नई दिल्ली। आईसीसी ने दुनिया भर के क्रिकेट बोर्ड के सामने यह मसौदा पेश किया है कि सभी बोर्ड अपने घरेलू टूर्नामेंट के आयोजन के लिए भी आईसीसी से मंजूरी लें। इसमें आईपीएल, बिग बैश जैसी टी-20 क्रिकेट लीग भी शामिल हैं, जिनमें इंटरनेशनल खिलाड़ी भी खेलते हैं।
इन लीग के अलावा घरेलू सर्किट के टूर्नमेंट्स जैसे रणजी ट्रॉफी, दलीप ट्रॉफी, शेफील्ड शील्ड, वनडे कप, काउंटी क्रिकेट जैसे घरेलू टूर्नामेंट्स भी शामिल हैं।
बीसीसीआई ने आईसीसी के इस नए मसौदे का विरोध किया है। बीसीसीआई कतई यह नहीं चाहता है कि उसे अपने घरेलू टूर्नामेंट्स, जिनमें आईपीएल जैसा अहम टूर्नामेंट भी शामिल है, उनके आयोजनों के लिए आईसीसी की मंजूरी लेनी पड़ी।
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार आईसीसी के इस मसौदे में यह नियम भी है कि इंटरनेशनल खिलाड़ी अपने बोर्ड द्वारा चलाई जा रही टी-20 लीग के अलावा दूसरे देशों की किसी एक लीग में ही खेल सकते हैं। बीसीसीआई के एक शीर्ष अधिकारी ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, दुनिया भर के क्रिकेट बोर्डों द्वारा 100 से ज्यादा घरेलू टूर्नामेंट्स खेले जाते हैं। बीसीसीआई मानता है कि इन टूर्नामेंट्स में आईसीसी को रोल बहुत सीमित होना चाहिए। इस अधिकारी ने बताया कि इस प्रस्ताव पर बीसीसीआई ने अपनी असहमति पर अपनी राय आईसीसी को वापस भेज दी है।
इस अधिकारी ने बताया कि आईसीसी के इस मसौदे के खिलाफ सिर्फ बीसीसीआई ही नहीं बल्कि आईसीसी में मजूबत माने जाने वाले दूसरे क्रिकेट बोर्ड जैसे, इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड और क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया भी इसके विरोध में हैं।
बीसीसीआई के इस अधिकारी ने बताया, ‘ऐक्टिव इंटरनेशनल क्रिकेटर को यदि सिर्फ एक ही लीग में खेलने का मौका मिलेगा तो इस बात की बहुत संभावनाएं हैं कि जिन देशों के क्रिकेट बोर्ड बीसीसीआई, सीए और इसीबी की तरह मजबूत कॉन्ट्रैक्ट नहीं देते तो उन देशों के खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से बहुत जल्दी ही संन्यास ले लेंगे।’
उन्होंने कहा, ‘उदाहरण के रूप में आप आंद्रे रसल का ही नाम ले लीजिए, जो सिर्फ वेस्टइंडीज के लिए खेलकर बहुत अधिक पैसा नहीं कमा पाएंगे। ऐसे में वह इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास लेकर दूसरी क्रिकेट लीग में अधिक पैसा कमाने के अवसर तलाशेंगे। यह सभी को पता है कि वेस्ट इंडीज क्रिकेट बोर्ड अपने केंद्रीय कॉन्ट्रैक्ट से उन्हें इतना पैसा नहीं दे सकता, जितना वह दूसरी क्रिकेट लीग में खेलकर कमा लेते हैं।’
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