पटना, 29 मई। बिहार के जाने-मान क्रिकेट प्रशासक अरुण कुमार सिंह का असामायिक निधन से खेलढाबा.कॉम ने अपना एक अच्छा विशेष सलाहकार खो दिया जिसकी क्षतिपूर्ति शायद ही हो पाई। स्व. अरुण कुमार सिंह पिछले तीन वर्षों से खेलढाबा.कॉम के सलाहकार मंडल के सदस्य थे। ऐसे उनका खेलढाबा.कॉम से जुड़ाव इसकी स्थापना काल से ही रहा है।
ऐसे व्यक्तिगत तौर पर मेरा (इस आलेख के लेखक) अरुण कुमार सिंह जी से जुड़ाव वर्ष 2000 से ही था जब दैनिक हिंदुस्तान में काम करना शुरू किया था। उस समय अरुण कुमार सिंह पटना जिला क्रिकेट एसोसिएशन में पद पर नहीं रहते हुए सर्वेसर्वा थे क्योंकि वे ग्राउंड पर रहने वाले व्यक्ति थे। पटना जिला क्रिकेट लीग के संचालन से लेकर अन्य कार्यों में उनकी भूमिका अहम हुआ करती थी। पटना ही नहीं बिहार क्रिकेट के बारे में कोई जानकारी लेनी है तो आप अरुण कुमार सिंह जी को फोन कीजिए आपकी समस्या का निदान हो जायेगा। कुल मिला कर यों कहें वे बिहार क्रिकेट के कस्टमर केयर थे।
हिंदुस्तान में काम करते हुए बहुत सारे कामों में उनका बहुत सहयोग मिला। चाहे वह हिन्दुस्तान कर्मियों के मैच खेलने के लिए मैदान और अंपायर की जरुरत हो। उन दिनों आयोजित एयरटेल मीडिया कप क्रिकेट के सफल आयोजन में उनकी भूमिका अहम रही। आगे चल कर यह जुड़ाव और गहरा होता गया चाहे वह क्रिकेट की खबर या क्रिकेट की राजनीति को लेकर हो और प्रभात खबर तक भी सफर जारी रहा।
प्रभात खबर छोड़ने के बाद भी यह जुड़ाव बना रहा। प्रभात खबर द्वारा आयोजित राज्यस्तरीय क्रिकेट प्रतियोगिता में उनकी भूमिका अहम रही। एक संयोजक के तौर पर उन्होंने इस आयोजन सफल कराया। इस आयोजन के दौरान टीम सेलेक्शन से लेकर मैचों के आयोजन के लिए पूरे राज्य में ग्राउंड से लेकर अंपायर की व्यवस्था उन्होंने बेहतर रूप से किया जिसकी तारीफ प्रभात खबर अखबार के प्रबंधन ने किया।
खेलढाबा.कॉम के शुरुआत करने के बाद संबंध प्रगाढ़ हो गया क्योंकि खेलढाबा.कॉम बिहार के क्रिकेट जगत में अपनी पैठ बनाने में सफल हो रहा था। यों कहें कि खेलढाबा.कॉम बिहार क्रिकेट जगत में इतना मशहूर हुआ इसमें अरुण कुमार सिंह का बड़ा योगदान रहा। बाद के दिनों में बहुत आग्रह करने के बाद वे खेलढाबा.कॉम के सलाहकार मंडल में शामिल हुए।
बिहार और पटना क्रिकेट संघ का परिदृश्य बदला और अरुण कुमार सिंह जी क्रिकेट से दूर होते चले गए। हमेशा क्रिकेट के मैदानों में दिखने वाला व्यक्ति अपने घर के कमरे में बंद हो गया और अंतत: जिंदगी की लड़ाई भी हार गया। पर यह तय है कि उनका असमय जाना पूरे बिहार क्रिकेट जगत को खलेगा।