26 C
Patna
Tuesday, November 12, 2024

बीसीसीआई चुनाव प्रक्रिया : कार्यकाल से जुड़े नए नियम के बाद राज्य संघों ने न्यायमित्र का दरवाजा खटखटाया

नई दिल्ली। बीसीसीआई की 30 से अधिक राज्य इकाइयों के आगामी चुनावों पर संदेह के बादल छा गए हैं क्योंकि प्रशासकों की समिति (सीओए) ने अधिकारियों के कार्यकाल को लेकर नए नियम का पालन करने को कहा है जिससे अधिकांश सदस्यों के मतदान के अधिकार खत्म हो सकते हैं।

राज्य संघों के चुनाव 28 सितंबर तक को होने थे लेकिन अब इसके कार्यक्रम में बदलाव हो सकता है क्योंकि सीओए ने राज्य संघों को सुनिश्चित करने को कहा है कि अधिकारियों के छह साल के कार्यकाल की सीमा में उनके अपनी संस्थाओं की कार्य समितियों में बिताए समय को भी शामिल किया जाए। अपने कार्यकाल पूरे करने के बाद इन अधिकारियों को तीन साल का ब्रेक लेना होगा।

बोर्ड के सूत्रों के अनुसार अगर कार्य समिति में बिताए समय को भी जोड़ा जाएगा तो अधिकांश सदस्य मतदान के पात्र अपने 80 प्रतिशत से अधिक सदस्यों को गंवा देंगे। इसमें बंगाल क्रिकेट संघ के प्रमुख सौरभ गांगुली और गुजरात क्रिकेट संघ के संयुक्त सचिव जय शाह जैसे अधिकारी भी शामिल होंगे। बीसीसीआई के एक पूर्व सचिव और राज्य संघ के अनुभवी अधिकारी ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर पीटीआई को बताया, छह साल के कार्यकाल नियम के अनुसार सौरभ और शाह के 10 महीने बचे हैं। लेकिन कार्य समिति के कार्यकाल के कारण वह तुरंत प्रभाव से बाहर हो जाएंगे।

क्या सीओए वास्तव में चुनाव कराने की इच्छा रखता है या इसमें विलंब करना चाहता है? हमने प्रक्रिया तय कर ली है। हम अब क्या करेंगे?’’ पता चला है कि 10 से अधिक राज्य इकाइयों ने न्याय मित्र पीएस नरसिम्हा से संपर्क किया है और इस मुद्दे पर उनसे हस्तक्षेप करने और निर्देश देने को कहा है। कम से कम 25 राज्य इकाइयां पहले ही चुनाव की प्रक्रिया शुरू कर चुकी हैं और इस नए निर्देश का पूरी प्रक्रिया पर असर पड़ सकता है।

अधिकारी ने कहा, कम से कम 10 राज्य इकाइयों ने न्यायमित्र से संपर्क किया है और तुरंत हल चाहती हैं क्योंकि हम चुनाव कराना चाहते हैं। लेकिन अगर कार्य समिति के कार्यकाल को शामिल किया गया तो हमें नयी मतदाता सूची तैयार करनी होगी।

सीओए का यह निर्देश उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त लोढा समिति की शुरुआती सिफारिशों में शामिल नहीं था। राज्य इकाइयों ने दावा किया कि उन्हें लग रहा था कि सिर्फ पदाधिकारियों (अध्यक्ष, सचिव और कोषाध्यक्ष) के कार्यकाल की गणना की जानी है। न्यायमूर्ति लोढा से जब संपर्क किया गया तो उन्होंने इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

न्यायमूर्ति लोढा ने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय ने हमें काम सौंपा और हमने अपना काम किया। इसका क्या अर्थ निकाला जाता है इस पर टिप्पणी करना मेरा काम नहीं है। उम्मीद है कि इस नए निर्देश को वापस नहीं लिए जाने पर कुछ राज्य संघ 22 अक्टूबर को होने वाले बीसीसीआई के प्रस्तावित चुनाव पर रोक लगाने का आदेश देने की मांग कर सकते हैं।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisement -spot_img

Latest Articles

Verified by MonsterInsights