पटना। मुख्य सचिव बनाम पीएमजी एकादश के बीच प्रदर्शनी मैच खेला जाना था। पीएमजी की टीम में एक खिलाड़ी नहीं आया था। पिताजी पोस्टल में जॉब करते थे। इसका फायदा इस शख्स को मिला। उसे टीम में शामिल किया गया और उसने शानदार गेंदबाजी करते हुए मुख्य सचिव जैसी सशक्त टीम को छक्के छुड़ाते हुए पीएमजी एकादश को जीत दिला दी। इस मैच ने इस शख्स को सुर्खियों में ला दिया और धीरे-धीरे यह खिलाड़ी पहले स्कूल, फिर क्लब, इसके बाद कॉलेज व विश्वविद्यालय और फिर जिला टीम का प्रतिनिधित्व और नेतृत्व किया। खेल के दौरान ही प्रशासकीय गुण के कारण आयोजन में भागीदारी की और अंपायरिंग के गुर सीखे और बन गए इंटरनेशनल अंपायर। विभिन्न संघों में विभिन्न पदों पर रहे। सर्वगुण संपन्न यह व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि अपने एलपी वर्मा हैं। तो आइए जानते हैं इस शख्स की जीएसी टू इडेन गार्डन और खिलाड़ी टू अंपायर एंड खेल प्रशासक होने के सफर होने के बारें में-
वैशाली के वृंदावन के रहने वाले ललितेश्वर प्रसाद वर्मा परिवार सहित 1953 में पटना आये। पिता स्व. लक्ष्मी प्रसाद वर्मा आरएमएस में नौकरी करते थे। वे पूरे परिवार के साथ गर्दनीबाग इलाके में रहते थे। क्रिकेट के बारे में एलपी वर्मा के बारे में उतनी जानकारी नहीं थी पर संजय गांधी स्टेडियम (जीएसी) इस खेल की ओर जिज्ञासा बढ़ गई सो क्रिकेट खेलने लगे। शुरुआती दिनों में मैचों के दौरान वे खिलाड़ियों को गेंद लाकर दिया करते थे। स्कूली शिक्षा पटना हाईस्कूल में हुई और क्रिकेट की प्रैक्टिस जीएसी में।
इस दौरान जीएसी में एक प्रदर्शनी मैच हुआ जिसने एलपी वर्मा को सुर्खियों में ला दिया। इस समय जीएसी क्लब पर बंगाली समुदाय के लोगों का वर्चस्व हुआ करता था। एलपी वर्मा ने उससे अलग हो कर एलबीएस नाम के एक क्लब का गठन कर दिया और उसी की ओर खेलने लगे। पटना जिला क्रिकेट लीग में यूथ एथलेटिक क्लब को हरा कर एलबीएस टीम सुर्खियों में आ गई। यूथ एथलेटिक क्लब उस समय की चैंपियन टीम थी। इस मैच में उन्होंने 40 रन बनाये और विकेट भी चटकाये। इस मैच के बाद कई टीमें एलपी वर्मा को अपने क्लब की ओर से खेलने का ऑफर देने लगी।
वर्ष 1961 में मैट्रिक परीक्षा पास करने के बाद उन्होंने बीएन कॉलेज में दाखिला लिया। 1963 से 1965 तक बीएन कॉलेज की ओर से कॉलेज क्रिकेट लीग खेला। इसके बाद पटना विश्वविद्यालय की ओर खेला और नेतृत्व भी किया। विश्वविद्यालय से पढ़ाई खत्म होने के बाद एक बार फिर से एलबीएस टीम से जुड़ गए और टीम को चैंपियन बनाया। एलपी वर्मा को पेसू में वर्ष 1967 में नौकरी मिली।
उस समय पटना जिला क्रिकेट टीम का संचालन पटना एथलेटिक संघ किया करता था। स्व. मोइनुल हक साहब और स्व. बीएन बसु ने इन्हें आयोजन की जिम्मेवारी दे दी जिसका इन्होंने बखूबी निर्वहन किया। उस समय पीएए का ध्यान क्रिकेट से ज्यादा फुटबॉल की ओर ज्यादा था, इसीलिए क्रिकेट के दिग्गजों ने सोचा क्यों न अपना अलग संगठन बना दिया और वर्ष 1972 में पटना जिला क्रिकेट एसोसिएशन का गठन हो गया। इसमें एलपी वर्मा का महत्वपूर्ण योगदार रहा। स्व. कुमार तारानंद झा अध्यक्ष, स्व. जीएम सहाय चेयरमैन, स्व. डॉ अजय भगत सचिव, रामचंद्र प्रसाद कोषाध्यक्ष और अधिकारी एमएम प्रसाद सहायक सचिव बनाया गए।
पीडीसीए बनने के बाद भी एलपी वर्मा का पीएए से लगाव बना रहा। 15 अगस्त को होने वाले प्रदर्शनी मैच के आयोजन में पूरी तरह से सक्रिय रहा। 1978 में रामप्रसाद जी को पीएए का सचिव बनाया गया और एलपी वर्मा सदस्य के रूप में चुने गए। जीएसी की फुटबॉल टीम से जुड़ा रहा और उसका कोषाध्यक्ष बना। 2005 में पटना फुटबॉल संघ के गठन होने पर इसके कोषाध्यक्ष बने और अभी इसी पद पर कार्यरत हैं। इनके नेतृत्व में पटना में दो बार मोइनुल हक अंतर जिला फुटबॉल चैंपियनशिप का शानदार आयोजन किया गया।
अंपायरिंग के प्रति रुझान खेल के दौरान हल्की थी। जैसे-जैसे आगे वे बढ़ते गए जिज्ञासा बढ़ती गई। पहले क्लब के मैचों व दूसरे मैचों में मौका मिला। 1969 में जब यहां अंतर विश्वविद्यालय क्रिकेट मैच हुआ तो बाहर से आये अंपायरों के साथ अंपायरिंग कराने का मौका मिला। इस मैच में बहुत कुछ सीखने को मौका मिला। बाहर से आये अंपायरों ने मनोबल बढ़ाया और फिर शुरू हो गया अंपायर के रूप में सफर जो इडेन गार्डन तक पहुंचा।
अंपायर के रूप में
►स्टेट पैनल अंपायर : वर्ष 1976
►बीसीसीआई पैनल अंपायर-1981
►ऑल इंडिया अंपायर (बीसीसीआई)-1996
मैच कराए
►टेस्ट मैच : 1 (रिजर्व अंपायर के रूप में )
►वनडे : 5 (एक मैच में थर्ड अंपायर बाकी में रिजर्व)
►दलीप ट्रॉफी : 2
►विल्स ट्रॉफी : 1
►रणजी ट्रॉफी : 25
►बीसीसीआई जूनियर लेवल मैच : लगभग 130
►रणजी वनडे मैच : 8
►हेमन कप, जूनियर स्टेट एंड पटना लीग : लगभग 2000
►वीमेंस वल्र्ड कप : 3
►वीमेंस वनडे इंटरनेशनल : 3
►मैच रेफरी : 1 (दलीप ट्रॉफी), 6 (रणजी ट्रॉफी)
►जूनियर इंटरनेशनल : इंडिया बनाम ऑस्ट्रेलिया, ईस्ट जोन बनाम पाकिस्तान
खिलाड़ी के रूप में
►पटना विश्वविद्यालय की ओर से 1963 से 1965 के बीच खेला। इंटर यूनिर्वसिटी रोहिंगटन बारिया ट्रॉफी।
►पटना जिला की ओर 1963 से 1963 तक खेला।
►बीएन कॉलेज की ओर से तीन साल खेला।
►एलबीएससी और पेसू की ओर से 1959 से 1979 तक खेला।
आयोजन में भागीदारी
►हीरो कप : श्रीलंका बनाम जिंबाब्वे (पटना)
►वल्र्ड कप : जिंबाब्वे बनाम केन्या (पटना)
►वनडे इंटरनेशनल : इंडिया बनाम पाकिस्तान (जमशेदपुर), इंडिया बनाम इंग्लैंड (जमशेदपुर), इंडिया बनाम वेस्टइंडीज (जमशेदपुर)
►पटना में हुए दलीप ट्रॉफी, विल्स ट्रॉफी और रणजी ट्रॉफी के आयोजन में भागीदारी।
संघों में पदाधिकारी के रूप में
►बीसीए 1935 में पांच साल तक जिला संयोजक और तीन साल अंपायर सब कमेटी के चेयरमैन।
►बिहार ओलंपिक संघ के कार्यकारिणी सदस्य
►पटना जिला क्रिकेट संघ के उपाध्यक्ष
►पटना जिला क्रिकेट संघ के चार वर्ष तक सहायक सचिव
►पटना फुटबॉल संघ के कोषाध्यक्ष (वर्तमान)
►वर्ष 2015 से 2018 तक बीसीए के कार्यकारी अध्यक्ष।
सेलेक्टर के रूप में
►1979 और 2003 में बीसीए (1935) के जूनियर सेलेक्शन कमेटी के सदस्य।
►पीडीसीए के सीनियर सलेक्शन टीम के चयन में भी सहभागिता