पटना। बिहार क्रिकेट जगत में यह सवाल जोरों से चर्चा यह है कि धीरज कुमार ने क्यों सहायक कोच पद से इस्तीफा दे दिया। विजय हजारे ट्रॉफी और सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी तक बने रहे पर आखिर क्या जो इस्तीफा दे दिया।
लोगों में यह चर्चा है कि जब धीरज कुमार सहायक कोच थे तो अशोक कुमार की नियुक्ति क्यों की गई। लोगों का कहना है कि पहले सीनियर टीम में निखिलेश रंजन और धीरज कुमार मौजूद थे। निखिलेश रंजन ने कुल 37 रणजी ट्रॉफी मैच खेले हैं। साथ ही वे लेवल ए कोच हैं। धीरज कुमार ने 21 रणजी ट्रॉफी खेले हैं। उन्हें मुख्य रूप गेंदबाजी कोच में टीम के साथ रखा गया था।
लोगों का कहना है कि जब ये दोनों थे तो ऐसा क्या सुधार करना था जो अशोक कुमार को लाया गया। अशोक कुमार ने एक रणजी ट्रॉफी खेली है और लेवल ए कोच हैं। वे पिछले सत्र में बिहार अंडर-19 टीम के कोच थे। इस वर्ष भी उन्हें अंडर-19 टीम का कोच नियुक्त किया गया था पर बीसीसीआई की सुपरवाइजरी कमेटी ने उन्हें हटा कर सुनील कुमार को यह जिम्मेवारी सौंप दी।
लोगों का कहना है कि जस्टिस आर एम लोढा समिति के संविधान के अनुसार किसी भी चयनकर्ता और सपोर्ट स्टाफ के नियुक्ति के लिए आवेदन मांगा जाता है। क्या इसके लिए कोई आवेदन माँगा गया? अगर आवेदन मांगा गया तो कहां और कैसे माँगा गया? अगर आवेदन माँगा गया तो आवेदन कर्ता को साक्षात्कार के लिए बुलाया गया? आखिर किस आधार पर उनकी नियुक्ति हुई।