पटना। बिहार के इस दिग्गज हस्ती के लिए खेल ही सबकुछ है। पहले प्लेयर और फिर खेल प्रशासक के रूप में चमका। न केवल क्रिकेट बल्कि अन्य खेलों में अच्छी भागीदारी रही। खेल ही सबकुछ इसीलिए कहा जा रहा है क्योंकि इस शख्स ने अपना सर्वस्व खेल के लिए ही न्योछावर कर दिया है बल्कि यहां तक कि एक क्रिकेट मैच के लिए अपनी शादी की तय तारीख को त्याग दिया और मैच को प्रमुखता देते हुए टीम को चैंपियन बनाया। प्रशासक के रूप में बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के सचिव व कोषाध्यक्ष रहे। साथ-साथ बेसबॉल संघ से लेकर बिहार ओलंपिक संघ में पदाधिकारी के रूप में काम किया। जी हां, आपने सही कहा हम बात कर रहे हैं बिहार खेल जगत की दिग्गज हस्ती अजय नारायण शर्मा की। तो आइए उनके जन्मदिन पर जानते हैं उनके बारे में-
राजधानी पटना के चौधरी टोला इलाके में रहने वाले अजय नारायण शर्मा के घर में खेल का माहौल पहले से कायम था। उनके पिता स्व. कुमार नारायण शर्मा भारतीय वॉलीबॉल टीम के सदस्य रहे और उन्होंने मास्को में वर्ष 1956 में गई भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया। बचपन में घर में आंगन में खेलने का माहौल था। प्रतिदिन क्रिकेट नहीं खेलने पर बड़े भाई जय नारायण शर्मा से पिटाई भी पड़ती थी।
वर्ष 1964 में एक फ्रेंडली मैच से क्रिकेट खेलने सही तरीके से शुरुआत की। यह मैच गुलजारबाग और मंगल तालाब मैदान पर खेले गए थे। इसके बाद पटना जिला क्रिकेट लीग खेला और 1966 में डिस्ट्रिक्ट टीम में जगह पक्की की। वर्ष 1968 में धनबाद के खिलाफ सात विकेट हासिल कर अजय नारायण शर्मा सुर्खियों में आ गए।
धनबाद की टीम में उस समय दलजीत सिंह, रॉबिन मुखर्जी, अंजन भट्टाचार्य जैसे नामी खिलाड़ी थे। कॉलेज में पढ़ाई के दौरान भी क्रिकेट खेलते रहे। 1975 में पटना यूनिवर्सिटी की ओर से खेलना शुरू किया और बेहतर परफॉरमेंस किया। इंटर यूनिवर्सिटी के दौरान दिग्गज खिलाड़ियों मोहिंदर अमरनाथ, मनोज प्रभाकर, माइकल डालवी आदि के साथ खेलने का मौका मिला।
सत्र 1977-78 में विजी ट्रॉफी इंटर यूनिवर्सिटी क्रिकेट टूर्नामेंट में खेलने वाली ईस्ट जोन टीम के कप्तान बने। ईस्ट जोन टीम में गौतम चटर्जी, नीलकमल, भारतीय टीम के पूर्व चयनकर्ता प्रणव राय भी थे। वहीं बेस्ट जोन की टीम में उस समय संदीप पाटिल, अंशुमन गायकवाड जैसे खिलाड़ी थे। साउथ जोन की टीम में शिवलाल यादव और अब्दुल कयूम थे। तीन बार रणजी टीम के संभावितों में चयन हुआ पर एकादश में जगह नहीं मिल पायी। बिहार अंडर-19 टीम में जगह मिली पर कुछ खास परफॉरमेंस नहीं रहा। 1970 के दशक में उन्होंने 1000 रन और 100 विकेट भी लिया था।
पढ़ाई के दौरान वे जयप्रकाश नारायण आंदोलन में सक्रिय रूप से जुड़े। इनके बारे में आज भी लोग याद करते हैं कि स्टूडेंट से लदी राज्य ट्रांसपोर्ट की बस इंजीनियरिंग कॉलेज से सचिवालय तक स्टूडेंट्स को बिठाकर खुद चला कर पहुंचाते थे। आंदोलन में जेल भी गये परंतु इनके मन में क्रिकेट का जुनून कभी खत्म नही हुआ और हमेशा क्रिकेट खेलने में सक्रिय रहे। 1977 -78 में पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के चुनाव में क्रीड़ा सचिव के पद पर चुने गए।
खेल के आयोजन से इनका जुड़ा खिलाड़ी रहते हुए हो गया था। राजधानी में होने वाले खेल आयोजन में वे बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते थे। ये बेसबॉल फेडरेशन ऑफ इंडिया के फाउंडर मेंबर रहे। बिहार बेसबॉल संघ और सॉफ्ट संघ के सचिव रहे। इनका ओलंपिक संघ सहित अन्य खेल संघों के साथ रहा।
बिहार बंटबारे के बाद बने बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के सचिव रहे। बिहार के क्रिकेट की राजनीति में इन दिनों काफी उथल-पुथल होती रही पर वे बिहार क्रिकेट एसोसिएशन को एकजुट रखने का भूरा प्रयास किया। वर्ष 2015 तक सचिव और कोषाध्यक्ष के पद पर रहे।
पटना में हुए वल्र्ड कप क्रिकेट मैच में वे आयोजन समिति के सहायक सचिव बने। इसी साल वे बिहार रणजी टीम के चयनकर्ता बने। 1996 से 2000 के बीच में एम एस धौनी जैसे खिलाड़ी का भी चयन किया। 2008 में वे पटना जिला क्रिकेट संघ के सचिव बने। संयुक्त बिहार क्रिकेट संघ में अपनी भूमिकाओं के अलावा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेसबॉल की भारतीय टीम के प्रबंधक और संघ के नीति नियंता के रूप में भी अग्रणी पंक्ति में रहे हैं। आज भी बिहार क्रिकेट जगत में इनका पहला एक स्थान है।
अब चर्चा उस शादी के दिन की
बात 14 जनवरी, 1976 की है। 14 जनवरी को शादी की तारीख तय की गई। मुजफ्फरपुर में कोर्ट मैरेज के द्वारा यह शादी होनी थी। मुजफ्फरपुर कोर्ट में मधु शर्मा ( उनकी पत्नी) के माता-पिता ने कोर्ट में सारी तैयारी कर ली थी पर अजय नारायण शर्मा नहीं आये। मधु शर्मा के माता-पिता कहने लगे और प्रेम विवाह कीजिए देखो लड़का ही भाग गया। माता-पिता की बातों से मधु शर्मा भी डर गईं। 16 जनवरी की शाम अजय नारायण शर्मा पहुंचे। उन्होंने अपनी सारी बात बताईं। उन्होंने कहा कि जब कोर्ट मैरेज से शादी होनी है तो 14 नहीं 17 जनवरी को होगी और फिर 17 जनवरी मधु शर्मा और अजय नारायण शर्मा परिणय सूत्र में बंध गए।
14 जनवरी को शादी के लिए वे क्यों नहीं आये इसका कारण भी गजब है। मधु शर्मा बताती हैं कि दरभंगा के मेडिकल कॉलेज में चल रहे एक आमंत्रण क्रिकेट टूर्नामेंट वे (अजय नारायण शर्मा) व्यस्त थे। टीम रोज मैच जीतती जा रही थी, ऐसे में टीम का साथ छोड़ना अंसभव लग रहा था और अंतत: जब टीम चैंपियन बनी और अजय नारायण शर्मा शादी करने पहुंच गए। मधु शर्मा और अजयनारायण शर्मा की पहली मुलाकात सायंस कॉलेज में चल रहे इंटर यूनिवर्सिंटी मैच के दौरान हुई थी।
अजय नारायण शर्मा वर्तमान समय में पटना जिला क्रिकेट संघ के सचिव पद पर कार्यरत हैं। साथ ही बिहार क्रिकेट संघ से भी जुड़े हैं।