नईदिल्ली। शिक्षा प्रोद्यौगिकी कंपनी ‘अनअकेडमी’ इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के प्रायोजकों में से एक है और अब उसकी निगाहें लीग के टाइटल प्रायोजन अधिकार हासिल करने पर लगी हैं और वह इस साल चीनी मोबाइल फोन कंपनी वीवो की जगह लेने के लिये अपनी बोली सौंपने को तैयार है।
भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) के एक अधिकारी ने पुष्टि की कि ‘अनअकैडमी’ ने बोली लगाने के लिये फार्म लिया है लेकिन इसके आगे कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
सीनियर अधिकारी ने नाम नहीं बताने की शर्त पर न्यूज एजेंसी पीटीआई से कहा, मैं यह पुष्टि कर सकता हूं कि ‘अनअकैडमी’ ने दिलचस्पी दिखायी है और बोली लगाने के लिये पेपर लिये हैं। मैंने सुना है कि वे बोली सौंपेंगे और इस बारे में गंभीर हैं। इसलिये पंतजलि अगर बोली लगाता है तो उसे प्रतिस्पर्धा मिलेगी।
भारत और चीन की सीमा पर सैनिकों के बीच हुई भिंड़त के कारण इस साल वीवो ने टाइटल प्रायोजन अधिकार से हटने का फैसला किया जो सालाना 440 करोड़ रूपये देता था।
बीसीसीआई अब चार महीने 13 दिन के लिये इससे कम कीमत – 300 से 350 करोड़ के बीच- के करार के लिये कंपनी ढूंढ रहा है।
केंद्रीय प्रायोजन और टाइटल प्रायोजन में क्या अंतर है तो अधिकारी ने कहा, ‘‘केंद्रीय प्रायोजन में जर्सी अधिकार शामिल नहीं होते। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘आईपीएल में, जर्सी ‘लोगो’ सिर्फ टाइटल प्रायोजक का ही हो सकता है, भले ही टीम के विभिन्न प्रायोजक हों। अगर वे टाइटल प्रायोजक बन गये तो इससे उन्हें विभिन्न ब्रांडिंग चीजों पर अधिकार मिल जायेंगे। ’’