दरभंगा। बिहार क्रिकेट एसोसिएशन में अंधेरगर्दी है। कोई नियम कानून नहीं है। जो संगठन लोकतांत्रिक तरीके से चल रही है वह अवैध हो जाता है और जो संगठन असंवैधानिक तरीके से बिहार क्रिकेट एसोसिएशन की शह पर चल रहा है वह वैध हो जाता है। जो टीम अपना घरेलू क्रिकेट खेल कर गठित होती है उसके खिलाड़ी बैग एंड बैगेज वापस कर दिये जाते हैं और जो दो दिन के ट्रायल और दस-बीस के ट्रेनिंग से चुनी जाती है वह खेल लेती है। यह कहां का नियम है भाई। ये बातें मधुबनी जिला क्रिकेट संघ के अध्यक्ष प्रोफेसर विमल कुमार सिंह के नेतृत्व वाली गुट द्वारा गठित टीम के मैनेजर व खिलाड़ियों का कहना था।
इन सबों ने कहा कि दोनों टीमों को एकजुट कर खिलवाने का पूरा प्रयास किया पर बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के लालफीताशाही रवैए के कारण यह प्रयास विफल रहा। पिछले कुछ दिनों में मधुबनी जिला क्रिकेट संघ के अध्यक्ष प्रोफेसर विमल कुमार सिंह के दूरभाष पर आग्रह को बिहार क्रिकेट संघ के अध्यक्ष ने उपाध्यक्ष से बात करने के लिए कहा। उपाध्यक्ष फिर अध्यक्ष के पास जाने को बोल दिये। अंत में अध्यक्ष ने टूर्नामेंट कमेटी के पास भेजा। टूर्नामेंट कमेटी चेयरमैन ने वापस अध्यक्ष को मैटर रेफर कर दिया और फिर मिलाजुला कर भर दिन और देर रात तक टालते रहे।
दोनों टीमें (एक अध्यक्ष समेत अन्य चार पदाधिकारियों की और दूसरी सचिव के द्वारा गठित) सुबह टीम मैदान में पहुंच गई। आयोजन समिति हेमंत झा ने बहुत प्रयास किया कि बच्चे का भविष्य नहीं मारा जाए और मिलकर खेले पर सचिव गुट वाले नहीं माने और कहा कि मुझे अध्यक्ष का आदेश प्राप्त है, आप अध्यक्ष से बात कीजिए।
अध्यक्ष वाले गुट के मैनेजर व खिलाड़ियों ने कहा कि हेमंत झा का हम सब धन्यवाद करते हैं जो उन्होंने सार्थक प्रयास किया पर वे बीसीए अध्यक्ष के आदेश के आगे कुछ नहीं कर पाये हम सबों को कहा कि आप लोग वापस चले जाइए।
इसके बाद टीम के मैनेजर ने कहा कि हमें एक लिखित आदेश चाहिए। हम आए हैं आप उसको स्वीकार कीजिए और हम नहीं खेलने का कारण बता दीजिए हम चले जाते हैं। खिलाड़ियों का कहना था कि हम क्यों नहीं खेलने दिया जा रहा है संवैधानिक कारण बता दीजिए, हम चले जाएंगे वापस। वह भी देने में विलंब कर रहे थे। अंत में कुछ लिखकर टीम को मिला और टीम वापस आ गई है।
टीम के मैनेजर का कहना है कि यह लोकतांत्रिक ढांचे का पूर्ण रूप से बलात्कार है। कमेटी ऑफ मैनेजमेंट के चार पदाधिकारियों के हस्ताक्षर से गठित बेकार हो गई,भई वाह। लीग के पूर्ण समापन के बाद 5 सदस्यीय सिलेक्शन कमिटी द्वारा चयनित टीम, सभी सैलेक्टरों के संयुक्त हस्ताक्षर से घोषित टीम को कमेटी ऑफ मैनेजमेंट के द्वारा अग्रसारित 4 सदस्यों के हस्ताक्षर से अग्रसारित टीम को नहीं खेलने दिया जाता है और वहीं सिर्फ मात्र सचिव के द्वारा गठित टीम खेलने का मौका पा लेती है यह कैसा नियम है बीसीए अध्यक्ष जी।
मधुबनी के क्रिकेट जानकारों का कहना है कि आज यह मधुबनी के साथ हो रहा है कल किसी और जिला के साथ होगा। अगर जिलों के प्रतिनिधि नहीं संभले और बीसीए के फूट डालो राज करो की नीति के फेर में फंसे तो बिहार का क्रिकेट और रसातल में चला जायेगा।
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