नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व दिग्गज राहुल द्रविड़ को यह स्वीकार करने में कोई दिक्कत नहीं कि वह जिस तरह से धीमी बल्लेबाजी करते थे उसे देखते उनके लिए आज के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में बने रहना मुश्किल होता लेकिन इसके साथ ही उनका मानना है कि रक्षात्मक तकनीकी का अस्तित्व बना रहेगा भले ही इसका महत्व कम होता जा रहा है।
द्रविड़ ने कहा कि विराट कोहली और रोहित शर्मा जैसे बल्लेबाजों ने एकदिवसीय क्रिकेट में नए प्रतिमान स्थापित कर दिए हैं लेकिन टेस्ट क्रिकेट में चेतेश्वर पुजारा जैसे बल्लेबाज की हमेशा जरूरत रहेगी। जहां तक उनकी खुद की बात है तो उन्हें रक्षात्मक कहलाने में गुरेज नहीं क्योंकि वह शुरू से ही टेस्ट खिलाड़ी बनना चाहते थे।
द्रविड़ ने पूर्व भारतीय खिलाड़ी संजय मांजरेकर के साथ ईएसपीएनक्रिकइन्फो वीडियोकास्ट में कहा, ‘अगर इसका मतलब लंबे समय तक क्रीज पर बने रहना या गेंदबाजों को थकाना या मुश्किल परिस्थितियों में नई गेंद की चमक खत्म करना है ताकि बाद में खेलना आसान हो सके तो मैं ऐसा करता था।’
टीम इंडिया की ‘द वॉल’ कहे जाने वाले राहुल द्रविड़ को अपना कैरियर बेस्ट टेस्ट स्कोर जड़ने से पहले ही यह अहसास हो गया था कि वह रावलपिंडी के मैदान पर अपने कैरियर की बड़ी पारी खेलेंगे। द्रविड़ ने यह पारी खेलने से पहले इसका ऐलान भी कर दिया था। द वॉल ने चिर-प्रतिद्वंदी पाकिस्तान के खिलाफ यहां सीरीज के इस निर्णायक टेस्ट में 270 रन की मैच और सीरीज विनिंग पारी खेली।
उन्होंने कहा, ‘मैं इसे अपनी भूमिका के तौर पर देखता था और मुझे इस पर गर्व है। इसका मतलब यह नहीं है कि मैं वीरेंदर सहवाग के जैसे बल्लेबाजी नहीं करना चाहता था या उस तरह से शॉट नहीं खेलना चाहता था लेकिन हो सकता है कि मेरा कौशल अलग तरह का हो। मेरा कौशल प्रतिबद्धता और एकाग्रता से जुड़ा था और मैंने इस पर काम किया।’
इस पूर्व कप्तान ने इसके साथ ही कहा कि वह 300 से अधिक वनडे में खेले जिसका मतलब है कि उनकी भूमिका केवल विकेट बचाये रखने तक ही सीमित नहीं थी। द्रविड़ ने कहा, ‘निश्चित तौर पर मैं जिस तरह से बल्लेबाजी करता था अगर आज के दिनों में वैसी बल्लेबाजी करता तो मैं (टीम में) टिक नहीं पाता। आज का स्ट्राइक रेट देखो। वनडे क्रिकेट में मेरा स्ट्राइक रेट सचिन या वीरू जैसा नहीं था लेकिन तब हम उसी तरह से क्रिकेट खेला करते थे।’
उन्होंने कहा, ‘मैं अपनी तुलना कोहली या रोहित शर्मा से नहीं कर सकता हूं क्योंकि उन्होंने वनडे के प्रतिमानों को एक नए स्तर पर पहुंचा दिया है। लेकिन ईमानदारी से कहूं तो मैं एक टेस्ट खिलाड़ी बनने की सोच के साथ आगे बढ़ा था।’
क्रिकेट अब बड़े स्कोर वाला खेल बन गया है लेकिन द्रविड़ ने कहा कि रक्षात्मक बल्लेबाजी से किसी को खेल के सर्वश्रेष्ठ प्रारूप (टेस्ट) में कड़े स्पैल और मुश्किल परिस्थितियों से बाहर निकलने में मदद मिलती है।