पटना। बिहार क्रिकेट एसोसिएशन में कोई भी काम बिना पैरवी या आपकी अच्छी वकालत करने वाले के बिना नहीं हो सकती है। अबतक इस तरह के किस्से या बातें टीम चयन प्रक्रिया के दौरान खूब सुनने को मिलती रहती थी पर अब तो पिच क्यूरेटर की ट्रेनिंग में नाम भेजने को लेकर यही बातें सामने आ रही है।
बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के पूर्ण मान्यता मिलने के काल से बिना किसी चिंता की अपनी सेवा दे रहे ग्राउंड्समैन मंटू सिंह के साथ भी बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने इस जुमले का इस्तेमाल किया और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड द्वारा नेशनल क्रिकेट एकेडमी द्वारा आगामी चार जुलाई से होने वाले क्यूरेटर सर्टिफिकेशन कोर्स में भाग लेने के लिए मंटू सिंह की जगह किसी दूसरे व्यक्ति के नाम भेजने की बात सामने आ रही है। बीसीए के सूत्रों के अनुसार यह खबर शत-प्रतिशत सही है। खबर यह है कि मंटू सिंह की जगह हिमांशु का भेजा गया है। हिमांशु कौन हैं और किसके करीबी हैं यह किसी से छिपा नहीं है।
खबर तो यह भी है कि सारा खेल चुपके-चुपके हुआ। यह सर्टिफिकेशन कोर्स मैट्रिक पास वालों के लिए था और मंटू कुमार मैट्रिक पास है। जानकारों का कहना है कि स्नातक पास वाले सर्टिफिकेशन कोर्स बराबर आता रहता है। मैट्रिक पास वाला कम ही आता है। ऐसे में मंटू कुमार से यह सुनहरा मौका छिन लिया गया। वेतन के तो लाले पहले से ही है उस पर यह झटका। वजह एक ही है कोई पैरवीकार नहीं तो मामला फिनिश।
मंटू सिंह बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के पूर्ण मान्यता मिलने के बाद से ही बीसीए के साथ जुड़े हुए हैं। उन्होंने इसके पहले भी मोइनुल हक स्टेडियम में बिहार क्रिकेट एसोसिएशन, पटना जिला क्रिकेट संघ से मान्यता प्राप्त टूर्नामेंट समेत उसके अपने टूर्नामेंट में ग्राउंड्समैन के रूप में बेहतर कार्य किया है। वर्ष 2018 में बीसीसीआई द्वारा नार्थ ईस्ट राज्यों के लिए आयोजित ग्राउंड्समैन के ट्रेनिंग बिहार क्रिकेट संघ की ओर से दो व्यक्तियों मंटू सिंह (कुमार) और देवी शंकर को भेजा गया था।
वर्ष 2018 में राजू वाल्श पिच क्यूरेटर थे और ग्राउंड्समैन के रूप में मंटू सिंह (कुमार) और देवी शंकर थे। इन दोनों की नियुक्ति बीसीसीसीआई के द्वारा की गई थी। बाद के दिनों में अनुभवी राजू वाल्श को साइड कर पिच क्यूरेटर के रूप देवी शंकर की नियुक्ति कर दी गई। फिर उनकी टीम बनी।
खेलढाबा इस मामले का ज्यादा जिक्र नहीं करना चाहता है उसमें क्या राजनीति हुई या क्या खेल हुआ।
खेलढाबा ही नहीं पूरा क्रिकेट जगत इस बात को लेकर आज सवाल खड़ा कर रहा है कि मंटू सिंह का नाम पिच क्यूरेटर की ट्रेनिंग के लिए क्यों नहीं भेजा गया। वे इतने दिनों से बीसीए की सेवा कर रहे हैं। उनसे बीसीए ने न केवल पटना के मोइनुल हक स्टेडियम बल्कि राज्य के अन्य जगहों पर भी काम लिया है फिर उनके साथ अन्याय क्यों।



