28 C
Patna
Tuesday, October 22, 2024

Paralympic Athletics : कैसा होता है खिलाड़ियों का वर्गीकरण, कौन-कौन एथलीट ले सकते हैं भाग

यों तो सामान्य एथलेटिक्स खेलों और उसकी स्पर्धाओं के बारे में ज्यादात्तर लोगों को जानकारी होती है पर पैरालंपिक एथलेटिक्स और उनकी स्पर्धाओं के बारे में जानकारी आम तौर पर लोगों की उतनी नहीं होती है। अन्य खेल स्पर्धाओं में भागीदारी की अपेक्षा एथलेटिक्स की भागीदारी और पदक ज्यादा महत्वपूर्ण है।

पेरिस में समर ओलंपिक के बाद आने वाले पैरालंपिक खेलों की बारी है। पेरिस पैरालंपिक खेलों में भी एथलेटिक्स छाया रहेगा।

पैरालंपिक शारीरिक इम्पेयरमेंट वाले खिलाड़ियों का महाकुंभ है और यहां पदक जीतने का महत्व ओलंपिक से कम नहीं होता है। पैरालंपिक में एथलेटिक्स शारीरिक, दृष्टि और बौद्धिक तौर पर चैलेजिंग वर्गों के लिए खुला है। पैरालंपिक में एथलेटिक्स की सफलता भी सिर चढ़कर बोलती है। इसका पता पैरालंपिक खेलों में होने वाले इवेंट्स की बड़ी संख्या से चलता है। उदाहरण के लिए, 100 मीटर दौड़ को ही लें। ओलंपिक खेलों में पुरुष और महिलाओं के लिए केवल दो फाइनल होते हैं, जबकि टोक्यो 2020 पैरालंपिक खेलों में 29 फाइनल हुए थे। जिसमें पुरुषों के लिए 16 और महिलाओं के लिए 13 इवेंट हुए थे।

पैरा एथलेटिक्स का इतिहास खोजने के लिए साल 1952 में जाना होगा, जब रीढ़ की हड्डी की चोट वाले खिलाड़ियों ने स्टोक मैंडविल खेलों में भाला फेंक प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था। एथलेटिक्स उन पहले आठ खेलों में से एक था जिसे रोम 1960 में पहले पैरालंपिक कार्यक्रम में शामिल किया गया था। इसमें विभिन्न प्रकार के ट्रैक इवेंट्स (बाधा दौड़ और वॉकिंग इवेंट्स को छोड़कर), जंपिंग इवेंट्स, थ्रोइंग इवेंट्स (हैमर थ्रो को छोड़कर), और 1984 से शामिल की गई मैराथन जैसी प्रतियोगिताएं शामिल हैं।

उल्लेखनीय है कि पैरालंपिक खेलों में खिलाड़ियों का उनकी इंपेयरमेंट के हिसाब से वर्गीकरण होता है। पैरा एथलीट में भी यह वर्गीकरण काम करता है। खिलाड़ी अपने इम्पेयरमेंट के अनुसार अलग-अलग तरीकों से प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं, जैसे तीन पहियों वाली व्हीलचेयर, कृत्रिम अंग (प्रोस्थेसिस), या थ्रोइंग सीट का उपयोग किया जा सकता है। जिन खिलाड़ियों की दृष्टि कमजोर होती है, वे दौड़ के लिए गाइड रनर के साथ या थ्रो और जंपिंग प्रतियोगिताओं के लिए कोच की मदद से खेल सकते हैं।

हालांकि अगर आप सोच रहे हैं कि किसी भी तरह की इंपेयरमेंट वाले खिलाड़ी पैरा एथलीट बन सकते हैं तो ऐसा नहीं होता है। पैरा एथलेटिक्स में पैरालिसिस (पैराप्लेजिया और क्वाड्रीप्लेजिया), अंगों का कटना, दृष्टि संबंधी समस्याएं और अंधापन, सेरेब्रल पाल्सी, मानसिक क्षमता में कमी, छोटा कद जैसे खिलाड़ी भाग लेते हैं। किसी भी खेलों के सबसे प्रमुख इवेंट में से एक एथलेटिक्स के पैरालंपिक खेलों में वर्गीकरण एक नजर डालते हैं।

पैरालंपिक में खिलाड़ियों का वर्गीकरण एक अक्षर और नंबर के आधार पर होता है। यह सब खिलाड़ियों के शारीरिक इंपेयरमेंट पर निर्भर करता है।
अक्षर: टी (ट्रैक और जंप) या एफ ( फील्ड)
संख्या: 11-13: दृष्टि संबंधी अपंगता
20- मानसिक अपंगता
31-38: समन्वय संबंधी अपंगता (खड़े या बैठे हुए)
40-47: छोटा कद, अंग का कटना या अंग की कमी
T51-54: व्हीलचेयर (दौड़ या थ्रो)
61-64: निचले अंगों में प्रतिस्पर्धा कृत्रिम अंग के साथ खेलना
यहां 1 सबसे गंभीर इम्पेयरमेंट को और 8 सबसे कम गंभीर को दर्शाता है।

इन अक्षर और नंबर का कैसे इस्तेमाल होता है, इसको समझने के लिए टोक्यो पैरालंपिक में भारत के मेडल विजेता कुछ पैरा एथलीट पर नजर डालते हैं।

मरियप्पन थांगवेलु ने पुरुषों की ऊंची कूद टी42 में रजत पदक जीता।
शरद कुमार ने भी पुरुषों की ऊंची कूद टी42 में कांस्य पदक जीता।
प्रवीण कुमार ने पुरुषों की ऊंची कूद टी64 में रजत पदक जीता।
देवेंद्र झाझरिया ने पुरुषों की भाला फेंक एफ46 में रजत पदक जीता।
सुंदर सिंह गुर्जर ने पुरुषों की भाला फेंक एफ46 में कांस्य पदक जीता।
योगेश कथुनिया ने पुरुषों की डिस्कस फेंक एफ56 में रजत पदक जीता।
सुमित अंतिल ने पुरुषों की भाला फेंक एफ64 में स्वर्ण पदक जीता।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisement -spot_img

Latest Articles

Verified by MonsterInsights