पटना, 4 मार्च। बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के तत्वावधान में विभिन्न जिला क्रिकेट संघ की मेजबानी में राज्य के 8 जिलों में बीसीए मेंस सीनियर वनडे ट्रॉफी क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन किया जा रहा है।
पटना के मोइनुल हक स्टेडियम में भी पाटलिपुत्र जोन के मुकाबले खेले जा रहे हैं जिसकी मेजबानी खुद बिहार क्रिकेट एसोसिएशन कर रहा है पर इसकी मेजबानी जिलों से काफी फीकी है। फीका कहने का मतलब है कि कुछ है नहीं।
अगर कोई अनजान व्यक्ति कहीं मैच देखने आ जाए तो उसे पता नहीं चल पायेगा कि किसी लेवल का मैच यहां खेला जा रहा है। टूर्नामेंट का एक अदद बैनर में भी ग्राउंड में नहीं लगा है। गेट और अन्य जगहों की बात तो छोड़ दीजिए।
इस इतर जिला संघ अपनी मेजबानी का लोहा मनवा रहे हैं। रहने से लेकर खाने पीने की व्यवस्था काफी बेहतर है। ग्राउंड में एक नहीं कहीं बैनर लगे हैं। न केवल ग्राउंड बल्कि आयोजन स्थल के आस-पास भी बैनर लगे है। ग्राउंड में प्राइज पोडियम बना हुआ है जहां बैकड्रॉप बैनर लगा है।
इन सबों के अलावा जिलों में प्लेयर ऑफ द मैच का पुरस्कार मोमेंटो भी दिया जा रहा है। क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ नालंदा एक कदम आगे बढ़ कर मोमेंटो के साथ नकद राशि भी प्लेयर ऑफ द मैच में दे रहा है।
पटना में हो रहे आयोजन में अन्य जिलों की अपेक्षा खर्च भी कम है पर सुविधाएं फीकी है। यहां रात में खिलाड़ियों को रहने की व्यवस्था भी नहीं करनी है। साथ ही उनके खाने की भी व्यवस्था नहीं करनी है। जिन जिलों का मैच पटना में खेला जा रहा है वह सभी पटना के नजदीकी हैं और वे सभी अपने घर लौट जा रहे हैं। इतनी बचत के बाद भी मेजबानी फीकी क्यों, यह तो राम जाने।
हम यह सवाल नहीं उठायेंगे पटना जिला मेजबानी लेना चाहता है या बीसीए मेजबानी उसे देना नहीं चाहता है। पर यह सवाल जरूरी उठता है कि जब मेजबान जिला संघों की तरह बिहार क्रिकेट एसोसिएशन उनकी तरह व्यवस्था करने में क्यों विफल है।