इंदौर। मध्यप्रदेश के स्टेट पैनल क्रिकेट अंपाय को एक दिन के ढाई हजार रुपये मिलते हैं, अन्य मदों से पैसा अलग। कई अंपायरों की जीवन इसी के सहारे चलता है। Covid-19 महामारी के कारण क्रिकेट बंद हुआ तो इन अंपायरों की आय का साधन भी बंद हो गया। ऐसे में छिंदवाड़ा के एक अंपायर Shamim Dad के बेटे की तबीयत बिगड़ने पर मध्यप्रदेश के अंपायरों और स्कोररों ने एक घंटे में करीब दो लाख रुपये इकट्ठे कर मिसाल कायम की।


Shamim Dad मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (MPCA) के स्टेट पैनल अंपायर हैं। एक निजी स्कूल में खेल अधिकारी थे। लॉक डाउन के पहले खेल सामान की दुकान उधार लेकर खोली, मगर दुकान बंद होने से घाटा हो गया। साढ़े चार साल के बेटे को गंभीर बीमारी है और डॉक्टर ने ऑपरेशन के लिए कहा। शमीम ने बताया, ‘मेरा घर, जेवर सब बिक चुके हैं। अब बेचने को सिर्फ दोपहिया वाहन बचा है। बुरे वक्त में MP अंपायर एंड स्कोरर्स एसोसिएशन के रमेश कुशवाह ने मदद का हाथ बढ़ाया। उनकी पहल पर प्रदेश के अंपायरों और स्कोररों ने चंद घंटों में करीब दो लाख रुपये एकत्रित कर दिए। अभी नागपुर के अस्पताल में इलाज चल रहा है।’


Shamim Dad की मदद के लिए अंतरराष्ट्रीय अंपायर Nitin Menon से लेकर बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड के साथ बतौर क्यूरेटर काम कर रहे संजीव अग्रवाल जैसे लोगों ने मदद के हाथ बढ़ाए।

रमेश कुशवाह ने बताया कि क्रिकेट में बहुत पैसा नजर आता है, लेकिन जमीनी हकीकत अलग है। जब शमीम भाई की समस्या सामने आई तो प्रदेश के सभी अंपायरों और स्कोररों ने मिलकर 1 लाख 87 हजार रुपये स्वेच्छा से जुटाए। मप्र क्रिकेट संगठन (MPCA) ने भी मदद का आश्वासन दिया है। इसके पहले इंदौर संभागीय क्रिकेट संगठन (IDCA) के अंपायरों की भी हालत लॉकडाउन के कारण खराब हो चली थी। कई के घर में राशन के भी लाले पड़ने लगे थे। तब संभाग के 10 अंपायरों और स्कोररों को IDCA द्वारा आर्थिक मदद और राशन सामग्री वितरित की गई थी।
साभार : नई दुनिया