पटना। बिहार क्रिकेट संघ का प्रस्तावित चुनाव आगामी 25 सितंबर को होना है जिसको लेकर बिहार क्रिकेट जगत का तापमान चरम पर है। रविवार की रात 11.20 बजे वोटरलिस्ट के प्रकाशन के बाद पारा और गरम हो गया और जोड़-तोड़, मोल-भाव की राजनीति तेज हो गई। देर रात तक मोबाइल पर लंबी वार्ता होती रही।
बिहार क्रिकेट जगत के सारे हुक्कमराम अभी राजधानी पटना में डेरा डाले हुए हैं। कोई अपने आवास पर तो कोई होटलों में ठहरे हुए हैं। इस बीच भोज का दौर भी चल रहा है।
इधर खबर आ रही है कि सोमवार को बिहार क्रिकेट संघ के अध्यक्ष के पाटलिपुत्र स्थित आवास पर बिहार क्रिकेट चुनाव को लेकर मैराथन बैठक चल रही है। सोमवार की सुबह से ही तेज सरगर्मी देखी जा रही है। लोगों का आना जाना लगा हुआ है। खबर है कि सोमवार की शाम यहां एक भोज के आयोजन की चर्चा जोरों पर है। इस भोज में चुनाव की रणनीति बन सकती है। मोल-भाव भी होने की चर्चा है। मोल-भाव चुनावी सीटों से लेकर अन्य चीजों की होगी। वोटरों को ठहराने के लिए पाटलिपुत्र से लेकर अन्य इलाके के होटलों में कमरों को बुक किया जा चुका है।
अन्य खेमा भी चुनावी रणनीति बनाने में जुटा है। मार्मिक अपीलें की जा रही हैं। धोखेवाजों और चापलूसों से सावधान रहने से लेकर स्वदेशी का नारा दिया जा रहा है।
सत्तासीन लोगों पर खरीद-फरोख्त के आरोप लगाये जा रहे हैं। कहा जा रहा है जिस तरह पिछले चुनाव में रविशंकर गुट को मात देने के लिए पैसों का खेल हुआ था इस बार भी किया जा सकता है। हालांकि खेलढाबा.कॉम इन बातों की सत्यता की पुष्टि नहीं करता है।
इधर बीसीए अध्यक्ष के खासमखास रहे ज्ञानेश्वर गौतम का वोटर नहीं बन पाना समझ से परे दिख रहा है। ज्ञानेश्वर गौतम को अध्यक्ष का वोकल सपोर्टर माना जाता रहा है और कई गंभीर मुद्दों पर विगत तीन वर्षों में श्री गौतम द्वारा अध्यक्ष को प्रोटेक्ट भी किया गया है। विगत दिनों जब चित्रा वोहरा द्वारा अध्यक्ष पर सेक्सुअल असॉल्ट का मामला दर्ज हुआ था उसमें भी श्री गौतम ने पटना से दिल्ली तक कार्यो को मैनेज करने में बड़ी भूमिका निभाई थी।
बिहार क्रिकेट के पंडितों का कहना है कि बीसीए अध्यक्ष इस घटनाचक्र से थोड़े कमजोर जरूर हुए होंगे। उनकी कमी को पूरा करने के लिए संजय सिंह द्वय को साधने का प्रयास जारी है पर मामला सीटों पर अटका हुआ है।
बिहार क्रिकेट जगत में चर्चा जोरों पर है कि जब ऊपर का साथ है तो नीचे वाला क्या करेगा चाहे कार्य संवैधानिक हो या असंवैधानिक। हालांकि बिहार क्रिकेट संघ का चुनाव ससमय पूर्ण होगा या नहीं इस पर भी तलवार अटकी हुई है क्योंकि इसको लेकर कोर्ट में मामले लंबित हैं।