भारतीय बैडमिंटन के शुरूआती दौर के सुपरस्टार में से एक नंदू नाटेकर का उम्र संबंधी बीमारियों के कारण यहां बुधवार को निधन हो गया। वह 88 वर्ष के थे। नाटेकर जब कोर्ट पर खेलते थे तो उनकी तुलना अक्सर किसी बैले नर्तक से की जाती थी।
अपने कैरियर में उन्होंने 100 से अधिक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खिताब जीते। उनके परिवार में पूर्व डेविस कप खिलाड़ी बेटा गौरव और दो बेटियां हैं।
नाटेकर के निधन पर बिहार बैडमिंटन संघ के अध्यक्ष बिहार सरकार के पूर्व मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी, सचिव के.एन.जसवाल, पटना जिला बैडमिंटन के अध्यक्ष उपेंद्र कुमार सिन्हा एवं पूर्व राज्य चैंपियन बद्री प्रसाद रस्तोगी, अरुणा मिश्रा, पीडीपीए पूर्व सचिव सुरेंद्र कुमार सिन्हा ने शोक व्यक्त किया।
नाटेकर 1956 में अंतरराष्ट्रीय खिताब जीतने वाले पहले भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी थे। अपने समय के सबसे लोकप्रिय खिलाड़ियों में से एक माने जाने वाले नाटेकर दुनिया के पूर्व नंबर तीन खिलाड़ी थे।
पश्चिमी महाराष्ट्र के सांगली में जन्मे नाटेकर को 1961 में पहले अर्जुन पुरस्कार से नवाजा गया। छह बार के राष्ट्रीय एकल चैम्पियन नाटेकर ने 20 वर्ष की उम्र में भारत के लिये खेलना शुरू किया। नाटेकर ने 15 साल से अधिक के अपने कैरियर के दौरान 1954 में प्रतिष्ठित ऑल इंग्लैंड चैंपियनशिप के क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई और 1956 में सेलांगर अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट जीतकर अंतरराष्ट्रीय खिताब जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बने।
उन्होंने 1951 से 1963 के बीच थॉमस कप में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व करते हुए अपने 16 में से 12 एकल और 16 में से आठ युगल मुकाबले जीते थे। उन्होंने और मीना शाह ने 1962 में बैंकाक में किंग्स कप अंतरराष्ट्रीय मिश्रित युगल खिताब जीता। उन्होंने एक साल बाद एकल खिताब भी अपने नाम किया।
उन्होंने जमैका में 1965 राष्ट्रमंडल खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। वह 1954 आल इंग्लैंड चैम्पियनशिप के क्वार्टर फाइनल तक पहुंचे। नाटेकर महाराष्ट्र बैडमिंटन संघ में 1990 से 1994 तक अध्यक्ष रहे।