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क्रिकेट का बिगुल बजते ही शुरू हो गया पदाधिकारियों का संग्राम

by Khel Dhaba
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बीसीए अंतर जिला क्रिकेट

पटना। बिहार में भले ही मैदान पर क्रिकेटरो का खेल कम दिखे लेकिन मैदान के बाहर क्रिकेट संघ के पदाधिकारियों का नुरा कुश्ती हमेशा देखने को मिलता है। एक बार फिर यह खेल संघ के इस सत्र के कार्यक्रम के जारी होते ही इनके बीच शुरू हो गया है।

चिरनिद्रा से जगने के बाद रविवार को बिहार क्रिकेट संघ ने सत्र 2021-22 में बिहार टीम के चयन और ट्रेनिंग कैंप के लिए प्रोग्राम की घोषणा बिहार क्रिकेट संघ के टूर्नामेंट कमेटी के चेयरमैन संजय सिंह ने की। लेकिन बिहार में क्रिकेट का बिगुल बजते ही संघ के पदाधिकारियों के बीच संग्राम शुरू हो गया है और इस प्रोग्राम को लेकर खींचतान शुरू हो गई है।

विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बिहार क्रिकेट संघ के कमेटी ऑफ मैनेजमेंट (सीओएम) के सदस्य प्रोग्राम की रूपरेखा से सहमत नहीं है। सीओएम के कई सदस्यों का कहना है कि प्रोग्राम घोषित करने के पहले हम सबों से सहमति नहीं ली गई है। सदस्यों का यह भी कहना है कि संगठन में जिसकी जैसे मर्जी होती है वैसे चलाता रहता है। जिसने बॉस की बात मानी वह अप, जिसने नहीं मानी उसे कर दिया जाता है डाउन।

सूत्र बताते हैं कि बिहार क्रिकेट संघ के जीएम ऑपरेशन ने इस सत्र में घरेलू कार्यक्रमों की रूपरेखा बना कर महीनों पहले संघ के सारे पदाधिकारियों को एक नहीं अनेकों ईमेल किये पर किसी ने उस पर गौर नहीं किया। जीएम ने जो ईमेल किया था उसमें सारे कार्यक्रमों का विस्तार से जिक्र था। इसमें खिलाड़ियों के रजिस्ट्रेशन से लेकर सेलेक्टरों के चयन, टूर्नामेंट कराने, बीसीसीआई के टूर्नामेंट में भाग लेने वाली संभावित टीम का महीने भर का कैंप लगाने से लेकर अन्य सभी कार्यक्रम भी शामिल थीं।

खबर के अनुसार पदाधिकारियों का कहना है कि कोई भी कमेटी किसी प्रोग्राम या चीज की घोषणा नहीं करती है। वह अपनी रिपोर्ट सौंपती है या रिकवमेंडेशन करती है ,पर बिहार क्रिकेट एसोसिएशन में तो संविधान को ताक पर रख कर सब किया जाता है। उन सबों का कहना है कि टूर्नामेंटी कमेटी अपना ब्योरा पहले संघ को सौंपती उसके बाद विचार विमर्श कर कार्यक्रम घोषित किये जाते है।

इधर खबर आ रही है कि संयु्क्त सचिव सह कार्यकारी सचिव कल इस मुद्दे पर पटना में गहन मंथन करने वाले हैं और सारी चीजों की समीक्षा करेंगे।

खैर जो भी हो बिहार में क्रिकेट का बिगुल तो बज गया। अब देखना है कि संघ के पदाधिकारियों के बीच मैदान के बाहर होने वाले विचारों व सुपरमेसी के खेल और संग्राम पर खिलाड़ियों का खेल संग्राम कितना भारी पड़ता है।

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