पटना। सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति (सीओए) ने मंगलवार को अपनी एडवाइजरी जारी करते हुए ऐसे पूर्व खिलाड़ियों के राज्य संघों या बोर्ड में पदाधिकारी बनने/होने को लेकर भ्रम को स्पष्ट करते हुए कहा है कि पूर्व खिलाड़ी अगर, बैंक, विश्वविद्यालय, राज्य/केंद्र सरकार, अर्धसरकारी संस्थाओं में नौकरी कर रहे हैं या स्पोट्र्स कोटा के तहत उनकी नियुक्ति हुई है तो उन्हें राज्य संघों या बीसीसीआई में पदाधिकारी होने या बनने पर कोई रोक नही है।
उल्लेखनीय है कि बीसीए (गोपाल बोहरा गुट) पर आरोप लगा था कि 15/17जनवरी, 2017 को एकतरफा निर्णय लेते हुए राम कुमार और डॉ सैयद मुमताज़ुद्दीन को क्रमश: कोषाध्यक्ष और उपाध्यक्ष के पद से हटा दिया गया था, जबकि दोनों माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश से हुए बीसीए के चुनाव में 23 सितंबर,2015 को निर्वाचित हुए थे।
15 जनवरी, 2017 के बीसीए के सीओएम मीटिंग के निर्णय के अनुसार सभी तत्कालीन पदाधिकारियों ने अपना एफिडेविट भी भेजा था और बीसीसीआई द्वारा कोई स्पष्टीकरण आने से पूर्व ही इन दोनों को पदच्युत कर दिया गया था। बीसीसीआई के एडवाइजरी के बाद बीसीए (गोपाल बोहरा गुट) को इस संदर्भ में असहज स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। डॉ मुमताजुद्दीन और राम कुमार पूर्व रणजी खिलाड़ी हैं।