Sunday, June 8, 2025
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अब नहीं दिखेगा बिहार के Ashutosh Aman का जलवा, धौनी स्टाइल में लिया संन्यास

by Khel Dhaba
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अपने पहले ही सीजन में 68 विकेट लेकर बिशन सिंह बेदी के ऑलटाइम रिकॉर्ड को तोड़ देने वाले बिहार के गया जिला के रहने वाले आशुतोष अमन का जलवा अब क्रिकेट मैदान पर नहीं दिखेगा। उन्होंने क्रिकेट से संन्यास लेने का मन बना लिया है। इसकी सूचना उन्होंने बोर्ड ऑफ कंट्रोल फॉर क्रिकेट इन इंडिया (बीसीसीआई) और बिहार क्रिकेट एसोसिएशन (बीसीए) को ईमेल कर दे दी है।

आशुतोष अमन के संन्यास लेने के बाद बिहार को अब नये कप्तान की जरुरत पड़ेगी, जिसके लिए कई दावेदार हैं। बीसीसीआई का घरेलू क्रिकेट सीजन शुरू हो चुका है और रणजी ट्रॉफी के पहले मैच में बिहार को 11 अक्टूबर को उतरना है। ऐसे में उनकी जगह जो भी लेगा, उसे अपना सर्वश्रेष्ठ देना होगा।

बिहार की 2018-19 में लगभग 18 साल बाद भारतीय क्रिकेट में वापसी हुई थी। तब से हर साल नये और कुछ अनुभवी खिलाड़ियों के साथ आशुतोष ने बिहार को आगे ले जाने का अथक प्रयास किया है। इसमें बीसीए को भी श्रेय दिया जाना चाहिए जिसने इस खिलाड़ी पर पूरा विश्वास जताया।

पिछले छह साल से बिहार क्रिकेट को अपने कंधों पर ले जाने वाले आशुतोष अमन ने इस अवधि में कई उतार-चढाव देखे। लेकिन एमएस धौनी स्टाइल में सही समय पर संन्यास का फैसला किया। बिहार को 2022-23 में प्लेट ग्रुप का चैंपियन बनाकर पहली बार रणजी ट्रॉफी के एलीट ग्रुप में पहुंचाने वाले इस कप्तान का हालांकि पिछले दो सीजन में खुद का प्रदर्शन उम्मीदों के अनुकूल नहीं रहा, लेकिन उनकी कप्तानी में टीम एलीट ग्रुप में बनी रही।

उन्होंने कहा कि अब नई प्रतिभाएं सामने आ रही हैं। हमने बहुत खेल लिया और सही समय पर संन्यास का फैसला लिया है। उनका मानना है कि इतने दिनों तक बिहारवासियों, बिहार क्रिकेट संघ और गया जिला क्रिकेट संघ का साथ मिला जिसे कभी नहीं भूल पांगा। यह पूछे जाने पर कि अब आप नहीं खेल रहे हैं तो कप्तानी किसे सौंपी जायेगी, 38 साल के आशुतोष अमन ने कहा कि यह फैसला तो सेलेक्टर्स को करना है। उन्होंने कहा कि जहां तक मेरा विचार है-शकीबुल गनी और बिपिन सौरभ समेत कुछ और प्लेयर हैं जिन्हें कमान सौंपी जा सकती है।

वैभव सूर्यवंशी के बारे में आशुतोष अमन ने कहा कि वह अच्छा खेल रहा है। अग्रेसिव बैटिंग करता है जो आज की डिमांड है। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में वैभव सूर्यवंशी और आगे जायेंगे और ऐसा पहली बार हो रहा है जब हाल के दिनों में बिहार की ओर से खेलते हुए कोई क्रिकेटर यहां तक पहुंचा है। यह दर्शाता है कि बिहार में प्रतिभा है। आशुतोष भोजपुरी में टीवी पर कमेंट्री कर रहे हैं और इस क्षेत्र में आगे जाने की चाहत रखते हैं। यह पूछने पर कि आप तो मगही क्षेत्र के रहने वाले हैं फिर भोजपुरी में कमेंट्री कैसे कर लेते हैं, के जवाब में आशुतोष अमन ने कहा कि गया जिले के जिस मोहल्ले में हम रहते हैं, वहां हमारे एक पड़ोसी भोजपुरी बोलने वाले हैं। बचपन में उनसे सीखा था। शुरू में कुछ दित हुई थी पर धीरे-धीरे सब ठीक हो गया।

उपलब्धियां

►2019-20 के सीजन में ईरानी कप मैच के लिए शेष भारत की टीम में चयन। हालांकि मैच खेलने का मौका नहीं मिला।
►पहले सीजन में बिशन सिंह बेदी के 64 विकेट के रिकॉर्ड को तोड़ा। उन्होंने 8 जनवरी 2019 को पटना में मणिपुर के खिलाफ यह उपलब्धि हासिल की।
►लगातार 28 रणजी मैचों में कप्तानी की, जो बिहार के लिए दलजीत सिंह के सबसे ज्यादा मैचों में कप्तानी के रिकॉर्ड की बराबरी है।
►2018-19 में रणजी मैच में कप्तानी के पहले ही मैच में शतक जमाया। ऐसा बिहार के लिए सिर्फ बलदेव सिंह गोसाई ही कर सके थे।
►जिस मैच में बेदी का रिकॉर्ड तोड़ा उसके अगले दिन ही उन्होंने हैट्रिक भी ली।
►रणजी ट्रॉफी में छह बार एक मैच में 10 या अधिक विकेट लिये। यह भी बिहार की ओर से बिमल बोस के बाद सबसे ज्यादा बार प्रदर्शन की बराबरी है।
►रणजी ट्रॉफी के एक मैच की दोनों पारियों में दो बार सात या अधिक विकेट लिया। ऐसा बिहार के लिए केवल शूटे बनर्जी और आनंद शुक्ला ही कर सके थे। बाद में अभिजीत साकेत ने भी इसे दोहराया।
►एक पारी में पांच विकेट लेने का कारनामा 15 बार किया। केवीपी राव की बराबरी की और अविनाश कुमार (20) तथा आनंद शुक्ला (19) के रिकॉर्ड से थोड़ा पीछे रहे।

जो न कर सके

►आशुतोष ने 34 रणजी मैचों में 999 रन बनाये। एक रन और बना लेते तो वह बिहार से 1000 रन बनाने और 100 विकेट का डबल करने वाले खिलाड़ियों में शामिल हो जाते।
►2019-20 में 49 विकेट हासिल किया था। एक विकेट और ले लेते तो लगातार दो सीजन में 50 विकेट लेने वाले गेंदबाज बन जाते।
►कोरोना काल के बाद सभी तीनों रणजी सीजन में आशुतोष के प्रदर्शन में गिरावट आई। 2021-22 में सिर्फ एक बार पांच विकेट ले सके जबकि पिछले दो सीजन में एक बार भी पारी में पांच विकेट नहीं ले सके।
►खुद के बढ़िया प्रदर्शन के बावजूद तीन रणजी सीजन में बिहार को एक भी मैच नहीं जीता सके।

(साभार : राष्ट्रीय सहारा पटना, मोहम्मद ईशाउद्दीन की स्पेशल रिपोर्ट)

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