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पटना, 27 मई। कुछ महीने पहले बिहार क्रिकेट एसोसिएशन में हर तरफ में बस एक ही चर्चा होती थी कि हम लोग (बीसीए) ग्रामीण स्तर से प्रतिभाओं को सर्च करने में जुटने वाले हैं और यह अभियान बिहार में क्रिकेट के विकास में एक क्रांति लाएगी।
बिहार क्रिकेट एसोसिएशन की बैठक में इस लीग के चेयरमैन से संयोजक तक बनाये गए। बाद में मेंटर की भी नियुक्ति हुई। पटना समेत राज्य के अन्य जिलों में संवाददाता सम्मेलन कर इसके बारे में जानकारियां दी गईं। फॉर्म भी सोशल मीडिया पर वायरल हुए। इसके लिए प्रायोजकों के खोज के लिए निविदा भी जारी गई पर वर्तमान समय में इसे लेकर बिहार क्रिकेट एसोसिएशन शिथिल हो गया है। इस पर कोई चर्चा ही नहीं हो रही है।
क्या था बिहार रुरल लीग का प्लान
इस लीग के अंतर्गत जिला स्तर पर पहले सेलक्शन ट्रायल के जरिए टीम का गठन किया जायेगा। 16 टीमों के निर्माण का प्लान था। पहले जिला स्तरीय टूर्नामेंट होगा। उसके बाद उसमें किये परफॉरमेंस के आधार पर जिला टीम का गठन किया जायेगा और 8 जोन में बांट कर राज्यस्तरीय मुकाबला कराया जायेगा। कुल 570 मैच खेले जाने थे। इस अभियान में वैसे ही खिलाड़ियों को मौका मिलता जो अभी तक बिहार क्रिकेट एसोसिएशन और उसके जिला यूनिट द्वारा आयोजित घरेलू क्रिकेट नहीं खेले हों। आयु सीमा भी निर्धारित की गई थी। 13 से 23 वर्ष के खिलाड़ी ही इसमें हिस्सा ले सकते थे।
यह था लीग का उद्देश्य
ग्रामीण क्षेत्रों में क्रिकेट को बढ़ावा देना। सुविधाविहीन प्रतिभावान बच्चों को क्रिकेट से जोड़ना। ग्रामीण स्तर के प्रतिभाशाली खिलाड़ियों की पहचान करना और उन्हें आगे बढ़ाना। राज्य में क्रिकेट की गुणवत्ता में सुधार करना।
वर्तमान समय में बीसीएल में जुटा है बीसीए
ग्रामीण प्रतिभा खोज अभियान तो लगता है ठंडे बस्ते में चल गया है पर अभी बीसीएल को लेकर धूम मची हुई है। इसके लिए निविदा जारी हुई। दिल्ली से लेकर पटना तक बैठकों का दौर जारी है पर फाइनल डिसीजन भी तक नहीं आया है। इन सबों के बीच खुश-खबरी यह है कि बिहार क्रिकेट एसोसिएशन अपना घरेलू क्रिकेट का शेड्यूल पूरा लेगा। अब आने वाले वाला वक्त बतायेगा बीसीएल का आयोजन होता है या वह भी ठंडे बस्ते में चला जाता है।
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