Wednesday, August 13, 2025
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GOOD क्रिकेटर बना BEST हेडमास्टर & क्रिकेट एडमिनिस्ट्रेटर, जानें उनके बारे में

by Khel Dhaba
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मधु शर्मा
पटना। स्कूल, कॉलेज और क्लब लेवल तक क्रिकेट खेला। जितना खेला शानदार खेला। बेहतर पढ़ाई की और फिर सरकारी स्कूल में टीचर बन गए। वर्तमान में वे हेडमास्टर हैं और क्रिकेट एडमिनिस्ट्रेटर। दोनों क्षेत्रों में शानदार काम कर रहे हैं। स्कूल और क्रिकेट ग्राउंड दोनों चकाचक। क्रिकेट एडमिनिस्ट्रेटर के रूप में कम ही समय में शानदार ऊचाईयां छू लीं और एक मॉडल स्थापित कर दिया। यह दिग्गज हस्ती हैं असीम कुमार सिंह। तो आईए जानते हैं चाईबासा (पश्चिम सिंहभूम) के माडॅल नगरपालिका बांग्ला स्कूल के हेडमास्टर और पश्चिमी सिंहभूम क्रिकेट संघ के सचिव असीम कुमार सिंह के बारे में-

बिहार के सीएम नीतीश कुमार के गृह जिला नालंदा के रानीपुर (तेल्हाड़ा) के रहने वाले असीम कुमार सिंह की स्कूल से लेकर कॉलेज तक की पढ़ाई चाईबासा में हुई। चाईबासा के संत जेवियर्स हाईस्कूल से मैट्रिक की परीक्षा प्रथम श्रेणी से वर्ष 1982 में पास की। वर्ष 1984 में टाटा कॉलेज से इंटरमीडिएट और वर्ष 1987 में इसी कॉलेज से जियोलॉजी में स्नातक की डिग्री ली। पढ़ाई का सिलसिला यहीं नहीं रुका वर्ष 1990 में उन्होंने इसी कॉलेज से जियोलॉजी में स्नातकोत्तर की परीक्षा प्रथम श्रेणी से पास की। स्नातक और इंटरमीडिएट की परीक्षा भी इन्होंने फस्र्ट क्लास से पास किया।

वर्ष 1994 में बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा ली गई प्राइमरी टीचर की परीक्षा पास कर चाईबासा के मारवाड़ी हिंदी मिडिल स्कूल में शिक्षक के रूप में नियुक्त किये गए। यहां 24 साल तक पदस्थापित रहे। वर्तमान समय में चाईबासा के मॉडल नगरपालिका बांग्ला स्कूल में हेडमास्टर के रूप में पदस्थापित हैं। आप स्कूल की बिल्डिंग देख कर और पढ़ाने का तरीका देख कर समझ जायेंगे कि इनके नेतृत्व में स्कूल का विकास किस तरह हो रहा है। यह स्कूल झारखंड के चुनिंदा सरकारी स्कूलों में गिना जाता है। कुल 410 बच्चे यहां पढ़ते हैं। स्कूल में स्मार्ट क्लास, आईसीटी लैब, लाइब्रेरी, कॉमन रूम, डाइनिंग रूम, स्टॉफ रूम और प्रिसिंपल रूम है। सारे के सारे सुसज्जित। पिछले साल 8वीं बोर्ड परीक्षा में 95 प्रतिशत परीक्षाफल रहा।

अब बात उनके क्रिकेटर के रूप में कैरियर की। वर्ष 1982 तक 1990 तक लोकल क्लब और कॉलेज लेवल पर शानदार क्रिकेट खेला। कई मौके पर रांची यूनिवर्सिटी इंटर कॉलेज क्रिकेट टूर्नामेंट में टाटा कॉलेज का प्रतिनिधित्व व नेतृत्व किया। खिलाड़ी रहते ही असीम कुमार सिंह ने क्रिकेट एडमिनिस्ट्रेटर के रूप में काम करना शुरू कर दिया था। खिलाड़ी होते हुए वर्ष 1990 में चाईबासा में जेडी शारदा क्रिकेट टूर्नामेंट की शुरुआत की। इसके बाद वर्ष 1991 में बीएल नेवाटिया क्रिकेट टूर्नामेंट की शुरुआत की। इन दोनों टूर्नामेंटों का बहुत महत्व था और कई दिग्गज खिलाड़ी इसमें खेलने आते थे।


इन दोनों फील्ड में अव्वल रहे असीम कुमार सिंह क्रिकेट एडमिनिस्ट्रेटर के रूप में खूब ख्याति पाई। पश्चिमी जिला को एक बेहतरीन क्रिकेट सेंटर के रूप में विकसित किया। यहां के खिलाड़ियों को तराश कर न केवल स्टेट टीम में जगह दिलाई पर इंटरनेशनल टूर्नामेंटों तक का सफर कराया। अपने जिला क्रिकेट लीग को पूरा पारदर्शी बनाया। असीम कुमार सिंह ने पश्चिमी सिंहभूम क्रिकेट संघ की कमान वर्ष 2001 में संभाली जब पश्चिमी सिंहभूम और सरायकेला अलग-अलग जिला क्रिकेट संघ बने। इस पद पर वे अभी तक बने हैं। वर्ष 2006 में असीम सिंह झारखंड राज्य क्रिकेट संघ (जेएससीए) के सहायक सचिव बनाये। 12 वर्षों तक इस पद पर रहे। जब वे संयुक्त सचिव थे तो टूर्नामेंट कमेटी, अंपायर सब कमेटी, स्टेटिक सब कमेटी, क्रिकेट डेवलपमेंट कमेटी, वीमेन क्रिकेट कमेटी और कई सेलेक्शन सब कमेटी के संयोजक के रूप में कार्य किया। वर्ष 2017 जब उपाध्यक्ष बने और सभी कमिटियों के संयोजक भार संभाला। असीम सिंह महिला क्रिकेट को बढ़ावा देने के लिए भी जाने जाते हैं। इसी का नतीजा है कि झारखंड महिला टीम में इस जिले कई महिला खिलाड़ी हैं। वे वर्ष 2008 में नई दिल्ली में इंग्लैंड बनाम भारत के बीच खेले गए वनडे मैच में बीसीसीआई के आब्र्जबर थे। 2009 में भारत एवं ऑस्ट्रेलिया के बीच नागपुर में हुए चौथे एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय मैच में बतौर पर्यवेक्षक की भूमिका निभाई।

एक बेहतरीन क्रिकेट ग्राउंड को किया डेवलअप
वर्तमान में चाईबासा झारखंड क्रिकेट जगत में एक शानदार क्रिकेट सेंटर के रूप में जाना जाता है। यहां पर न केवल जेएससीए के घरेलू क्रिकेट बल्कि बीसीसीआई के मैचों का भी आयोजन होता है। हर साल पश्चिम सिंहभूम जिला क्रिकेट संघ अपने घरेलू, जेएससीए टूर्नामेंट के मैच और बीसीसीआई के मैच को मिला कर कुल 120 मैचों का आयोजन करता है। असीम कुमार सिंह और पश्चिमी सिंहभूम जिला क्रिकेट संघ के प्रयास से यहां चाईबासा क्रिकेट स्टेडियम का निर्माण हुआ। यहां पर जिला प्रशासन सायंस कॉम्प्लेक्स बनाना चाहता था। इसके बाद मेगा स्पोट्र्स कॉम्प्लेक्स का प्रोजेक्ट आया, लेकिन सचिव असीम कुमार सिंह और अध्यक्ष नंदलाल रुंगटा ने सरकार को यहां क्रिकेट स्टेडियम बनाने का प्रस्ताव दिया जिसे प्रशासन ने मान लिया और इसे बनाने के लिए 52 लाख की राशि स्वीकृत की। इसके अलावा नंदलाल रुंगटा ने एसआर रुंगटा पवेलियन बनाने के लिए 50 लाख दिये। झारखंड राज्य क्रिकेट संघ ने दो टर्फ विकेट समेत अन्य कामों के लिए 2.5 लाख दिये। वर्ष 2004 में यह क्रिकेट स्टेडियम बन कर तैयार हुआ और नाम रखा बिरसा मुंडा क्रिकेट स्टेडियम। वर्ष 2007 में झारखंड और सिक्किम के बीच विजय मर्चेंट ट्रॉफी का मैच खेला गया जो पहला बोर्ड मैच था। पश्चिमी सिंहभूम झारखंड का एकमात्र जिला क्रिकेट संघ है जिसका अपना क्रिकेट ग्राउंड है। पश्चिम सिंहभूम जिला क्रिकेट संघ द्वारा आयोजित क्रिकेट टूर्नामेंट के गवाह रमेश सक्सेना और सबा करीम मुख्य अतिथि के रूप उपस्थित होकर बने है जो हमारे लिए गर्व की बात है।

इस विकास में नंदलाल रुंगटा भी बड़ा योगदान
पश्चिमी सिंहभूम में क्रिकेट की गतिविधियां एक तय सिस्टम के अनुसार होती है। अक्टूबर माह में सीजन चालू हो जाता है जो जून आते-आते समाप्त। असीम सिंह कहते हैं कि इतने बड़े फॉर्मेट का सही ढ़ग से संचालन करना अकेले के वश की बात नहीं है। इसमें हमें अध्यक्ष नंदलाल रुंगटा का बड़ा योगदान है। वे न केवल आर्थिक सपोर्ट बल्कि मोरल बूस्टअप के लिए हमेशा आगे रहते हैं। संघ के अन्य पदाधिकारियों और क्रिकेट प्रेमियों का इसमें काफी योगदान है।

इन खिलाड़ियों ने किया है जिला का नाम रौशन
पश्चिम सिंहभूम जिला क्रिकेट संघ के प्लेयर यजुवेंद्र कृष्णत्रयी इंडिया ए और रणजी ट्रॉफी खेल चुके हैं। अनुकूल राय अंडर-19 विश्व कप क्रिकेट के विजेता टीम के सदस्य रहे हैं और वह अभी झारखंड की ओर बीसीसआई के टूर्नामेंट में खेल रहे हैं। वे आईपीएल फ्रेंचाइजी टीम मुंबई इंडियंस के सदस्य हैं। कुमार सूरज ने अंडर-22 भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया और उनका पिछले साल रणजी ट्रॉफी में डेव्यू हुआ है। प्रकाश सित रणजी ट्रॉफी खेल चुके हैं।

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