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शान-ए-बिहार : खेल से इतर भी है इस स्टार फुटबॉल गोलकीपर की पहचान,जानें उनके बारे में

by Khel Dhaba
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नवीन चंद्र
पटना। खेल समाचारों का वेबपोर्टल आपका अपना खेलढाबा.कॉम ने शान-ए-बिहार के नाम से एक वीडियो शृंखला चला रहा है। इस वीडियो शृंखला में आपको बिहार की वैसी खेल हस्ती के बारे में हम बताते हैं जिन्होंने राज्य, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय खेल जगत की क्षितिज पर अपने गांव, जिला, राज्य और देश का नाम रोशन किया है। इसी कड़ी में आज हम चर्चा कर रहे हैं बिहार के स्टार फुटबॉल गोलकीपर नीलेश कुमार सिंह की। तो आइए जानते हैं नीलेश कुमार सिंह के बारे में ढेर सारी बातें इस वीडियो के माध्यम से-

बिहार के मुंगेर जिला के रामपुर (जमालपुर)  के रहने वाले नीलेश कुमार सिंह को बचपन से वॉलीबॉल से प्यार था। अपने शारीरिक बनावट के कारण वे इस खेल के बहुत ही बेहतरीन खिलाड़ी थे। एक दिन गांव में एक फुटबॉल मैच का आयोजन हुआ। मैच में हिस्सा ले रही एक टीम का गोलकीपर नहीं आया तो नीलेश कुमार सिंह को गोलकीपिंग की जिम्मेवारी दे दी गई। उस मैच में नीलेश कुमार सिंह ने बढ़िया खेल दिखाया। उनके खेल से जमालपुर रेलवे के मैक्निकल फुटबॉल टीम के तत्कालीन कोच जगपति नाथ जग्गा काफी खुश हुए और उन्हें अपनी टीम की ओर से खेलने का ऑफर दे डाला।

नीलेश कुमार सिंह ने वालीबॉल को छोड़ अपने खानदानी खेल फुटबॉल को अपना लिया। नीलेश के पिता जयजय राम सिंह, चाचा नारायण सिंह, बड़े भाई राजीव कुमार सिंह भी फुटबॉलर हैं। वे जमालपुर रेलवे की ओर से खेलने लगे। वर्ष 1990-91में जमालपुर रेलवे की ओर मोइनुल हक फुटबॉल टूर्नामेंट में हिस्सा लिया और शानदार खेल दिखाया।

जमालपुर में उन्हें सुधीर विद्यार्थी,प्रवीण शंकर, सज्जन और कृष्णानंद ने फुटबॉल में आगे बढ़ने में काफी मदद की। इसके बाद साधारण तरीके से उनकी नौकरी बिहार पुलिस में हो गई और वे रांची चले गए। रांची लीग खेला और स्टेट टीम में रांची का प्रतिनिधित्व भी किया।

वर्ष 2003 में पटना पहुंच गए और पटना पुलिस की ओर से पटना फुटबॉल लीग में खेलने लगे। इसी साल पटना पुलिस से पटना लीग का खिताब जीता था। पटना में उन्हें फुटबॉल में आगे बढ़ने में अलाउद्दीन, कोच मनोज, शिवनंदन सिंह, राज मिल्क के सत्येंद्र जी, एसबीआई के सुनील कुमार, संजीव कुमार, पटना फुटबॉल संघ के ज्वाला प्रसाद सिन्हा, मनोज कुमार,राजेंद्र प्रसाद यादव, पटना पुलिस के कमलाकर तिवारी, रवि कुमार सिंह कईयों ने हौसला अफजाई की।

वर्ष 2006 में नीलेश कुमार सिंह ने राज्य टीम में अपनी जगह पक्की की और गुड़गांव में आयोजित ओपन संतोष ट्रॉफी फुटबॉल में शानदार खेल दिखाया। इस टूर्नामेंट में बिहार के खेमे में एक भी गोल नहीं हुआ। इस टूर्नामेंट में बिहार एक मैच हारा, एक ड्रॉ किया और एक में वाकओवर मिला। गोल औसत के कारण बिहार क्वलिफाई करने से चूक गया।

पटना फुटबॉल लीग से नीलेश का नाता जुड़ा रहा और वे हमेशा मैदान पर सक्रिय रहे। नीलेश कुमार सिंह पटना पुलिस से न केवल खिलाड़ी के रूप में जुड़े रहे बल्कि इस टीम को आगे ले जाने और इस टीम के बेहतर मैदान उपलब्ध कराने की भूमिका अदा की। इनकी मेहनत की बदौलत पटना का न्यू पुलिस लाइन ग्राउंड हमेशा चकाचक रहा। इसी का परिणाम था कि पिछले सालों में पटना में आयोजित मोइनुल हक स्टेडियम टूर्नामेंट का सफल आयोजन इस ग्राउंड पर हो सका। ऑल इंडिया पुलिस फुटबॉल टूर्नामेंट के दौरान इस ग्राउंड पर कई मैच खेले गए। पटना लीग का मुख्य ग्राउंड न्यू पुलिस लाइन ग्राउंड ही होता था।

नीलेश के यहां से जाने के बाद इस ग्राउंड की हालत भी खराब हो गई। पटना फुटबॉल के लोग कहते हैं कि अगर नीलेश उस्ताद यहां होते तो इस ग्राउंड की हालत इतनी खराब नहीं होती।

वर्तमान समय में नीलेश कुमार सिंह मुजफ्फरपुर में आईजी पुलिस में कार्यरत हैं। वहां भी इन्होंने फुटबॉल टीम का निर्माण कर दिया है और टीम को कोचिंग भी देते हैं।

नीलेश की पत्नी जूही कुमारी कुशल गृहिणी हैं। बड़ी बेटी सरस्वती कुमारी कंप्यूटर सायंस से बीटेक कर रही हैं। इन्हें बास्केटबॉल व खो-खो से प्यार है। छोटी बेटी भारती 12वीं में पढ़ती हैं और संगीत सीखती हैं। बेटा प्रियांशु राज 12वीं में पढ़ता है और वह वॉलीबॉल खेलता है।

नीलेश को घुड़सवारी का शौक है। गांव पहुंचने पर खूब घुड़सवारी करते हैं। वे खेती में भी हाथ बंटाते हैं। साथ ही गांव में फुटबॉलरों को ट्रेनिंग भी देते हैं।

इन सबों से अलग नीलेश की पहचान अपने हेयर स्टाइल और मूछों के कारण भी है। वे समय-समय पर अपने बालों व मूछों की स्टाइल को चेंज करते रहते हैं। इसी के कारण अपने इन्हें कभी वीरप्पन और कभी सिंघम तो कभी उस्ताद कह कर बुलाते हैं।

नीलेश कुमार ने डी लाइसेंस कोच का कोर्स कर रखा है और वे कहते हैं कि अगर मुझे बिहार टीम के कोच की भूमिका अगर हमें मिलती है तो गुड़गांव के अधूरे सपने को पूरा करेंगे। वे कहते हैं कि फुटबॉल ने हमें काफी कुछ दिया है और हमसे जितना बन पड़ेगा फुटबॉल के लिए करते रहेंगे।   

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