पटना। जब भी कोई क्लब, जिला, राज्य या देश किसी खेल प्रतियोगिता में भाग लेने वाली टीम की घोषणा करता है तो कुछ खिलाड़ियों को सुरक्षित में रखता है । अभी तक हम सभी ने यही परंपरा देखीं और सुनी है,पर बिहार क्रिकेट एसोसिएशन ने एक नई परंपरा की शुरुआत की जिसके बारे में आपने अबतक न सुना होगा और न देखा होगा।
बिहार क्रिकेट एसोसिएशन ने इस नई परंपरा की शुरुआत अपने दिग्गज सलाहकारों की सलाह से किया है। जी हां, आप भी बीसीए के इस नई परंपरा को जानकर जरुर चौक जाएंगे! वो है सेलेक्टरों के लिस्ट में सुरक्षित का नाम। इस नई परंपरा की चर्चा न केवल बिहार के क्रिकेट जगत बल्कि पूरे खेल जगत में हो रही है।
क्रिकेट के जानकारों का कहना है कि मुझे इस क्षेत्र में रहे वर्षों बीत गए पर कभी भी ऐसा नहीं सुना और न देखा। वे कहते हैं कि बिहार क्रिकेट एसोसिएशन नई परंपरा को शुरू करने के लिए जाना जाता है। वह ऐसी परंपरा शुरू करता है जो नजीर न बन कर चर्चा का विषय बन जाता है जिसे तारीफ तो कम ही मिलती है मगर जंग हंसाई ज्यादा।
इस मसले पर खेलढाबा ने बिहार क्रिकेट एसोसिएशन से जुड़े कई पूर्व व वर्तमान दिग्गजों सहित कई सीनियर खिलाड़ियों समेत दूसरे खेल के पदाधिकारियों पर उनकी राय जानी। सब ने बस एक ही बात कही ऐसा होता है कहीं भला!अब उनका नियम कानून क्या कहता है यह तो नहीं जानता हूं बस ऐसी चीजें अबतक नहीं हुई।
पहले इस मामले को विस्तार से जानें। बिहार क्रिकेट एसोसिएशन ने काफी मंथन के बाद सेलेक्शन प्रक्रिया शुरू होने के लगभग 12 घंटे पहले अपनी सीनियर मेंस सेलेक्शन कमेटी की घोषणा की। इस सेलेक्शन कमेटी का लोगों को काफी दिनों से इंतजार हो रहा था। सेलेक्शन कमेटी के लिस्ट को लोगों ने देखा या उसके बारे में सुना तो भोचक्के रह गए।
बीसीए के सीनियर सेलेक्शन कमेटी में पहली बार सेलेक्टर्स का नाम सुरक्षित श्रेणी में। तीन सदस्यीय सेलेक्शन कमेटी के अलावा दो सेलेक्टरों को सुरक्षित में रखा गया है। आमिर हाशमी के चेयरमैनशिप में घोषित इस कमेटी के सदस्य के रूप में सिद्धार्थ राज सिन्हा और अनंत प्रकाश होंगे। सुरक्षित सेलेक्टर पवन कुमार और विष्णु शंकर होंगे।
इस पर क्रिकेट जानकारों की दो तरह की प्रतिक्रिया है। पहली यह है कि बिहार क्रिकेट एसोसिएशन ने सुरक्षित में रखे दोनों सेलेक्टरों को अपमानित करने का काम किया है। बीसीए को ऐसा कार्य नहीं करना चाहिए था।
दूसरी प्रतिक्रिया यह है कि सेलेक्टरों से हमेशा मोल-जोल करने वाले बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के पदाधिकारियों को लगा होगा कि अगर फाइनल लिस्ट के सेलेक्टरों ने अगर हमारी बात नहीं मानी तो अगली सेलेक्शन प्रक्रिया में सुरक्षित लिस्ट से उन्हें परिवर्तित कर दिया जायेगा। मोल-जोल की प्रक्रिया के कई उदाहरण पूर्व में बिहार क्रिकेट जगत को दिख चुके हैं।
लोगों का कहना है कि वर्तमान समय में बिहार क्रिकेट एसोसिएशन में कई सिद्धांतवादी क्रिकेट जानकार हैं। अगर यहीं चीजें पूर्व के राज में हो गई होती तो अबतक हाय-तौबा मच गया होता। सोशल मीडिया प्रतिक्रियाओं से भरा होता पर जब वे खुद उसमें शामिल हैं तो ऐसी चीजों को होते हुए कैसे देख रहे हैं और बर्दाश्त कर रहे हैं।
लोगों का यह भी कहना है कि वर्तमान में कार्यकारी सचिव के रूप में काम कर रहे व्यक्ति भी लोकतंत्र के चौथे स्तंभ से ताल्लुक रखते हैं तो उनके राज में ऐसी चीजें कैसे हो जा रही हैं। इन सभी चीजों से उनके करनी और कथनी पर ताज्जुब होता है। लोगों का कहना है कि हमारे हल्ला बोल से कुछ नहीं होने वाला है होगा वही जो वो चाहेंगे।