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खेल और खजाने की बात से इतर रहा बीसीए का एजीएम

by Khel Dhaba
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पटना। बिहार क्रिकेट एसोसिएशन (बीसीए Bihar Cricket Association) यह खुद व खुद मान चुका है कि खेल और खजाने की रखवाली से उसे विशेष मतलब नहीं है। इसका अंदाजा शनिवार को राजधानी पटना के एक होटल में बिहार क्रिकेट एसोसिएशन (बीसीए Bihar Cricket Association) की हुई वार्षिक आमसभा (Anual General Meeting) की बैठक हुए मंथन से लगता है।

बिहार क्रिकेट एसोसिएशन (बीसीए Bihar Cricket Association) द्वारा जारी नोटिफिकेशन के अनुसार संघ की सीओएम और वार्षिक आमसभा की बैठक 46, पाटलिपुत्रा कॉलोनी में आयोजित होनी थी पर हुआ कहां होटल सनराइज इन। इससे पता चलता है कि बीसीए अपने सभी सदस्यों को गलत जानकारी दी।

नोटिफिकेशन के अनुसार सीओएम की बैठक 12 बजे शुरू होनी थी पर शुरू हुई तकरीबन तीन घंटे की देरी और मात्र 20 मिनट में समाप्त हो गई। बैठक के अपेक्षित प्रतिनिधि अपने साहेब के इंतजार करते दिखे।

अब बात उस बैठक की जिसमें क्रिकेट के विकास समेत कई मुद्दों पर बात होनी थी। यह बैठक भी अपने तय समय से तकरीबन एक घंटे देर से शुरू हुई। बैठक के तय एजेंडे या किसी विषय पर कोई चर्चा नहीं हुई। बैठक में हिस्सा ले रहे प्रतिनिधि केवल दाएं-बाएं झांकते नजर आये।

इसी बीच किसी ने पटना जिला क्रिकेट संघ का मामला उठा दिया। अब क्या था दोनों गुट के लोग अपने-अपने गुट को सही ठहराने की बात आसन से कहने लगे। आसन ने यही कहा कि मिलकर काम करें।

अब बात करते हैं मुद्दे की। बैठक में पिछली आम बैठक के कार्यवृत्त की पुष्टि, समीक्षाधीन वर्ष के लिए सचिव की रिपोर्ट को अपनाना, समीक्षाधीन वर्ष के लिए कोषाध्यक्ष की रिपोर्ट और लेखा परीक्षित खातों को अपनाना, वार्षिक बजट को अपनाना पर बात होनी थी पर इस पर कोई चर्चा नहीं हुई और इसे अगली बैठक के लिए टाल दिया गया। कारण क्या बताया सारे कागजात जीएम नीरज सिंह के रूम में हैं और उस पर पुलिस ने ताला जड़ रखा है।

ऐसे बहाने बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के सीओएम पिछली हर बैठक में बनाते रहे हैं। इस कार्यकारिणी को गठित हुए दो साल हो गए और तीन एजीएम भी हो चुका पर अभी तक नहीं ऑडिट रिपोर्ट कभी सामने और न ही कोई बजट संबंधी बात की गई। हर बार यही कहा जाता रहा है कि अगली बैठक में कर लिया जायेगा।

इसके अलावा अन्य एजेंडों पर कोई बात नहीं हुई। सदस्यों ने घरेलू टूर्नामेंट कराने की मांग उठाई थी तो सीओएम के सदस्यों ने कोरोना और अकाउंट बंद होने के बहाने बनाये। खेलढाबा आपको बता रहा है कि ये बहाने उनके कितने जायज हैं।

नई कार्यकारिणी का गठन वर्ष 2019 के सितंबर माह में हुआ। कोरोना का आगमन वर्ष 2020 के मार्च के अंत में हुआ। इनके पास पांच महीने थे पर इनका समय बीता आपसी लड़ाई में। वर्चस्व की लड़ाई। हम सुपर हैं और इसमें घाटा किसे हुआ बिहार के क्रिकेट को।
इसके बाद चलिए सत्र 2020-21 में। किसी तरीके से अंतर जिला टी-20 और जोनल अंडर-19 का टूर्नामेंट कराया। अंतर जिला टी-20 अभी अधूरा ही है। क्वार्टरफाइनल स्टेज से आगे के मुकाबले नहीं खेले गए हैं। इस सत्र में भी इनके पास समय था पर इनकी मंशा केवल ट्रायल करा कर टीम भेजने की है तो मैच कैसे करायेंगे। कुछ जिला संघों को बीसीए के इस रवैये पर काफी नाराजगी है।

अब बात करते हैं पैसे की कमी। पैसे की कमी का कारण कौन। कारण बीसीए के हुक्कमरान ही हैं। उन्हें एक दूसरे के पर काटने से फुर्सत नहीं है और इसमें खिलाड़ियों के ऊंची उड़ान के पर कट रहे हैं। कहते हैं अकाउंट बंद है और इसके चलते बीसीसीआई से पैसा नहीं आ रहा है। दूसरा अकाउंट तो खुला है। पैसा जनरेट कीजिए। स्पांसर खोजिए। एक और बात मैच कराने के लिए पैसा नहीं है होटलों में बैठक करने के लिए पैसा कहां से आ जाता है। यह नहीं चलेगा।

जरा सोचिए जिला संघों को कौन पैसा देता है पर वे अपना क्रिकेट लीग तो हर साल करा ही रहे हैं। साथ में कई टूर्नामेंटों का आयोजन भी करा रहे हैं। वे कोरोना और अकाउंट बंद होने का बहाना तो नहीं बना रहे हैं। इसीलिए झुठे बहाने नहीं चलेंगे साहेब।

इसके अलावा अन्य एजेंडों पर गंभीरता पूर्वक बात नहीं हुई जिससे बिहार में क्रिकेट के विकास को गति दी जा सके। बस यह कर लेंगे वो कर लेंगे और अंत में सभी जिला संघों के साइन के साथ खत्म हो गया बीसीए का एजीएम।

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