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गुलजारबाग स्टेडियम के ‘गुलजार’ होने पर खतरा

by Khel Dhaba
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शैलेंद्र कुमार
पटना।
गुलजारबाग स्टेडियम का निर्माण हुआ तो लगा था कि चलो राजधानी पटना को एक खेल मैदान मिला। यों तो इस स्टेडियम के निर्माण में कई खामियां थी फिर भी न से हां भला था। इस स्टेडियम को और बेहतर का कार्य शुरू हुआ तो खेलप्रेमियों को खुशी बढ़ी पर वर्तमान समय इस स्टेडियम के हालात को देख कर यही लग रहा है कि यह अब स्टेडियम न होकर एक पार्क का स्वरुप ले लेगा।

खेल विभाग और भवन निर्माण विभाग ने इस उपयोगी मैदान को पूरी तरह बर्बाद करने का कार्य शुरू कर दिया है। शुरू से ही इस मैदान को स्टेडियम में तब्दील करने की बात होती थी। लेकिन भवन निर्माण विभाग के अभियंताओं ने दो मंजिलें भवन में छोटे-छोटे के कमरे बनाकर ऑफिसनुमा भवन या यों कहें कम्यूनिटी हॉल तैयार कर दिया। इस भवन के पीछे एक सीढ़ीनुमा अनुपयोगी गैलरी (सिमेंटेड) का भी निर्माण हुआ। अब जो जमीन बची थी उस पर कार्य प्रारंभ हुआ।

लगभग 80 लाख से ज्यादा की राशि खर्च कर मैदान में मिट्टी भरने का काम प्रारंभ हुआ। बरसात पूर्व मिट्टी भरने का काम प्रारंभ हुआ जो अब तक अधूरा दिखता है। स्टेडियम का स्वरूप बिगाड़ने के लिहाज से एक किनारे पर बास्केटबॉल कोर्ट का निर्माण करवा दिया गया। अब ओपन जिम के साथ-साथ झूला लगाने का कार्य शुरू हो चुका है। यानी मैदान का स्वरूप ही खत्म हो जाएगा।

जिस क्षेत्र में यह मैदान है, वहां पर ओपन जिम लगाना कहीं से उचित नहीं है। जिम को दो मंजिलें भवन में भी लगाया जा सकता था। विभाग द्वारा किये जा रहे इन कार्यों के खिलाफ यहां अभ्यास करने वाले खिलाड़ी अब मुखर होने लगे हैं और इसका पूरजोर विरोध कर रहे हैं। लोग तो यह भी कह रह हैं कि जिन्हें काम मिला है वे किसी तरह इसी निपटा कर निकल जाना चाहते हैं।

खेल जानकारों का कहना है कि पूरे मैदान पर अब तक मिट्टी डाल दिया जाना चाहिए था। लेकिन, अब तक ऐसा नहीं हुआ है। अगर मिट्टी डाल कर समतल कर दिया गया होता तो मैदान को हरा-भरा करने के लिए घास की रोपनी भी कर दी जाती। मैदान को हरा-भरा रखने के लिए बोरिंग की व्यवस्था है और पानी के निकास के लिए उचित व्यवस्था की जा रही है। जो काम हो रहा है वह भी केवल खानापूर्ति के लिए। अब तो यही देखना है कि इस स्टेडियम की बेहतरी के लिए लड़ाई लड़ रहे खेल प्रेमियों की बात कहां तक सुनी जाती है।

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