Friday, September 26, 2025
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शान-ए-बिहार : बिहार फुटबॉल जगत में सूरज की तरह चमकता रहा है यह फुटबॉलर

by Khel Dhaba
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नवीन चंद्र
पटना। खेल समाचारों का वेबपोर्टल आपका अपना खेलढाबा.कॉम ने शान-ए-बिहार के नाम से एक वीडियो शृंखला चला रहा है। इस वीडियो शृंखला में आपको बिहार की वैसी खेल हस्ती के बारे में हम बताते हैं जिन्होंने राज्य, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय खेल जगत की क्षितिज पर अपने गांव, जिला, राज्य और देश का नाम रोशन किया है। इसी कड़ी में आज हम चर्चा कर रहे हैं बिहार के स्टार फुटबॉलर रवि कुमार सिंह की। तो आइए जानते हैं रवि कुमार सिंह के बारे में ढेर सारी बातें इस वीडियो के माध्यम से-

बिहार के सारण जिला के अमनौर के रहने वाले रवि कुमार सिंह को फुटबॉल से प्रेम स्कूली शिक्षा के दौरान हुई। फुटबॉल की एबीसीडी अमनौर हाईस्कूल में पढ़ते समय गुरू ब्रजी सिंह ने सिखाया। स्कूल से होता हुआ सफर स्टेट तक पहुंचा और वर्ष 1978-79 में सुब्रतो कप फुटबॉल में बिहार टीम का प्रतिनिधित्व किया। इसके बाद वे छपरा के स्टूडेंट क्लब से छपरा लीग खेलने लगे। इस दौरान गुरू ब्रह्मा प्रसाद ने कुछ तकनीकी ज्ञान दिया। स्टॉपर बैक से खेलने वाले रवि कुमार सिंह ने छपरा की ओर मोइनुल हक कप अंतर जिला फुटबॉल चैंपियनशिप में हिस्सा लिया और छा गए। वर्ष 1984 में बेहतर खेल के आधार पर खेल कोटे से बिहार पुलिस में नौकरी हो गई और वे पटना चले आये। बिहार पुलिस की ओर पटना लीग समेत अन्य टूर्नामेंटों में खेला और टीम को जीत दिलाई। बेहतर खेल के आधार पर इनका प्रोमोशन भी होता चला गया और वर्ष 1989 में ये एएसाई बन गए। वर्ष 1989 में ही इन्हें बिहार स्टेट टीम में जगह मिली और संतोष ट्रॉफी खेला और यह सफर लगातार 9 साल तक चला। संतोष ट्रॉफी में लगातार नौ साल तक खेलना बड़ी बात है और यह समकालीन फुटबॉलरों में एक रिकॉर्ड भी है। वर्ष 1991 में रवि कुमार सिंह बिहार पुलिस को छोड़ स्टेट बैंक को ज्वाइन कर लिया और अभी तक इसी टीम के साथ जुड़े हैं। वे ऑल इंडिया एसबीआई फुटबॉल टीम के भी सदस्य रहे और नेपाल में आयोजित हुए टूर्नामेंट में टीम को दो बार चैंपियन बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

स्टेट बैंक में उप प्रबंधक पद पर कार्यरत रवि कुमार सिंह वर्ष 1982 से वर्तमान समय तक लीग खेल रहे हैं जो एक कीर्तिमान हैं। स्टॉपर बैक से खेलने वाले रवि मैदान में विपक्षियों के लिए दीवार बन जाते हैं। फुटबॉलर जानकार इन्हें फ्री किक के मास्टर भी कहते हैं। आज भी रवि के पैरों में काफी दम है और गेंद इस गोलपोस्ट से उस गोलपोस्ट तक पहुंचाते हैं।

बिहार पुलिस से लेकर स्टेट टीम में रवि को कोच राघो सिंह, सी प्रसाद, मो हबीव, शशिनाथ भगत और शत्रुघ्न राय का पूरा साथ मिला। इन सबों से काफी कुछ सीखने को मिला और यह आगे बढ़ते चले गए।

रवि को अपने फुटबॉल कैरियर में पिता स्व. कमल सिंह, माता श्रीमती जगतारिनी देवी और भाई शशि कुमार सिंह पूरा सहयोग मिला। ये सब हमेशा हौसला अफजाई करते रहे। मां शुरुआती दिनों में यह जरूर चाहती थीं कि मेरा बेटा खेल की ओर न जाए पर जैसे-जैसे रवि आगे बढ़ते गए मां का भी साथ मिलता गया।

कोच के रूप में रवि कुमार सिंह की भूमिका सराहनीय रही। पटना लीग में खेलने वाली टीम पाटलिपुत्रा फुटबॉल क्लब को अपनी ट्रेनिंग में बी से ए डिवीजन में पहुंचाया। कॉलेज लाइफ में रवि ने बिहार विश्वविद्यालय टीम का प्रतिनिधित्व किया।

अभी भी रवि कुमार सिंह उसी दमखम में फुटबॉल मैदान में अपना जलवा बिखरते नजर आ जायेंगे। फुर्सत के क्षणों में वे बच्चों को टिप्स देते हैं और उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते रहते हैं।

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