पटना। राज्य की दयनीय एवं लचर खेल की व्यवस्था को दुरुस्त करने करने की मांग को लेकर रविवार से मोइनुल हक स्टेडियम के मुख्य द्वार पर बिहार प्लेयर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष मृत्युंजय तिवारी राज्य के सैकडों खिलाड़ियों के साथ आमरण अनशन पर बैठ गए हैं।
श्री तिवारी ने बताया कि सरकार का ध्यान लगातार आकृष्ट कराने के लिए खिलाड़ी सड़कों पर बार-बार सरकार से निवेदन करते रह गए लेकिन सरकार की नींद नहीं खुली। यह दुर्भाग्य की बात है कि राज्य के खिलाड़ी सड़कों पर हैं और 4 दिनों के बाद राज्य में खेल सम्मान समारोह के आयोजन सरकार के द्वारा खेल दिवस के अवसर पर किया जाता है। इसमें राज्य के उत्कृष्ट पदक प्राप्त विजेता खिलाड़ियों को सम्मानित किया जाता है।
उन्होंने कहा कि जब खिलाड़ियों को रोजगार और संसाधन ही सरकार मुहैया नहीं करा पा रही है तो यह सम्मान किस काम का है।
तिवारी ने कहा कि आखिर 5 वर्षों से उत्कृष्ट खिलाड़ियों की नियुक्ति प्रक्रिया बंद क्यों है, इसका जवाब नहीं मिल पा रहा है। वर्ष 2014 के विज्ञापन के अनुसार खिलाड़ियों की नियुक्ति प्रक्रिया का निष्पादन आज तक नहीं हो पाया है।
उन्होंने कहा कि राज्य का अंतरराष्ट्रीय स्तर का एकमात्र स्टेडियम मोइनुल हक स्टेडियम अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। फिजिकल कॉलेज पिछले 10 से ज्यादा वर्षो से बंद पड़ा है। फिजिकल कॉलेज में माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी ने घोषणा की थी कि स्पोट्र्स हब बनेगा और हॉकी के लिए एस्ट्रोटर्फ लगाए जाएंगे। दस-11 वर्ष बीत गए आज तक इस पर कोई काम नहीं हुआ। सरकार दावा करती है प्रत्येक प्रखंडों में स्टेडियम का निर्माण कराया जा रहा है एक भी कहीं कोई स्टेडियम मानक स्तर का नहीं है। उसमें कहीं कोई खेलकूद की गतिविधियां नहीं हो रही ह।ै अरबों रुपए उसमें खर्च हो गए। स्टेडियम घोटाले की निगरानी से जांच कराने की मांग हम करते हैं। खेल विधेयक कानून लागू है सरकार इस पर असमंजस की स्थिति बनाई हुई है पता नहीं चल रहा है खेल विधेयक कानून लागू है या फिर इसे वापस ले लिया गया है। सरकार को इस पर अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि जिला खेल पदाधिकारियों पद की नियुक्ति दो दशकों से बंद है। जिला खेल पदाधिकारी और प्रशिक्षकों के अभाव में खेल के विकास की गति धीमी है। इस पर भी सरकार का कोई ध्यान नहीं है।
उन्होंने कहा कि खेल कोटे से जिन खिलाड़ियों की नियुक्ति हुई है उन्हें अन्य विभागों में फाइल देखने का काम दे दिया गया है उनकी सेवा कला, संस्कृति व युवा विभाग में करना चाहिए जिसकी मांग हम सरकार से करते हैं।
उन्होंने कहा कि पहले विद्यालयों में 1 घंटी खेल की अनिवार्य हुआ करती थी सरकार को यह फैसला लेना चाहिए हर विद्यालय में 1 घंटी खेल की अनिवार्य हो, तभी धरातल पर खेलकूद का विकास संभव हो पाएगा। यह दुर्भाग्य की बात है कि खेल सम्मान के लिए राशि तो बढ़ा दी गई है लेकिन खेल विभाग आधे से अधिक राशि खर्च नहीं कर पाती है खिलाड़ियों के सम्मान के लिए, क्योंकि सरकार की खेल नीति से पदक जीतने वाले खिलाड़ियों का अभाव हो गया है। न रोजगार न संसाधन ऐसे में कैसे पदक लाएंगे खिलाड़ी।
उन्होंने कहा कि बिहार मेंं खेल से खिलवाड़ जब तक होता रहेगा तबतक विकास संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सपनों को चकनाचूर कर रहे हैं अधिकारी व पदाधिकारी। मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी कि पदक लाओ, नौकरी पाओ यह घोषणा हवा-हवाई रह गई। धरातल पर खेल के विकास के लिए जितनी भी योजनाएं सरकार के द्वारा लाई गई है सब हवा-हवाई रह गई है। खेल के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जाती है और खिलाड़ियों के भविष्य को अंधकार में डाला जा रहा है।
उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमसे छोटे-छोटे राज्य खेल प्रतिभा संपन्न हो गए हैं। बिहार में खेल विश्वविद्यालय की स्थापना हो, इसके लिए सरकार को गंभीरता से ठोस पहल करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि इस बार बिहार प्लेयर्स एसोसिएशन ने आंदोलन का शंखनाद किया है और इसका परिणाम जब तक ठोस नहीं निकलता है तब तक हम आमरण अनशन पर डटे रहेंगे। हम बिहार सरकार, कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के पदाधिकारी गण, सामान्य प्रशासन के पदाधिकारी गण से निवेदन करते हैं कि हमारी मांगों पर जल्द से जल्द ठोस कार्रवाई हो।