कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 की वेटलिफ्टिंग स्पर्धा के पुरुष वर्ग के 81 किलोग्राम वजन वर्ग में पश्चिम बंगाल के अंचिता शेउली ने कमाल कर दिया है। उन्होंने रविवार को रात भारत को तीसरा स्वर्ण पदक दिलाया। अचिंता के कॉमनवेल्थ गेम्स तक का सफर काफी मुश्चिकलों भरा रहा है।
पश्चिम बंगाल के हावड़ा में 24 नवंबर 2001 को जन्मे अचिंता शेउली के पिता जगत परिवार को पालने के लिए रिक्शा चलाते थे। रिक्शा चलाने के अलावा वह मजदूरी भी करते थे। 2011 में पहली बार अचिंता ने वेटलिफ्टिंग के बारे में जाना। तब उनकी उम्र 10 साल ही थी।
अचिंता को वेटलिफ्टिंग के बारे में जानकारी अपने बड़े भाई से मिली जो जिम में ट्रेनिंग करते थे। अचिंता को अब ट्रेनिंग की चिंता थी। वर्ष 2013 में उसी हालत और खराब हो गई जब उनके पिता का देहांत हो गया। इसके बाद सारी जिम्मेवारी उनके भाई पर आ गई। भाई ने साथ नहीं छोड़ा और परिवार का भरण पोषण से लेकर अचिंता का खेल जारी रखा।
अचिंता की मां पूर्णिमा ने भी परिवार का पेट पालने के लिए छोटे-मोटे काम किए। यह वह समय था जब उन्होंने 2012 में एक डिस्ट्रिक्ट मीट में रजत पदक जीतकर स्थानीय स्पर्धाओं में भाग लेना शुरू कर दिया था।अचिंता को आर्मी स्पोर्ट्स इंस्टीट्यूट के ट्रायल में चुना गया, जहां उन्होंने 2015 में दाखिला लिया। उनकी क्षमताओं ने उन्हें उसी साल भारतीय राष्ट्रीय शिविर में शामिल होने में मदद की। उन्होंने 2016 और 2017 में आर्मी स्पोर्ट्स इंस्टीट्यूट में अपना प्रशिक्षण जारी रखा। 2018 में वह राष्ट्रीय शिविर में आ गए।
धीरे-धीरे अचिंता का सफर चिंताओं से दूर होता चला गया। वर्ष 2018में उनके लिए यादगार रहा जब उन्होंने जूनियर और सीनियर कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता। 2019 में एसएएफ खेलों में एक और स्वर्ण पदक आया। अचिंता ने 18 साल की उम्र में सीनियर नेशनल में 2019 में स्वर्ण हासिल किया था।
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कोरोना महामारी के बाद इस युवा खिलाड़ी ने 2021 में कॉमनवेल्थ सीनियर चैंपियनशिप में पहला स्थान हासिल किया। उन्होंने उसी वर्ष जूनियर विश्व चैंपियनशिप में रजत पदक जीता था। अब 2022 में वह राष्ट्रमंडल खेलों में चैंपियन बन गए हैं।