कटिहार, 1 अक्टूबर। कटिहार जिला के क्रिकेट प्रेमी रितेश कुमार ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) से अपील की है कि बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के मामले में आप नींद से जागिए वरना बिहार का क्रिकेट रसातल में चला जायेगा। यहां काम रही आपकी यूनिट के पदाधिकारियों को नियमों से कोई मतलब नहीं है। असंवैधानिक कार्यों को करने में ये माहिर हो चुके हैं और भ्रष्टाचार का बोलवाला है।
उन्होंने प्रेस रिलीज जारी कर कहा है कि बीसीसीआई के सारे ऑफिशल्स देख लीजिए बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष का कारनामा। पहले तो अपने वेबसाइट पर 6 अगस्त को इस सीजन के लिए सेलेक्टर्स सपोर्ट स्टाफ के लिए बड़ी ही धूमधाम से विज्ञापन निकलते हैं। पूर्व भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी राजेश चौहान, गणेश डोडा तथा प्रथम श्रेणी क्रिकेटर बिहार के 100 मैच खेलने वाले सुनील कुमार तथा उज्जवल दास जैसे नामचिन क्रिकेट खिलाड़ी अपना इंटरव्यू बीसीए के कार्यालय में उपस्थित होकर दे देते हैं लेकिन इन सबसे ऊपर वरीयता किसको दी जाती है तथा उनको चुन भी लिया जाता है।
जिन चयनकर्ताओं की नियुक्ति बीसीए ने किया उनका प्रोफ़ाइल राजेश चौहान, गणेश डोडा एवं उज्जवल दास जैसे खिलाड़ी से बड़ा है क्या। एक बात और है लोढ़ा कमेटी के हिसाब से बिहार क्रिकेट एसोसिएशन में इन पदों पर चुनाव के लिए कोई भी सीएससी नहीं बना है, जिसकी जांच होनी चाहिए। इन धुरंधरों को हटाकर किस प्रकार उन लोगों को वैल्यू दी जाती है तथा उनका चुनाव भी कर लिया जाता है।
इस सबों से अलग दुख इस बात का है कि आप इसके पैरेंट बॉडी हैं और अभी तक मौन धारण। क्या बीसीसीआई की भी इसमें मिलीभगत है क्या। बिहार क्रिकेट एसोसिएशन बिहार के क्रिकेट के विकास के लिए खिलाड़ियों के भविष्य के लिए थोड़ा भी सीरियस नहीं है। एक बात और कहना है करोड़ों में बीसीसीआई बिहार क्रिकेट को फंड दे रही है क्रिकेट के विकास के नाम पर। क्या कभी भी उसका हिसाब ले रही है। बीसीसीआई से क्रिकेट खिलाड़ियों और क्रिकेट इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए जो पैसा आ रहा है वह कहां जा रहा है। अगर आप थोड़ा भी सीरियस हैं तो जिस ऑडिट कंपनी को बीसीसीआई ने बहाल किया है उसको बिहार भेज कर बिहार क्रिकेट एसोसिएशन का अकाउंट की जांच कर ले क्योंकि बीसीसीआई की चुप्पी बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष को एक निरंकुश शासक के रूप में स्थापित कर रहा है।
गौरतलब है कि रितेश कुमार कटिहार जिला क्रिकेट संघ के सचिव के पद पर कार्यरत हैं पर जिस संघ से ताल्लुक रखते हैं उसे वर्तमान समय में बिहार में क्रिकेट का संचालन कर रहा बिहार क्रिकेट एसोसिएशन मान्यता नहीं दे रखा है। वे बिहार क्रिकेट संघ को लेकर कोर्ट का दरवाजा भी खटखटा चुके हैं।