पटना। खेल के विकास और खेल प्रतिभाओं को आगे लाने में शारीरिक शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका है। प्रतिभाओं की पहचान उनके निखारने का काम विद्यालय से ही शुरू होता है। ये बातें बिहार राज्य खेल प्राधिकरण के महानिदेशक रवींद्र शंकरण ने बिहार शिक्षा परियोजना परिषद द्वारा यूनिसेफ के सहयोग से 7 से 27 जुलाई तक आयोजित राज्य के माध्यमिक व उच्च माध्यमिक विद्यालयों के 300 शारीरिक शिक्षकों के लिए योग एवं खेल के विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्घाटन के अवसर पर कहीं। राजधानी के पाटलिपुत्र स्पोट्र्स कॉम्प्लेक्स में आयोजित इस कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह की शुरुआत अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन एवं बिहार राज्य गीत के प्रस्तुति के साथ हुआ।
बिहार राज्य खेल प्राधिकरण के महानिदेशक रवींद्र शंकरण ने कहा कि राज्य सरकार ने खेलों को जन आंदोलन बनाने का निर्णय लिया है और विद्यालयों में खेलकूद के वातावरण के निर्माण के बिना यह संभव नहीं है।
इस मौके पर कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के निदेशक (छात्र व युवा कल्याण) विनोद सिंह गुंजियाल ने सरकार के विद्यालय सहित अन्य खेल कार्यक्रम एवं योजनाओं के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि इस वर्ष खेल विभाग द्वारा विद्यालय खेल कार्यक्रम एवं आयोजनों को और भी सशक्त एवं बेहतर करने का प्रयास किया जा रहा है जिसकी सफलता में शारीरिक शिक्षकों की अहम भूमिका होगी।
स्वागत संबोधन करते हुए शिक्षा विभाग के सचिव सह बिहार शिक्षा परियोजना परिषद के राज्य परियोजना निदेशक असंगमा चुबा आओ ने कहा कि शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षकों में क्षमता वर्धन एवं नित्य नये आयामों को विकसित करने हेतू लगातार प्रशिक्षण कार्यक्रम की कड़ी में यह विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम शारीरिक शिक्षकों के लिए आयोजित की गई है क्योंकि व्यक्तित्व विकास में खेल एवं शारीरिक शिक्षा का बहुत बड़ा योगदान है।
धन्यवाद ज्ञापन बिहार शिक्षा परियोजना परिषद की अपर राज्य परियोजना निदेशक श्रीमती किरण कुमारी ने किया तथा कार्यक्रम का संचालन एनआईएस एथलेटिक्स प्रशिक्षक अभिषेक कुमार ने किया।
कार्यक्रम के दौरान सहायक प्रोग्राम ऑफिसर अभिलाषा झा, धर्मवीर कुमार, निशांत कुमार, डब्लू कुमार, मृ्त्युंजय कुमार समेत कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे। उद्घाटन के अवसर पर प्रशिक्षणार्थियों के द्वारा वॉलीबॉल मैच खेला गया।