संजय कुमार
पटना। राज्य के फुटबॉल एवं क्रिकेट खिलाड़ियों व प्रशासकों सहित इसकी राजनीति करने वालो के बीच यदि आपने इस खेल के कस्टमर केयर एंड संकटमोचक शब्द की बात की तो लोग स्वत: मुस्कुराते हुए समझ जाते हैं कि आप किन के बारे में बात कर रहे हैं और अब तो खुलेआम लोग इनके इस नामकरण से संबोधित व याद करते हैं। जी हां हम बात कर रहे हैं क्रिकेट के अरुण सिंह और फुटबॉल के मनोज कुमार के बारे में।


खिलाड़ी हो या अधिकारी किसी के सामने मैदान तैयार करने से लेकर आयोजन तक, प्रशिक्षण से लेकर खेलने तक, या ट्रायल हो या सेलेक्शन जब भी कोई असमंजस हो या उधेड़बुन में फंसे हों तो उसके समाधान के लिए सीधा इन दोनों से संपर्क साधते हैं या संपर्क करने की सलाह देते हैं। इसीलिए इन खेलों के लोगों ने इन दोनों को कस्टमरकेयर यानी संकटमोचक कहते हैं।
ये दोनों जमीन से जुड़े व्यक्ति हैं। हमेशा मैदान पर दिखाई पड़ते हैं। इन दोनों में काफी समानताएं हैं। अपने जमाने में ये बेहतर खिलाड़ी रहे हैं। ये दोनों अपने-अपने जिला संघ में समान पद पर विराजमान हैं। साथ ही ये दोनों निर्णायक भी हैं।
सबसे पहले हम चर्चा कर रहे हैं अरुण सिंह की। यह वह शख्स है जो अपनी पूरी जिंदगी क्रिकेट को समर्पित कर दी। इन्हें अगर आप फोन करेंगे तो आपको यही पता चलेगा अभी गर्दनीबाग मैदान में या सायंस कॉलेज में या पटना कॉलेज में या किसी क्रिकेट एकेडमी में बैठे हैं। इन जगहों पर या तो मैच का आयोजन कराने में व्यस्त हैं या उसकी तैयारी में जुटे हैं।




पटना क्रिकेट लीग में लगातार सात शतक जड़ने का रिकॉर्ड बनाने वाले अरुण सिंह वर्ष 2001 तक खिलाड़ी रूप में सक्रिय रहे है। इस दौरान वे बिना पद पर रहे पटना में होने वाली घरेलू क्रिकेट लीग सहित अन्य आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका भी अदा की। पिछले चुनाव में पद पर आने के बाद उनके कामों में कोई बदलाव नहीं आया और वह अबतक जारी है।
पटना ही नहीं राज्य के किसी खिलाड़ी या पदाधिकारी को किसी भी समस्या का समाधान निकलता नहीं दिखता है तो अरुण सिंह से संपर्क साधते है। अगर उनकी समस्याएं उचित रहती हैं तो उसका समाधान भी हो जाता है। राजधानी में होने वाले बड़े आयोजन में इनकी अहम भागीदारी रहती है। अरुण सिंह पटना जिला क्रिकेट संघ में संयुक्त सचिव/सहायक सचिव के पद पर कार्यरत हैं।



अब बात मनोज कुमार की। खिलाड़ी के रूप में इनका कैरियर शानदार रहा। स्कूली टूर्नामेंट से लेकर संघों के टूर्नामेंट में राष्ट्रीय स्तर पर खेला। एजी में नौकरी लगते-लगते रह गई। इस शख्स को भी आप राजधानी में होने वाले खेल आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका के रूप में देखेंगे। आयोजन कराने की तैयारियों से लेकर निर्णायक की भूमिका में आपको दिख जायेंगे।


पटना के घरेलू लीग, बिहार फुटबॉल संघ के घरेलू टूर्नामेंट सहित राज्य में होने वाले आमंत्रण फुटबॉल टूर्नामेंट में इनकी भागीदारी होती है। आमंत्रण फुटबॉल टूर्नामेंट में भाग लेने वाली टीमों को बुलाने से लेकर इसके आयोजन को सफल बनाने के लिए ज्यादात्तर आयोजक इनकी मदद अवश्य लेते हैं और मनोज कुमार भी इसमें योगदान फुटबॉल को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। वर्तमान समय में वे पटना फुटबॉल संघ में संयुक्त सचिव के पद पर कार्यरत हैं।
अगर आपके पास इन दोनों खेलों से जुड़ी हुई कोई भी समस्या है या भविष्य में आती है तो आप बेहिचक इन दोनों खेलों के कस्टमरकेयर यानी संकटमोचक से संपर्क कर सकते हैं।