पटना। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) द्वारा सत्र 2019-20 होने वाले विजय मर्चेंट ट्रॉफी अंडर-16 क्रिकेट के लिए हो रहे उम्र जांच (मेडिकल टेस्ट) के लिए बिहार आये बीसीसीआई के एज वेरिफिकेशन प्रोटोकॉल ऑफिसर डॉ अभिजीत साल्वी अपने ही बयान से पलट गए और घंटों इंतजार कर कर मेडिकल टेस्ट के बैठे बिहार के उदीयमान खिलाड़ियों को बैरंग वापस कर दिया।
मामला यह है कि राजधानी के अपोलो हॉस्पीटल में हो रहे मेडिकल टेस्ट के लिए पहुंचे साल्वी को बिहार क्रिकेट एसोसिएशन (जगन्नाथ सिंह गुट) ने अपने खेमे के प्लेयर लिस्ट थमाई और साथ में वो पत्र भी सौंपे जिनमें बिहार में क्रिकेट एसोसिएशन के दो गुट होने की बात कही गई है। इन कागजाताओं को देखने के बाद साल्वी ने जगन्नाथ सिंह गुट के अधिकारियों को कहा कि आपके खिलाड़ियों का मेडिकल टेस्ट होगा। मैं दोनों गुटों का मेडिकल टेस्ट करुंगा और अलग-अलग फाइलों में रिपोर्ट सीओए को सौपा जायेगा।
पहले गोपाल बोहरा गुट वाले बिहार क्रिकेट एसोसिएशन द्वारा सौंपे गए लिस्ट का साल्वी ने मेडिकल किया और इधर जगन्नाथ सिंह गुट वाले खिलाड़ियों की पर्ची भी मेडिकल टेस्ट के लिए कटी। खेलढाबा.कॉम को जगन्नाथ सिंह गुट के अधिकारी ने बताया कि लगभग 30-35 प्लेयरों की पर्ची कट चुकी थी। गोपाल बोहरा गुट वाले प्लेयरों का मेडिकल टेस्ट करने के बाद साल्वी अपनी बात से यू टर्न हो गए और कहा कि हमें ऊपर से फोन आ गया है, मैं आपके खिलाड़ियों का मेडिकल टेस्ट नहीं कर सकता हूं। लोगों ने पूछा कि किसका फोन आया है तो उन्होंने कहा कि बीसीसीआई के जीएम सबा करीम का। इसके बाद जगन्नाथ सिंह गुट के अधिकारियों ने सबा करीम से बात की तो उन्होंने कहा कि आगे अगर निर्णय होगा तो फिर से मेडिकल टीम जायेगी और जांच कर लेगी।
जगन्नाथ सिंह गुट के अध्यक्ष जगन्नाथ सिंह ने भी साल्वी से बात की तो वह बात साल्वी ने दोहराई। सवाल यह उठता है कि साल्वी को अगर इस गुट के खिलाड़ियों का मेडिकल टेस्ट नहीं करना था तो घंटों बच्चों को क्यों बैठाया। पर्ची क्यों कटवाई। पर्ची कटवाई तो फिर अपनी बात से पलट क्यों गए।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति द्वारा पिछले दिनों भेजे गए ई मेल के बाद यह साफ हो गया था कि बिहार में क्रिकेट एसोसिएशन के दो गुट हैं। इन दोनों गुटों (गोपाल बोहरा व जगन्नाथ सिंह गुट) को प्रशासकों की समिति ने कहा है कि आप सक्षम न्यायालय से फैसला लेकर आयें। साथ ही सीओए ने बिहार क्रिकेट एसोसिएशन को फंड देने से मना कर दिया है।
इस घटनाचक्र के बाद सीओए ने बिहार के पांच पक्षों बीसीए के दोनों गुट, आदित्य वर्मा (क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार), सुबीर मिश्रा (जिला के प्रतिनिधि) और बिहार के पूर्व रणजी कप्तान सुनील कुमार से मुंबई में मुलाकात कर इनका पक्ष जाना था।