Sunday, August 10, 2025
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विकेट के पीछे रहकर भी हमेशा आगे रहा यह बिहारी डाक्टर

by Khel Dhaba
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मधु शर्मा
पटना।
बिहार के कम ही लोग जानते होंगे उनके प्रदेश का एक लाल यूनाइटेड किंगडम (यूके) में भारत के उदीयमान क्रिकेटरों को तराशने का काम कर रहा है। इन क्रिकेटरों को न केवल बेहतर ट्रेनिंग मुहैया करायी जाती है पर वहां के नामी स्कूलों में पढ़ाई की व्यवस्था भी कराई जाती है। इसी ट्रेनिंग प्रोग्राम की उपज है भारत के स्टार क्रिकेटर पृथ्वी शॉ। तो आइए जानते हैं पेशे से डॉक्टर बिहार के लाल डॉ समीर पाठक के बारे में जिस पर हम बिहारवासियों को नाज करना चाहिए।

डॉ समीर पाठक का पुश्तैनी घर रोहतास जिला के गोविंदपुर है। डॉ समीर पाठक के पिता डॉ अशोक पाठक भी इंग्लैंड के नामी आर्थोपेडिक सर्जन हैं। डॉ अशोक पाठक ने बिहार की ओर से काफी क्रिकेट खेला है। पिता की राह पर चलते हुए डॉ समीर पाठक ने भी क्रिकेट खेला और वे एक बेहतरीन विकेटकीपर बल्लेबाज हैं। उन्होंने इंग्लैंड विश्वविद्यालय की ओर से 2004 में खेला और 2003-05 तक लिवरपूल विश्वविद्यालय क्रिकेट टीम की कप्तानी की। वे मेरिलबोर्न क्रिकेट क्लब (एमसीसी) के प्लेइंग मेंबर है और उसकी कार्यकारिणी कमेटी में भी हैं।

क्रिकेट के प्रति जूनुनी डॉ समीर पाठक ने अपने मन में छिपे क्रिकेट प्रेम को बाहर निकाला और उन्होंने यूके में इंटरनेशनल स्पोर्टिग एक्सचेंज स्कीम के क्रिकेटरों की ट्रेनिंग देने और उन्हें बेहतर क्रिकेट माहौल देने के लिए वर्ष 2011 में ‘क्रिकेट बियोंड बाउंड्रीज’ (सीबीबी) नाम की संस्था का निर्माण किया। इस संस्था के माध्यम से वंचित पृष्ठभूमि के लोगों को जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए क्रिकेट का उपयोग किया है। इसमें न केवल क्रिकेटरों को ट्रेनिंग दी जाती है बल्कि उन्हें बेहतर मैच समेत पढ़ाई की सुवधिा प्रदान की जाती है। इसमें उन्हें यूके के नामी स्कूलों के साथ मिला जिसमें प्रतिष्ठित चेडल हुल्मे और डरहम स्कूल शामिल हैं। इस संस्था के माध्यम से क्रिकेटरों की खोज अनाथालयों, क्रिकेट एकेडमियों से की जाती है।

समीर के इस ट्रेनिंग प्रोग्राम की खोज हैं भारतीय सीनियर क्रिकेट टीम के सदस्य रहे क्रिकेटर पृथ्वी शॉ, आईपीएल प्लेयर सरफराज खान, नितीन तनवर, अक्षय भारमभट्ट, विकास दीक्षित, खिजर दाफेदार, शिवम चौहान, परांजुल पूरी, हर्षवर्षन पाटिल, रामकृष्ण नटराजन, रुपेश बोरदे, दिव्या प्रकाश, हसिर दाफेदार, नीतीज जोयल, सौरभ नवाले, प्रांजल पनसारे, शेख राशिद, अमन मुल्ला, विक्रम लक्ष्मी, रेवानाथ रेड्डी, नैम खान। इन क्रिकेटर कई बार ट्रेनिंग के लिए यूके जा चुके हैं।

इस संस्था से आर अश्विन की क्रिकेट एकेडमी अश्विन जेनेक्सट एकेडमी (चेन्नई), वेंगसरकर क्रिकेट एकेडमी (मुंबई व पुणे) और चेंबुर चिल्ड्रेन होम से जुड़ाव है। चेंबुर चिल्ड्रेन होम कोच कुकरेजा का जुड़ाव है और रुपेश बोरदे इसी चिल्ड्रेन होम से गये हैं। क्रिकेट बियोंड बाउंड्रीज को सचिन तेंदुलकर का सपोर्ट मिला। वे भी कई बार उनके कार्यक्रम का हिस्सा बन चुके हैं।

जब पृथ्वी को कोई जानता नहीं था डॉ समीर पाठक व जॉन विल्सन ने पृथ्वी की प्रतिभा को पहचाना था। उन्होंने यूके में इंटरनेशनल स्पोर्टिग एक्सचेंज स्कीम के तहत कोचिंग देने का निर्णय लिया। यहीं से शुरू हुआ पृथ्वी का उदय। पृथ्वी ने सीडल हुल्मे स्कूल, मैनचेस्टर में प्रशिक्षण लिया।

समीर कहते हैं कि इस जेंटलमैन गेम ने काफी ऊंचाईयां छू ली हैं। मैं उन लोगों के लिए इस खेल का लाभ फैलाना चाहता था जो कम भाग्यशाली थे। संगठन आर्थिक रूप से संघर्षरत क्रिकेटरों के लिए बेहतर प्लेटफॉर्म देता है।

समीर कहते हैं कि खेल आम तौर पर रचनात्मक प्रभाव को एक अनुशासन के रूप में बल देना सुनिश्चित करता है। हर कोई खेल के मैदान पर समान है। सभी खेल विभिन्न संस्कृतियों और पृष्ठभूमि के लोगों को एक साथ लाने के लिए एक उत्कृष्ट मंच है। क्रिकेट से लेकर फुटबॉल और टेबल टेनिस तक, खेल अभी तक बहुत ही सुगम, “साझा भाषा” है।

उनका कहना है कि यदि आप विश्वास के साथ युवाओं को शक्ति प्रदान करने के दृष्टिकोण से खासतौर क्रिकेट के क्षेत्र में आगे बढ़ते हैं तो सभी नामी खिलाड़ी आप को सपोर्ट करते हैं और क्रिकेट बियोंड बाउंड्री इस मामले में बहुत भाग्यशाली रहा है। समीर चाहते हैं कि भविष्य में उनका काम केवल भारत और इंग्लैंड तक सीमित न रहे परंतु अन्य देशों में भी यह इसका विकास कर सकें और महिलाओं को भी सपोर्ट कर सकें। बाद में उनका विकलांग बच्चों को भी सपोर्ट करने का इरादा है।


क्रिकेट बियोंड बाउंड्रीज के सह संस्थापक डॉ समीर पाठक के पिता डॉ अशोक पाठक हैं। इसके अलावा इससे संरक्षक भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व सदस्य दिलीप वेंगसरकर, लार्ड भीखू पारेख, रविचंद्रन अश्विन और साहिल कुकरेजा हैं। संस्था के बोर्ड सदस्यों में राजीव शर्मा, जय हनमंतगढ़, ऑस्कर देहुस्र्ट और जॉन विल्सन हैं।

डॉक्टर समीर पाठक गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सर्जन हैं जिन्हें क्रिकेट में बेहद रूचि रही है और उन्होंने 2004 में इंग्लैंड विश्वविद्यालय के टीम में विकेटकीपर बल्लेबाज के रूप खेला था। अभी मैरीलेबोन क्रिकेट क्लब से खेलते हैं वह एक लीवर और पेनक्रिएटिक सर्जन हैं जिन्हें पढ़ने पढ़ाने में बेहद रूचि रही है। ब्रिस्टल में वह लेक्चरर हैं। उन्होंने लिवरपूल के मेडिकल स्कूल से 2006 में स्नातक की डिग्री हासिल की एवं ब्रिस्टल साउथवेस्ट और लीड्स में ट्रेनिंग ली। आजकल वह ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी और ब्रिस्टल रॉयल इंफरमरी में कार्यरत हैं।

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