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बिहार क्रिकेट : जब कमेटी ही सत्य तरीके से नहीं बनी तो सत्यापन कैसा

by Khel Dhaba
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पटना। वर्तमान समय में बिहार क्रिकेट जगत में बिहार क्रिकेट एसोसिएशन द्वारा एक कमेटी का धौंस जिला संघों को दिखाया जा रहा है। यह कमेटी जिला के क्लबों से लेकर उसके हर खाता-बही का सत्यापन करेगा। इसी कमेटी के धौंस के सहारे बिहार क्रिकेट संघ के सत्तासीन अधिकारी जिला संघों को चुनावी वर्ष में डरा रहे हैं पर बिहार क्रिकेट राजनीति के पंडितों का कहना है कि जो खुद ही सत्य तरीके से नहीं गठित की गई है वह दूसरे का सत्यापन कैसे करेगी।
बिहार क्रिकेट के जानकारों व जिला संघों के पदाधिकारियों से बातचीत के आधार पर खेलढाबा इस मामले को आपके सामने विस्तार से रख रहा है-
कमेटी के गठन में गलतियां
पहली गलती
बीसीए का कथन : बिहार क्रिकेट एसोसिएशन द्वारा कहा जा रहा है कि वाद संख्या OMB 12/2021, जिया इकबाल बनाम बिहार क्रिकेट एसोसिएशन एवं अन्य के मामले में दिनांक:13.04.2022 को माननीय लोकपाल महोदय के द्वारा पारित आदेश के आलोक में इस कमेटी का गठन किया गया है।
कहा कहता है लोकपाल का आदेश : लोकपाल ने जो आदेश पारित किया है उसके पेज नंबर पर अंकित है कि आई डायरेक्ट द बीसीए एक कमेटी का गठन किया जाए जिसमें एक अवकाश प्राप्त ज्यूडिसियल ऑफिसर को सम्मिलित किया जाए।
सवाल : सवाल यह उठता है कि बीसीए का मतलब क्या, क्या केवल अध्यक्ष, सचिव, उपाध्यक्ष होता है। बीसीए का मतलब होता है उसकी आमसभा। क्या आमसभा के द्वारा पारित कर इस कमेटी का गठन किया गया। जवाब है नहीं। यहां तो बीसीए ने लोकपाल के नियमों का उल्लंघन कर दिया।

दूसरी गलती
लोकपाल का आदेश आया है 13 अप्रैल, 2022 को पर बिहार क्रिकेट एसोएिशन ने अपने वेबसाइट पर जारी सूचना में कहा कि दिनांक 08-02-2021 को आहूत कमेटी ऑफ मैनेजमेंट मे लिए गए निर्णय के अनुपालन में एक कमेटी का गठन किया था, इस कमेटी को जिला संघों के प्रपत्रों की जांच कर वेबसाइट पर प्रसारण हेतु स्वीकृति देनी थी।

इस कमेटी के चेयरमैन टूर्नामेंट कमेटी के चेयरमैन को बनाया गया था, जबकि सदस्य के रूप में पटना हाईकोर्ट के अधिवक्ता कृष्ण मुरारी प्रसाद और सहरसा जिला क्रिकेट संघ के सचिव बादल बनर्जी को नामित किया गया था।

9 अक्तूबर 2021 को आहूत एजीएम में उपरोक्त कमेटी को संपुष्ट करते हुए, इस कमेटी सहित किसी भी कमेटी / सब कमेटी के गठन / पुनर्गठन के लिए अध्यक्ष को अधिकार प्रदान कर दिया गया है।

हुजूर इसका मतलब एक साल पहले से ही जिलों पर आपकी ढेढ़ी नजर थी या बीसीए के लोग भविष्य ज्ञाता है जो जान रहे थे कि बीसीए के लोकपाल ऐसा ही आदेश देने वाले जिसमें कमेटी गठित करने की बात होगी। जब कमेटी एक साल पहले गठित हुई थी तो अबतक उसने अपना कार्य क्यों नहीं किया। एक साल में परिदृश्य बदल जाता है फिर एक साल पहले गठित आगे क्यों बढ़ाई गई। इस सवाल का जवाब बिहार क्रिकेट जगत बीसीए से पूछ रहा है।

इस समिति के गठन में नामित व्यक्तियों के बारे में भी कहा जाता है कि बीसीए के संविधान का उल्लंघन हुआ है जो यह कहता है कि “एक व्यक्ति/पद धारी एक कार्यकाल के समय दूसरे पद पर नामित/निर्वाचित नही हो सकता”। दूसरा, इसमें नामित व्यक्ति ‘कनफ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट’ की परिधि में भी आते हैं।

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