Monday, June 23, 2025
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जानिए कैसे पीवी सिंधु की एक प्रशंसक अनहित सिंह बनी स्क्वैश सनसनी

by Khel Dhaba
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भारत की युवा स्क्वॉश सनसनी अनहत सिंह ने शुक्रवार को अपने राष्ट्रमंडल खेल अभियान की शुरुआत जीत से करते हुए सेंट विंसेंट और ग्रेनेडिंस की जाडा रॉस को मात दी। स्क्वॉश के सबसे ऊंचे मंच राष्ट्रमंडल खेलों में पहली बार अपना हुनर आजमाने उतरी 14 साल की अनहत ने जाडा को 11-5, 11-2, 11-0 से शिकस्त दी। अनहत सिंह अभी सुर्खियों में हैं तो आइए जानते हैं अनहत सिंह के बारे में

अनहत सिंह का जन्म 13 मार्च 2008 को दिल्ली में हुआ था। उनके पिता गुरशरण सिंह पेशे से एक वकील हैं जबकि उनकी मां तानी वदेहरा सिंह एक इंटीरियर डिजाइनर हैं।

अनहत के परिवार का खेल के प्रति शुरू से ही काफी गहरा लगाव है, क्योंकि गुरशरण और तानी दोनों ने अपनी युवावस्था में हॉकी खेल में अपना हाथ आजमाया था।

अनहत की बड़ी बहन अमीरा भी एक बेहतरीन स्क्वैश खिलाड़ी हैं। वह अपनी स्नातक की डिग्री हासिल करने के लिए हार्वर्ड विश्वविद्यालय जाने से पहले देश की शीर्ष रेटेड अंडर-19 खिलाड़ियों में से एक थीं। वह अभी भी हार्वर्ड महिला टीम के लिए स्क्वैश खेलती हैं।

हालांकि अनहत को पहले बैडमिंटन के प्रति काफी गहरा लगाव था, लेकिन बाद में उन्होंने स्क्वैश को अपना प्रोफेशन चुना।

अनहत छह साल की उम्र में पीवी सिंधु को दिल्ली में इंडिया ओपन में खेलते हुए देखकर बैडमिंटन के प्रति मोहित हो गई थी और इस खेल में आगे जाने का फैसला किया। उन्होंने दिल्ली में कुछ युवा स्तर के टूर्नामेंट भी जीते।

अनहत सिंह आज भी पीवी सिंधु की बहुत बड़ी प्रशंसक हैं और राष्ट्रमंडल खेल गांव में दो बार की ओलंपिक पदक विजेता से मिलना निश्चित रूप से उनके लिए एक सपने के सच होने जैसा होगा।

अनहत ने आठ साल की उम्र में स्क्वैश खेलना शुरू कर दिया था।

अनहत की मां तानी वढेरा ने कहा कि अनहत को बैडमिंटन पसंद था, लेकिन माता-पिता के रूप में हम टूर्नामेंट के लिए उनकी बड़ी बहन अमीरा के साथ यात्रा करते थे और अनहत घर में अकेले नहीं रहना चाहती थी। इसके बाद उन्होंने बैडमिंटन से स्क्वैश के प्रति रूख किया।

अनहत कहती हैं, “मैं इसके लिए तैयार थी क्योंकि मुझे दीवार से टकराने वाली गेंद की आवाज पसंद थी।”

अपनी बहन अमीरा और राष्ट्रीय स्तर के पूर्व स्क्वैश खिलाड़ी अमजद खान और अशरफ हुसैन द्वारा प्रशिक्षित अनहत सिंह को भारत में स्क्वैश के भविष्य के रूप में खुद को स्थापित करने में बहुत कम समय लगा।

वह कुछ ही समय में अंडर-11 कैटेगरी में भारत की नंबर 1 बन खिलाड़ी बनकर अंडर-13 कैटेगरी में पहुंच गईं। जहां वह न केवल भारत में बल्कि एशिया और यूरोप में भी नंबर 1 पर पहुंच गईं।

अनहत सिंह ने साल 2019 में भारत के लिए पहली बार ब्रिटिश ओपन स्क्वैश टूर्नामेंट में अंडर -11 गर्ल्स की कैटेगरी में स्वर्ण पदक जीतने के बाद प्रसिद्धि हासिल की। उसके बाद इस होनहार खिलाड़ी ने एशियाई जूनियर चैंपियनशिप में भी कांस्य पदक जीता।

साल 2020 में, दिल्ली के चाणक्यपुरी में ब्रिटिश स्कूल की छात्रा अनहत ने ब्रिटिश और मलेशियाई जूनियर ओपन टूर्नामेंट में रजत पदक जीता। हालांकि इस दौरान COVID-19 ने पूरी दुनिया को अस्त-व्यस्त कर दिया।

अनहत ने फिलाडेल्फिया में यूएस ओपन 2021 जूनियर (अंडर -15) स्क्वैश खिताब जीतने के लिए कोर्ट में वापसी की। बता दें कि इस दौरान अनहत इस आयु वर्ग में यूएस ओपन चैंपियन बनने वाली पहली भारतीय महिला बनीं।

साल 2022 उनका अब तक का सबसे बेहतरीन सीजन रहा है।

अनहत यहीं नहीं रूकी, उन्होंने अपनी ट्रॉफी कैबिनेट में जर्मन और डच ओपन खिताब जोड़ने के अलावा जून में थाईलैंड में हुए एशियाई जूनियर स्क्वैश चैंपियनशिप 2022 में अंडर -15 में स्वर्ण पदक का खिताब हासिल किया।

अनहत सिंह ने जीत के साथ ही चेन्नई में नेशनल कैंप में अपना स्थान हासिल किया। जहां उन्होंने सभी को अपने खेल से प्रभावित किया और बर्मिंघम खेलों के लिए भारतीय स्क्वैश टीम में जगह बनाई।

फिलहाल वह महिला एकल में भाग लेंगी और युगल में सुनयना कुरुविला के साथ जोड़ी बनाएंगी।

अनहत के कोच ऋत्विक भट्टाचार्य ने फर्स्टस्पोर्ट से बात करते हुए कहा, “अनहत को राष्ट्रमंडल खेलों में हराना बहुत मुश्किल होने वाला है। उसकी कोई कमजोरी नहीं है। सबसे खूबसूरत बात ये है कि उस पर कोई दबाव नहीं है।

कोच ने आगे कहा, “वह एक बहुत ही सुलझी हुई स्क्वैश खिलाड़ी है और अपने खेल को आवश्यकतानुसार ढालती है।”

ऋत्विक अनाहत सिंह की सहज और सुरुचिपूर्ण शैली की तुलना महान पाकिस्तानी स्क्वैश खिलाड़ी जंशेर खान से भी करते हैं।

अनाहत सिंह ने नैन्सी, फ्रांस में विश्व जूनियर्स स्क्वैश चैंपियनशिप 2022 के लिए भी क्वालीफाई किया है, जो 9 अगस्त से शुरू हो रहा है। इस टूर्नामेंट में शामिल होने वाली वह सबसे कम उम्र की भारतीय होंगी।
साभार : olympics.com

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