पटना, 29 मार्च। लैक्रोस खेल। यह नाम आपके लिए नया हो सकता है पर यह काफी पुराना खेल है। अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने लॉस एंजिल्स में 2028 खेलों में लैक्रोस को शामिल करने की मंजूरी दे दी है। नए गेम और उसके नियमों के बारे में जानें-
लैक्रोस एक टीम स्पोर्ट है जिसे लैक्रोस स्टिक और लैक्रोस बॉल के साथ खेला जाता है। यह उत्तरी अमेरिका का सबसे पुराना संगठित खेल है जिसकी उत्पत्ति उत्तरी अमेरिका के स्वदेशी लोगों के साथ 12वीं शताब्दी में हुई थी। इस खेल को यूरोपीय उपनिवेशवादियों द्वारा बड़े पैमाने पर हिंसा को कम करने के लिए इसके वर्तमान कॉलेजिएट और पेशेवर रूप को बनाने के लिए संशोधित किया गया था।
इसे भी पढ़ें :राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए बिहार सीनियर lacrosse team घोषित
भारत में भी यह गेम धीरे-धीरे पोपुलर हो रहा है। इसकी राष्ट्रीय प्रतियोगिताएं हो रही हैं और लोगों को जानकारी देने के लिए वर्कशॉप भी आयोजित किये जा रहे है। इंडियन लैक्रोस के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय मिथुन हैं और राष्ट्रीय जर्नल सचिव तौसीफ अहमद लारी हैं। जिन्होंने देश के हर राज्य में अपनी टीमों को प्रशिक्षित किया और समितियों का गठन किया।
बिहार में इस गेम का संगठन है और वह इसे पोपुलर करने में जुटा है। आगरा में आयोजित राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए बिहार की टीम रवाना हुई है।
लैक्रोस का खेल क्या है
इस खेल में लैक्रोस स्टिक और लैक्रोस बॉल का उपयोग किया जाता है। इसकी उत्पत्ति 12वीं शताब्दी में उत्तरी अमेरिका में हुई थी। इस खेल में, खिलाड़ी गेंद को हिलाने, पास करने, पकड़ने और स्कोर करने के लिए लैक्रोस स्टिक के हेड का उपयोग करते हैं। गेम के चार संस्करण हैं। उनके पास अलग-अलग छड़ें, क्षेत्र, नियम और उपकरण हैं। ये हैं फ़ील्ड लैक्रोस, महिला लैक्रोस, बॉक्स लैक्रोस और इंटरक्रॉस।
लैक्रोस के नियम क्या हैं
खेल 45 मिनट तक चलता है। 5 मिनट का ब्रेक है। अन्यथा, प्रत्येक 8 मिनट के पांच राउंड होते हैं। टीम के पास गोल करने के लिए केवल 30 सेकंड का समय है। इस खेल को कई दशक पहले ओलंपिक खेलों में शामिल किया गया था। यह खेल 1904 और 1908 के ओलंपिक खेलों में खेला गया था। यह खेल 1928, 1932 और 1948 में दिखाया गया था।