पटना, 20 फरवरी। कुछ महीनों पहले बिहार क्रिकेट एसोसिएशन (बीसीए) के कमेटी ऑफ मैनेजमेंट की एक बैठक हुई थी। तय हुआ था कि एक सप्ताह के अंदर बीसीए सत्र 2023-24 के घरेलू क्रिकेट का मसौदा तैयार कर उसे अमलीजामा पहना जायेगा पर ऐसा नहीं हो पाया। अब बिहार क्रिकेट जगत में यह चर्चा होने लगी है कि बिहार क्रिकेट जगत में पहले रंग बरसेंगे और गुलाल उड़ेगे या रन बरसेंगे या गिल्लियां उड़ेगी। यानी बीसीए का घरेलू क्रिकेट होली के पहले शुरू होगा या बाद में।
बीसीए की मीटिंग में यह हुआ था फैसला
24 दिसंबर, 2023 को आयोजित बीसीए के कमेटी ऑफ मैनेजमेंट की बैठक में इस घरेलू सत्र की गतिविधियों, योजना एक सप्ताह के अंदर प्रस्तुत करने तथा अविलंब घरेलू सत्र सह अंतर जिला प्रतियोगिता को प्रारम्भ करने के लिए जी एम क्रिकेट ऑपरेशन सुनील सिंह को अधिकृत किया गया। यह मसौदा तैयार हुआ कि नहीं यह तो बीसीए के जीएम क्रिकेट ऑपरेशन बता पायेंगे पर बिहार क्रिकेट जगत में इसकी कोई सुगवुगाहट अभी तक नहीं दिखाई और सुनाई नहीं पड़ रही है।
पिछले वर्ष फरवरी माह में शुरू हो गया था घरेलू सीजन
पिछले वर्ष बीसीए ने अपने घरेलू सत्र की शुरुआत 18 फरवरी को हेमन ट्रॉफी के मुकाबले से कर दी थी। इसके बाद अंडर-19 और अंडर-16 के भी मुकाबले हुए थे पर हेमन ट्रॉफी को छोड़ कर कोई भी अपने अंतिम पड़ाव पर नहीं पहुंच पाया था। टूर्नामेंट के फॉरमेट भी बदला हुआ था।
अभी तक गठित नहीं हुई है टूर्नामेंट कमेटी
बिहार क्रिकेट एसोसिएशन ने इस सत्र के लिए अभी तक टूर्नामेंट कमेटी का भी गठन नहीं किया गया है। वर्ष 2023 में इस कमेटी के संयोजक रहे ज्ञानेश्वर गौतम बीसीएल से जुड़ गए हैं और आजकल मुखर चल रहे हैं। विनय कुमार झा के बारे में भी खबर है कि उन्होंने कमेटी को छोड़ दिया है।
कई जिला में अभी तक शुरू हुआ घरेलू क्रिकेट
बिहार क्रिकेट एसोसिएशन को तो छोड़िए पटना समेत कई जिलों में घरेलू क्रिकेट की शुरुआत अभी तक नहीं हो पायी है। इससे इतर कई जिलों में इस सत्र का घरेलू क्रिकेट समाप्त हो गया है और कई में अंतिम पड़ाव की ओर है। कई जिलों में शुरुआत नहीं होने की वजह है लोकतांत्रिक व्यवस्था का न होना। तदर्थ समिति के सहारे क्रिकेट का संचालन कितने दिनों तक हो पायेगा। यह भी क्रिकेट के ठहराव का कारण बन रहा है।
उठ रहे हैं सवाल
बिहार क्रिकेट के जानकारों का कहना है कि पिछले साल जब फरवरी महीने में घरेलू क्रिकेट की शुरुआत हुई तब तो सारे फॉरमेट के मैच नहीं हो पाये और अगर इस बार मार्च महीने या उसके बाद शुरू होंगे तब बीसीए हर फॉरमेट के मुकाबले को कैसे पूरा कर पायेगा। उनका कहना है कि बीसीए की मंशा घरेलू क्रिकेट को कराने है नहीं। ऐसे भी घरेलू क्रिकेट हो या ना हो चयन तो उनकी ही मर्जी से होगा। पिछले वर्ष भी स्लोगन था जिसका बल्ला बोलेगा वही खेलेगा या जो गिल्लियां उड़ायेगा वही खेलेगा ऐसा तो हो नहीं पाया। इसके कई उदाहरण है। पर ये सब बिहार क्रिकेट की भलाई के लिए ठीक नहीं है। बीसीए के रहनुमाओं को अपनी कथनी को करनी में बदलना होगा।

