पटना। क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार (सीएबी) के सचिव आदित्य वर्मा ने बीसीए के सचिव, कोषाध्यक्ष, अध्यक्ष सहित सीओएम के पदाधिकारियों से बिहार क्रिकेट के हित के लिए अविलंब त्याग पत्र देने की मांग की है और कहा है इसकी खबर बीसीसीआई के सीओए को दे दें।
उन्होंने कहा कि बीसीसीआई के सीओए के मेल ने क्लियर कर दिया है कि वर्तमान परिस्थिति में बीसीए के दोनों गुट की योग्यता के ऊपर सवालिया निशान लगा कर कह दिया है कि जब तक न्यायलय से दोनों गुट अपने लिए आदेश नही लाते है सीओए किसी भी गुट की वैधता को स्वीकार नही करेगा। मै गोपाल वोहरा वाली बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के पदाधिकारियों से कहना चाह रहा हूँ कि बीसीसीआई में अनेकों बार आप सभी मित्रों ने झूठा हलफनामा दे कर उनको गुमराह करने का काम किया है।
1.आपका बिहार क्रिकेट एसोसिएशन बिहार सरकार के निबंधन विभाग मे निबंधनीत संस्था है यह सरासर गलत है।
2. सीओए को पत्र भेज कर बीसीए सचिव ने कहा था कि बीसीसीआई के संविधान के अनुसार माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक मे बीसीए ने अपना संबिधान संशोधन कर दिया है। जब संस्था ही सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट 21, 1860 के तहत बिहार सरकार के निबंधन विभाग में निबंधनीत हुआ ही नहीं है।
3. 2010 मे मिले 50 लाख रुपये तथा मैदान मे उपयोग करने हेतु करोड़ों के समान की वर्तमान सचिव जो तत्कालीन बीसीए के कोषाध्यक्ष पद पर रहते हुए बीसीसीआई को ऑडिट रिपोर्ट देने मे विफल होने के कारण बीसीसीआई ने बिहार क्रिकेट एसोसियेसन के उपर नराजगी जताते हुए तत्कालिन अध्यक्ष लालू प्रसाद जी को खबर कर दिया था।
गोपाल वोहरा जी आप माननीय पटना हाईकोर्ट के एक विद्वान वकील भी है आपके सामने बीसीए सचिव ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का मखौल उड़ाया। सीओए जो माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश से बीसीसीआई के काम काज को देख रहे है, उनको भी झूठे झांसे मे रखने का काम सचिव ने किया था।
इसलिए कानून का दुहाई दे कर मै आपसे विनती कर रहा हूं कि बीसीए को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया जाए या अपना अपना त्याग पत्र दे कर सीओए को भेज कर बिहार के क्रिकेट प्रेमियों से माफी मांग ले।