शैलेंद्र कुमार
पटना। मुश्ताक अली ट्रॉफी टी-20 क्रिकेट टूर्नामेंट में भाग लेने वाली बिहार टीम के सेलेक्शन ट्रायल में भाग लेने वाले खिलाड़ियों की लिस्ट जारी हुई। लिस्ट में कुछ ऐसे खिलाड़ियों का नाम छूटा है जिन्होंने बोर्ड के टूर्नामेंटों में परफॉर्म किया है या पिछले साल मुश्ताक अली ट्रॉफी टीम में शामिल थे।
इस पर चर्चा करने से पहले पिछले दिनों घोषित अंडर-23 टीम पर चर्चा करना जरूरी है। उसके फाइनल और सुरक्षित प्लेयरों की लिस्ट एक खिलाड़ी का नाम गायब होना सबसे बड़ा आश्चर्य की बात रही। उस प्लेयर का नाम है अपूर्वा आनंद। अपूर्वा आनंद ने पिछले साल अंडर-19 क्रिकेट टूर्नामेंट में बिहार टीम की कप्तानी की और कुल 79 विकेट चटकाये हैं। क्या यह प्लेयर इतने परफॉरमेंस के बाद टीम में जगह बनाने के लायक नहीं था। कहा गया कि इस खिलाड़ी को डेज मैच में जगह दी जायेगी, कारण यह कि सेलेक्शन ट्रायल के मैच में परफॉरमेंस खराब रहा। क्या केवल इस खिलाड़ी का सेलेक्शन ट्रायल मैच में परफॉरमेंस थोड़े ही खराब रहा था। अंडर-23 टीम में ऐसे प्लेयर को शामिल किया गया है जिनका ट्रायल मैच में परफॉरमेंस खराब था। वहां कारण बता दिया गया कि पिछले साल बोर्ड मैच में अच्छा खेला था। उस खिलाड़ी के बोर्ड टूर्नामेंट का परफॉरमेंस काउंट हो गया और इस खिलाड़ी के लिए गायब हो गया, भई वाह। क्या तर्क है। सेलेक्शन ट्रायल के एक-दो मैचों के परफॉरमेंस के आगे पुराने सारे परफॉरमेंस नदारद हो गए। भाई वाह। अपूर्वा आनंद ने सत्र 2017-18 में अंडर-23 के डेज मैच भी खेले थे और परफॉर्म भी किया था।
चलिए अंडर-23 में नहीं रखे। मुश्ताक अली ट्रॉफी के ट्रायल मैच में तो इस खिलाड़ी को रख सकते थे। यहां भी पता गायब। चूंकि मुश्ताक अली में नहीं रखना तो अंडर-23 के सुरक्षित प्लेयरों की लिस्ट से ही नाम गायब करा दिया। इससे यही पता चलता है कि इस प्लेयर की राह में रोड़ा अटका जाए ताकि अपने आगे बढ़ सके।
एक तर्क यही भी दिया जा रहा है कि नये खिलाड़ियों को जगह दी जा रही है। अगर यही बात है तो अंडर-19 टीम के सुरक्षित खिलाड़ियों को भी ट्रायल मैच में रखते। उसमें तो एक खिलाड़ी मलय राज जो जेडसीए और एनसीए किये हुए हैं और पिछले साल उन्हें जितना मौका मिला उसमें उनका परफॉरमेंस भी अच्छा रहा है। पर यहां तो हमारे फायदे का चीज है वह उसमें टूटे कोई फर्क नहीं पड़ता है पर जिसमें फायदा नहीं उसमें नियम लागू।
यह तो अपूर्वा आनंद व अन्य जूनियर खिलाड़ियों की बात। अब चलते हैं सीनियर प्लेयरों की ओर। समर कादरी, केशव कुमार, इंद्रजीत कुमार, कुमार रजनीश, कमलेश कुमार सिंह, विजय भारती, कुंदन शर्मा, यशस्वी ऋषभ रुपक कुमार, मनीष कुमार सहित कई अन्य। इनमें से कुछ प्लेयर तो पिछले साल मुश्ताक अली ट्रॉफी टी-20टीम के सदस्य थे। इन्हें ट्रायल मैच में रखा जा सकता था। ट्रायल मैच करा लीजिए और इनके पुराने परफॉरमेंस को देखिए और तब न्याय निर्णय कीजिए पर यहां तो पहले ही पता गायब कर दिया गया। न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी।
इस संबंध में जब बिहार क्रिकेट एसोसिएशन से जुड़े एक व्यक्ति से खेलढाबा.कॉम ने सवाल पूछा कि जब प्रेस विज्ञप्ति में लिखा है कि विजय हजारे ट्रॉफी के सदस्य खिलाड़ी तो उस टीम के बहुत सारे सदस्यों का नाम इस लिस्ट नाम गायब है। इस पर उनका जवाब था कि कुछ नाम को प्रबंधन ने कंसिडर नहीं किया है। काहे नहीं कंसिडर नहीं किया इसका जवाब नहीं है। हमारी मर्जी है हम कंसिडर करेंगे या नहीं। अगर कंसिडर नहीं करना है तो सबों का नहीं कीजिए पर इस लिस्ट में वो खिलाड़ी हैं जो विजय हजारे ट्रॉफी टीम में हुए बदलाव के दौरान हटाए गए थे। खेलढाबा.कॉम नहीं कहता है कि वह खिलाड़ी क्यों है। खेलढाबा.कॉम ही नहीं बिहार क्रिकेट जगत का कहना है कि नियम सब के लिए एक समान हो।
बिहार क्रिकेट के दिग्गजों का कहना है कि सही और न्याय प्रिय राजा वही होता है जो अपनों से ज्यादा प्रजा का ख्याल रखता है पर यहां तो उल्टा है। यहां अपनों को आगे लेने जाने के लिए प्रजा को साइड किया जा रहा है। इन लोगों का कहना है कि अपने को भी रखिए और प्रजा को भी। कम से कम जहां सेलेक्शन ट्रायल हो रहा है वहां सब को जगह मिलनी चाहिए। कंपीटिशन करा लीजिए जो बेहतर होगा वह आगे जायेगा। लोगों का कहना है कि अगर प्रजा कंपीटिटर से अपनों का पत्ता साफ होने का डर है तो यह एलान करा दिया जाए कि जब तक हमारा राज पाट है उस दौरान हमारे अपने जिस रास्ते पर चल रहे हैं उस रास्ते पर कोई प्रजा नहीं चले बरना वही हाल होगा जो वर्तमान का हो रहा है।
खेलढाबा.कॉम किसी भी प्लेयर की क्षमता पर कोई भी सवाल नहीं उठा रहा है। वह केवल व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर रहा है।