महेंद्र सिंह धौनी (MS Dhoni) को भारतीय क्रिकेट टीम का सदस्य होना काफी मुश्किल भरा रहा। उन्हें इस मुकाम तक पहुंचने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। इस बात का खुलासा भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व सेलेक्टर किरण मोरे (Kiran More) ने खुलासा किया है। माही का चयन कैसे हुआ इस बात पर किरण मोरे ने बड़ी बात कही है।
किरण मोरे अपनी अगुवाई में भारत को सभी आईसीसी ट्रॉफी दिलाई है। महेंद्र सिंह धौनी ने साल 2020 में इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा कह दिया है और फैंस आज भी उनकी लीडरशिप को मिस करते हैं।
किरण मोरे (Kiran More) ने कहा कि एमएस धौनी (MS Dhoni) के लिए सौरभ गांगुली (Sourav Ganguly) को मनाने में उन्हें 10 दिन लगे। उस वक्त हमें एक ऐसे विकेटकीपर की तलाश थी जो आक्रामक बल्लेबाजी भी कर सके और राहुल द्रविड़ (Rahul Dravid) की जगह ले सके और हमारी तलाश धौनी पर जाकर खत्म हुई।
किरण मोरे (Kiran More) ने कहा कि उस वक्त हम एक पावर हिटर की तलाश कर रहे थे जो छठे या 7वें नंबर पर आकर तेजी से 40-50 रन जोड़ सके। राहुल द्रविड़ विकेटकीपिंग कर रहे थे और 75 मैच बतौर विकेटकीपर खेल चुके थे। इस वजह से हम विकेटकीपर की तलाश जोर-शोर से कर रहे थे।
साल 2004 में दलीप ट्रॉफी का फाइनल मैच ईस्ट जोन और नॉर्थ जोन के बीच खेला गया। ईस्ट जोन की तरफ से दीपदास गुप्ता विकेटकीपर थे, लेकिन एमएस धौनी (MS Dhoni) की विकेटकीपिंग के लिए सौरव गांगुली को मनाने में काफी दिक्कतें हुईं।
किरण मोरे कहते हैं कि, ‘मेरे सहयोगी ने धौनी की बल्लेबाजी पहले देखी थी, फिर मैंने उन्हें देखा, धौनी ने उस मैच में 170 में से 130 रन बनाए थे। हम चाहते थे कि फाइनल में धौनी बतौर विकेटकीपर खेलें। इसके बाद गांगुली और दीपदास गुप्ता से मेरी काफी बहस भी हुई थी। फिर मुझे सौरभ और उनके सेलेक्टर्स को फाइनल में दीपदास गुप्ता से विकेटकीपिंग न कराने और धौनी को कीपिंग सौंपने के लिए समझाने में 10 दिन लग गए।