पटना। बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के पूर्व अधिकारियों ने एक बार फिर हुंकार भरी है और सबों को एक कर संघ के वर्तमान गतिविधियों पर अंकुश लगाने और उसे सुधारने के लिए कदम उठाने की बात कही है। इसमें कुछ ने अपनी गलतियों को मानते हुए कहा कि हमें असंवैधानिक कार्यों पर अंकुश लगाना होगा। यह बातचीत (चैट) हुई है बीसीए फाउंडर मेंबर ग्रुप में। इसमें बीसीए के पूर्व कोषाध्यक्ष आनंद कुमार ने अपनी बात रखी जिसका पूर्व सचिव रविशंकर प्रसाद ने समर्थन किया। पूर्व अध्यक्ष गोपाल बोहरा ने अपनी लेखनी में कुछ गलतियों को मानते हुए एक होने की बात कही है। इस ग्रुप में हुए चैट को खेलढाबा.कॉम आपके सामने प्रस्तुत कर रहा है-

आज जिस परिस्थिति से बी सी ए गुजर रहा है उसे किसी भी परिस्थिति को अच्छा नहीं कहा जा सकता है। इसके निर्माण मे बहुत सारे लोंगो ने जिस तरह अपने तन, मन तथा धन से इसको सिंचा है उसका उदहारण और कहीं नहीं मिल सकता है। मैं ऐसा इसलिये कह रहा हूँ क्योंकि जितने भी पुराने सचिव है उन्होने कितनी बार ऐसा भी किया होगा कि घर में सब्जी का पैसा ना दिया हो,बेटा का फीस उधार रखा हो लेकिन अगर टीम खेलने जा रही हो तो उधार लेकर भी पैसा टीम को लोग देते थे। आज जब बीसीए अपने आप में काफी मजबूत है तो उसके कार्य कलाप को देखकर रोना आता है। क्या आपको ऐसा नहीं लगता है कि जो पुराने हमारे साथी हैं उनको एक बार फिर अपने आप में जवानी ला कर बीसीए को सही रास्ते पर लाने की जरूरत है क्या हम सभी पुराने लोग इस काम में सब लोग एकजुट होकर फिर से हुंकार भरने की जरूरत नहीं है। अगर है तो मैं इसके लिये आपको आह्वान करता हूँ अपने किये गए संघर्ष को व्यर्थ जाने ना दे।
आनंद कुमार
पूर्व कोषाध्यक्ष बी सी ए




आनंद जी के विचारों का समर्थन करते हुए कहना है कि, आनंद जी ने जो मामला / मुद्दा आप सभी सदस्यों के समक्ष उठाया है, वह प्रासंगिक भी है और बीसीए के अस्तित्व तथा बिहार में लाखों खिलाड़ियों के भविष्य से भी जुड़ा हुआ है।
मेरा मानना है कि व्यक्तिगत तुष्टीकरण के लिए बिहार क्रिकेट को प्लेटफार्म बनाकर उपयोग नहीं किया जाना चाहिए। इसके कारण बिहार क्रिकेट को बड़े पैमाने पर क्षति होने की आशंका दिख रही है। जिलों में क्रिकेटिंग गतिविधियों को सुगमतापूर्वक संचालित करने के लिए संसाधन के विकास पर काम नहीं हो रहा है, कई ऐसी गतिविधि हुईं हैं जो असंवैधानिक कही जा सकती है। अत: हम सभी पुराने सदस्यों को बिहार क्रिकेट के हित में एकत्रित होकर विमर्श करना चाहिए।
हमारे कई संस्थापक सदस्य वर्तमान में बीसीए और जिला संघो में पदाधिकारी हैं, इनसे भी हमलोगों को काफी मदद मिलेगी।
धन्यवाद
रविशंकर प्रसाद सिंह
पूर्व सचिव
बिहार क्रिकेट एसोसिएशन



आज की जो परिस्थिति है उसके लिए हम लोग भी किसी न किसी प्रकार से जिम्मेवार है। हमलोगों की कुछ गलतियों के कारण ऐसे लोग बीसीए में कब्ज़ा जमा लिए। पहले हमलोगों को भी आत्म मंथन की आवश्यकता है। वैसे तो बिहार और झारखंड के बंटवारे के बाद से बीसीए में जो घटित हुआ उसका खामियाज़ा विहार क्रिकेट एवं बिहार के क्रिकेट खेलाडियो को लंबे समय तक भुगतना पड़ा कितने खिलाड़ियो का भविष्य ही समाप्त हो गया। फिर भी क्रिकेट प्रशासन से जुड़े लोग इससे सबक नहीं लिए। सब दिन ज़िला क्रिकेट संघ ही प्रताड़ित हुए, जो सम्मान ज़िला संघो को मिलना चाहिए था वह नहीं मिला, केवल राजनीति हुई।उसीका का अंजाम आज की हालात में बीसीए पहुँच गया। आज जो हालात है उसमें कुछ मुठ्ठी भर लोग फायदा उठा रहे हैं या उठाने के फिराक में हैं। यदि फाउंडर में बर्स दिल से बीसीए को अच्छी स्थिति में ले जाना चाहते हों तो अपना निजी स्वार्थ किनारे रखकर सभी पुराने जिला संघो के मित्रो से साफ साफ बात कर भावी रणनीतिबनानी होगी जिससे बीसीए सुचारू रूप से चल सके।
गोपाल बोहरा
पूर्व अध्यक्ष
बीसीए



आनंद जी, आपकी बात से पूरी तरह सहमत हूं। सुचारू रूप से क्रिकेट पुन: व्यवस्थित करने के लिए हम सभी पहले की तरह एकसाथ होकर विमर्श करना होगा एवं संघ में होने वाले किसी भी असंवैधानिक कार्य का बहिष्कार पूरी ऊर्जा और विवेक के साथ करना होगा।
नवीन जमुआर
पूर्व उपाध्यक्ष , बी.सी.ए.