूद चीनी लाल परी कहां पस्त होने वाली थीं ? चीनी खिलाड़ियों ने गोल करने की पुरकश कोशिशें भी कीं मगर आज का दिन तो भारत का था और आला दर्ज़े का खेल ड्रैगन से कहीं बेहतर भारत की शेरनियों का रहा जिसने मैच के आख़िरी सेकेंड में एक और गोल दाग कर मैच को 3-0 पर सील कर दिया।
भारत के लिए तीसरा गोल हिसार ( हरियाणा) की दीपिका ने किया, जिसके नाम पहले से ही इस चैंपियनशिप में किए गए सात गोल हैं।
चतुर-चलाक चीन भारत के माइंड गेम के इस चौसर खेल में परास्त हो चुका था और अब तक इस चैंपियनशिप के प्वाइंट्स टेबल पर सर ए फ़ेहरिस्त रहने वाली चीन को भारत के लिए जगह खाली कर दूसरे पायदान पर खिसक जाना पड़ा। लेकिन इतनी तो दाद चीन की टीम के खिलाड़ियों को भी मिलनी चाहिए जिसने आख़िरी दम तक भारतीय खिलाड़ियों के नाक में दम करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी।
51 फ़ीसदी के मुक़ाबले 49 फ़ीसदी बॉल पोजीशन चीनी खिलाड़ियों के आख़िरी दम तक भारत को बेदम रखने की कहानी कहता है। इस मैच में फिर से पेनाल्टी कॉर्नर कनवर्जन की वही कमज़ोरी जो पहले मैच से ही दिखने लगे थे भारत के गोल इजाफ़े और बड़ी जीत में ख़लल डाल रहे हैं।
आज मिले 5 पेनाल्टी कॉर्नर में से सिर्फ़ एक को गोल में कन्वर्ट कर पाया भारत। हेड कोच हरेंद्र भी इसके लिए बेशक़ फ़िक्रमंद होंगे।
3-0 का आख़िरी स्कोर लाईन वो भी उस टीम के खिलाफ़ जिसके दामन में ओलंपिक सिल्वर मेडल पहले से चमक-दमक रहे हों आने वाले दिनों में भारतीय हॉकी टीम के खिलाड़ियों का हौसला तो बढ़ाएंगी ही साथ ही साथ राजगीर और इसके इर्द-गिर्द के इलाक़े के छोरे-छोरियों को भी हॉकी स्टिक थामने के लिए प्रेरित करेंगी।
भारत के इस जीत के जश्न में भला कौन शरीक़ नहीं होना चाहेगा ? भारतीय हेड कोच हरेंद्र सिंह के बिलेटेड बर्थडे का इससे बेहतर और सौग़ात भला क्या हो सकता है जिसे जीत का ऐसा शानदार नज़राना उनकी अपनी ही टीम की छोरियों ने दीं हैं।