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बड़े खिलाड़ी यूं ही बड़े नहीं हो जाते। छोटी-छोटी प्रतियोगिताओं से निकल यह बड़ा मुकाम हासिल करते हैं। छोटी-छोटी कई प्रतियोगिताएं एक-एक जैसी होती हैं। कुछ खिलाड़ी इन प्रतियोगिताओं में अच्छा कर भी गुमनाम रह जाते हैं क्योंकि इन छोटी-छोटी प्रतियोगिताओं पर किसी की नज़र नहीं होती है।

बड़े खेल आयोजनों के विस्तृत कवरेज के बीच छोटी प्रतियोगिताएं या यूं कहें कि गांव-कस्बों में होने वाले आयोजन जगह नहीं पाते। इसी कमी को पूरा करने के लिए मस्तीचक से लंदन तक.. के सूत्र-वाक्य के साथ 2014 में खेलढाबा.कॉम की शुरुआत की गई। लंदन को तो सभी जानते हैं, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि मस्तीचक बिहार के सारण में एक छोटा-सा कस्बा है, जहां की खेल प्रतिभाओं ने प्रदेश-देश का नाम रोशन किया है।

इस छोटे से कस्बे में एक फुटबॉल अकादमी है ‘अखंड ज्योति’। नाम भी शायद बहुत कम लोग जानते होंगे। इस अकादमी ने बहुत सारे फुटबॉलर दिए। एक कस्बा कितना खास हो सकता है, इसी से समझ सकते हैं। ऐसी कितनी अकादमी, कितने क्लब, कितनी टीम या कितने खिलाड़ी जिलों-कस्बों में हैं लेकिन अपने क्षेत्र तक सिमटे हुए। इन्हें खेलढाबा.कॉम पूरा आकाश दे रहा है निखरने-संवरने का।

खेलढाबा.कॉम, खेल पत्रकार की सोच और बहुत सारे खेल प्रेमियों के सुझाव व साथ का परिणाम है। बड़े निवेश की खेल वेबसाइट्स की भीड़ में खेलढाबा.कॉम के अलग होने की यह भी एक बड़ी वजह है। तो, जिले-कस्बों से बड़े आयोजनों तक की कवरेज के लिए जुड़े रहें खेलढाबा.कॉम से।

खेलढाबा.कॉम

खेलढाबा.कॉम, खेल पत्रकार की सोच और बहुत सारे खेल प्रेमियों के सुझाव व साथ का परिणाम है। बड़े निवेश की खेल वेबसाइट्स की भीड़ में खेलढाबा.कॉम के अलग होने की यह भी एक बड़ी वजह है। तो, जिले-कस्बों से बड़े आयोजनों तक की कवरेज के लिए जुड़े रहें खेलढाबा.कॉम से।

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