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Commonwealth Games 2022 : रोनाल्डो और डेविड बेकहम से है भारत को साइकिलिंग में मेडल की उम्मीदें

by Khel Dhaba
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बर्मिंघम में होने वाले राष्ट्रमंडल खेल 2022 में भारत की तरफ से रोनाल्डो और डेविड बेकहम एक अरब सपनों के लिए साइकिल चलाएंगे। यह पढ़ कर या जान कर बहुत सारे खेल प्रशंसक भ्रमित हो गये होंगे। यह कैसे हो सकता है। दुनिया रोनाल्डो, वह चाहे क्रिस्टियानो हों या लुइस नाजारियो डी लीमा और डेविड बेकहम दोनों को विश्व फुटबॉल के प्रतीक के रूप में जानती है और यहां साइकिल चलाने की बात हो रही है वह भारत की ओर से राष्ट्रमंडल खेलों में।

दरअसल बात यह है कि रोनाल्डो और बेकहम के जैसे नाम वाले भारत में दो साइकिलिस्ट हैं, जिनका नाम रोनाल्डो लाईतोंजम सिंह और डेविड बेकहम है। हालांकि इन दोनों का फुटबॉल से रिश्ता बहुत दूर का है।

इन दोनों युवाओं ने भारतीय साइकिलिंग में हालिया समय में खूब नाम कमाया है। ये दोनों बर्मिंघम 2022 में होने जा रहे राष्ट्रमंडल खेल में भारत के लिए मेडल उम्मीद माने जा रहे हैं। आइए डालते हैं, इन साइकिलिस्ट पर एक नजर

भारतीय साइकिल चालक रोनाल्डो सिंह

भारत के पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर के रहने वाले रोनाल्डो सिंह का जन्म 22 जून 2002 को हुआ था। मजे की बात यह है कि उनका नाम न तो पुर्तगाली स्टार क्रिस्टियानो रोनाल्डो से और न ही ब्राजील के स्टार स्ट्राइकर रोनाल्डो डी लीमा से प्रेरित है। उनका नाम ब्राजील के एक अन्य महान फुटबॉल खिलाड़ी रोनाल्डिन्हो गौचो के नाम पर रखा गया था।

यद्यपि विश्व फुटबॉल में रोनाल्डिन्हो के रूप में लोकप्रिय हो गए, लेकिन यह बहुत कम लोगों को पता है कि रोनाल्डिन्हो गौचो का असली नाम रोनाल्डो डी असिस मोरेरा है। उनके छोटे कद (पुर्तगाली में इनहो का अर्थ छोटा) और उनके पूरे कैरियर में नाम अटकने के कारण उन्हें एक बच्चे के रूप में रोनाल्डिन्हो का उपनाम दिया गया था।

रोनाल्डो सिंह के नामकरण की कहानी उनके जन्म से एक दिन पहले 21 जून 2002 को शुरू हुई थी। उस दिन जापान के शिज़ुओका स्टेडियम में 2002 फीफा विश्व कप के क्वार्टर-फाइनल में स्वेन-गोरान एरिकसन की इंग्लैंड का सामना ब्राजील से था।

यह मैच फुटबॉल इतिहास में रोनाल्डिन्हो की प्रतिष्ठित फ्री-किक के लिए प्रसिद्ध है, जिसने इंग्लैंड के गोलकीपर डेविड सीमैन को पीछे छोड़ दिया और ब्राजील को जीत दिलाई। यह आज तक के फुटबॉल इतिहास में सबसे यादगार गोल में से एक है।

उस समय सीआरपीएफ (केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल) के जवान रोबेन सिंह जो रोनाल्डो सिंह के पिता है, कश्मीर के श्रीनगर में तैनात थे और अपने साथियों के साथ मैच देख रहे थे। जैसे ही रोनाल्डिन्हो को अपनी फ्री किक मिली, उसी वक्त रोबेन ने दांव लगाया कि ये गोल होगा।

जैसे ही कहानी आगे बढ़ती है, ठीक उसी समय गेंद जाल को जा चीरती है, तभी टेलीफोन की घंटी बजती है और रोबेन सिंह को पता चला कि उनकी पत्नी लगभग 2,000 किमी दूर अपने गृहनगर इम्फाल में प्रसव पीड़ा में हैं।

रोनाल्डो सिंह ने द हिंदू के साथ एक साक्षात्कार के दौरान चुटकी लेते हुए कहा, “जैसे ही गेंद गोल में गई, मुझे लगता है कि मेरे पिताजी ने उस दिन कुछ पैसे जीते थे। शायद इसीलिए मुझे यह नाम मिला। उन्हें लगा कि मैं उनके लिए बहुत भाग्यशाली हूं।”

अपने नाम के फुटबॉल कनेक्शन और मणिपुर के भारतीय फुटबॉल के लिए हब होने के बावजूद, रोनाल्डो सिंह ने कभी भी खेल के प्रति काफी गर्मजोशी नहीं दिखाई और स्वीकार किया कि वह एक गेंद को ठीक से किक भी नहीं कर सकते।

इसके बजाय उन्होंने अपने गृहनगर में प्रतिभा खोज प्रतियोगिता के दौरान 14 साल की उम्र में साइकिल को चुनने से पहले डाइविंग, जिम्नास्टिक, तैराकी और यहां तक ​​कि थोड़ा ब्रेक डांसिंग जैसे कई अन्य चीजों में हाथ आजमाया।

उनका चयन हो गया और उन्हें अपनी पहचान बनाने में देर नहीं लगी। 17 साल की उम्र में रोनाल्डो सिंह ने जर्मनी में 2019 विश्व जूनियर साइकिलिंग चैंपियनशिप में पुरुषों की टीम स्प्रिंट में वाई रोजित सिंह, जेमश सिंह और एसो अल्बान के साथ मिलकर स्वर्ण पदक जीता। यह साइकिलिंग की दुनिया में जूनियर या सीनियर स्तर में भारत का पहला स्वर्ण पदक था।

दक्षिण कोरिया में एशियाई ट्रैक साइक्लिंग चैंपियनशिप 2019 में जूनियर पुरुषों की केरिन स्वर्ण जीतने के बाद उनकी निजी तौर पर प्रशंसा भी हुई। उसी साल बाद में रोनाल्डो सिंह कीरिन व्यक्तिगत स्प्रिंट और टाइम ट्रायल यानी साइकिलिंग में तीनों व्यक्तिगत स्प्रिंट इवेंट में जूनियर वर्ल्ड नंबर 1 बन गए। रोजित सिंह के साथ, रोनाल्डो ने जूनियर टीम स्प्रिंट के लिए यूसीआई (यूनियन साइक्लिस्ट इंटरनेशनेल) रैंकिंग में भी शीर्ष स्थान हासिल किया।

हालांकि उनकी प्रगति COVID-19 महामारी के चलते रुक गई। रोनाल्डो सिंह ने 2022 में फिर से सुर्खियां बटोरीं, वह नई दिल्ली में हुए पुरुषों के एलीट स्प्रिंट में दूसरे स्थान पर रहने के बाद एशियाई ट्रैक साइक्लिंग चैंपियनशिप में व्यक्तिगत रजत पदक जीतने वाले पहले भारतीय वरिष्ठ साइकिल चालक बन गए।

रोनाल्डो सिंह ने पुरुषों के 1 किमी टाइम ट्रायल में भी कांस्य पदक जीता और महाद्वीपीय मीट में पुरुषों की टीम स्प्रिंट में भारत को कांस्य पदक दिलाने में मदद की। इसी इवेंट मे उन्होंने 9.46 सेकंड का समय निकालकर पुरुषों की 200 मीटर फ्लाइंग टाइम ट्रायल सेट कर दिया। पहली बार किसी भारतीय ने इस श्रेणी में 10 सेकंड से कम समय निकाला था।

भारतीय साइकिल चालक डेविड बेकहम
भारत के दक्षिणी भाग अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के डेविड बेकहम ने गुवाहाटी, असम में आयोजित खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2020 में अंडर -17 लड़कों की श्रेणी में कई स्वर्ण पदक जीतने के बाद लोकप्रियता हासिल की।

रोनाल्डो सिंह से एक साल छोटे डेविड बेकहम ने 2017 में ही इस खेल में करियर बनाया और अभी भी पेशेवर साइकिलिंग में अपना रास्ता तलाश रहे हैं।

साल 2021 में डेविड बेकहम ने पुर्तगाल में एक मीट में अपना पहला अंतरराष्ट्रीय पदक क्रमशः स्प्रिंट और कीरिन में एक स्वर्ण और एक रजत जीता। वह रोनाल्डो के साथ भारतीय टीम स्प्रिंट टीम का भी हिस्सा थे, जिसने एशियन ट्रैक साइक्लिंग चैंपियनशिप 2022 में कांस्य जीता था।

डेविड का पूरा परिवार मैनचेस्टर यूनाइटेड और रियाल मैड्रिड के पूर्व विंगर डेविड बेकहम का बहुत बड़ा प्रशंसक है और यही वजह रही कि उन्होंने उनका नाम इंग्लिश विंगर के नाम पर रखने का फैसला किया।

हालांकि, रोनाल्डो सिंह के विपरीत डेविड बेकहम एक बड़े फुटबॉल प्रशंसक हैं और यहां तक कि वह भारत की शीर्ष अंतर-विद्यालय फुटबॉल प्रतियोगिता सुब्रतो कप में खेल भी चुके हैं। उन्होंने अपने दादा के कहने पर साइकिल चलाना शुरू किया।

डेविड बेकहम ने 2004 में सुनामी के दौरान अपने पिता को खो दिया था और 10 साल बाद संक्रमण के कारण उनकी मां का निधन हो गया था। वह 11 साल की उम्र से अपने दादा के साथ रह रहे हैं।

साभार : https://olympics.com/

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