नई दिल्ली, 16 सितंबर। भारत हांगझोउ में आगामी एशियाई खेलों में 655 खिलाड़ियों का अपना अब तक का सबसे बड़ा दल भेजेगा और देश की निगाहें 39 स्पर्धाओं में शीर्ष स्थान हासिल करने पर लगी होंगी जिसमें व्यक्तिगत और टीम स्पर्धाएं शामिल हैं।
‘अब की बार, सौ पार’ (इस बार 100 पदक पार करना) ‘कैचलाइन’ रही है जिससे प्रशंसकों और खेल प्रतिष्ठानों की काफी उम्मीदें लगी होंगी। जकार्ता और पालेमबांग में पिछले चरण में देश ने 70 पदक जीते थे जिससे देश की निगाहें इस आंकड़े को पार करने पर लगी होंगी।
एथलेटिक्स
पुरुषों की भाला फेंक स्पर्धा:
नीरज चोपड़ा : ओलंपिक और विश्व चैम्पियन नीरज (25 वर्ष) एथलेटिक्स में स्वर्ण पदक के लिए सर्वश्रेष्ठ दावेदार हैं। महान एथलीट का दर्जा हासिल करने के बाद नीरज के लिए 2018 में जीते गए स्वर्ण पदक का बचाव करना आसान हो सकता है। पाकिस्तान के विश्व चैम्पियनशिप के रजत पदक विजेता अरशद नदीम हांगझोउ में उनके मुख्य प्रतिद्वंद्वी होंगे जिन्होंने 2018 एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीता था।
किशोर जेना : पिछले महीने अपनी पहली विश्व चैम्पियनशिप में 84.77 मीटर से अपने व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ थ्रो के साथ पांचवें स्थान पर रहने वाले 28 वर्षीय जेना भी पदक के दावेदार हैं। इस सत्र में एशियाई खिलाड़ियों में सर्वश्रेष्ठ थ्रो के मामले में वह तीसरे स्थान पर हैं।
पुरुषों की गोला फेंक स्पर्धा :
तेजिंदरपाल सिंह तूर: वह 2018 में जीते स्वर्ण पदक का बचाव करने के प्रबल दावेदार हैं। व्यक्तिगत स्पर्धाओं में यह 28 वर्षीय एकमात्र भारतीय एशियाई रिकॉर्ड धारी है। पिछले कुछ समय में लगातार चोटिल होना उनकी मुख्य समस्या है। पंजाब के इस एथलीट ने जून में राष्ट्रीय अंतरराज्यीय चैम्पियनशिप में 21.77 मीटर की दूरी से स्वर्ण पदक जीतकर अपना ही एशियाई रिकॉर्ड सुधारा था।
पुरुषों की लंबी कूद स्पर्धा:
मुरली श्रीशंकर : विश्व चैम्पियनशिप में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद श्रीशंकर का लक्ष्य खुद को सुधारना होगा। उनका व्यक्तिगत और सत्र का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 8.41 मीटर का है, जिससे वह दुनिया में चौथे स्थान पर और एशियाई खिलाड़ियों में हमवतन जेस्विन एल्ड्रिन के बाद दूसरे स्थान पर हैं। एल्ड्रिन के अलावा चीनी ताइपे के एशियाई चैम्पियन लिन यू तांग और चीन के वांग जियानान उनके मुख्य प्रतिद्वंद्वी होंगे।
जेस्विन एल्ड्रिन : विश्व चैम्पियनशिप से पहले वह सत्र की शुरुआत में 8.41 मीटर के राष्ट्रीय रिकॉर्ड के साथ सत्र में शीर्ष पर चल रहे थे। लेकिन पूरे सत्र में उनका प्रदर्शन अनिरंतर रहा और फिटनेस की समस्या भी उन्हें परेशान करती रही जिसके कारण उन्होंने एशियाई चैम्पियनशिप से नाम वापस ले लिया। वह एशियाई खिलाड़ियों में अब भी सत्र के शीर्ष और विश्व में तीसरे स्थान पर काबिज हैं।
पुरुषों की त्रिकूद स्पर्धा:
प्रवीण चित्रावेल : यह 22 वर्षीय एथलीट अपने 17.37 मीटर के राष्ट्रीय रिकॉर्ड से एशिया में सत्र में शीर्ष पर और दुनिया में छठे नंबर पर हैं जिससे वह पदक के दावेदार हैं। लेकिन वह पिछली तीन प्रतियोगिताओं में 17 मीटर की कूद तक नहीं पहुंच पाए हैं। अगस्त में हुई विश्व चैंपियनशिप में वह क्वालिफिकेशन राउंड में 16.38 मीटर की निराशाजनक छलांग के साथ फाइनल में जगह बनाने में असफल रहे थे।
पुरुषों की 1500 मीटर स्पर्धा:
अजय कुमार सरोज : वह मौजूदा एशियाई चैम्पियन और इस सत्र में महाद्वीप में दूसरा सर्वश्रेष्ठ समय निकलाने वाले खिलाड़ी हैं। उन्होंने अगस्त में विश्व चैम्पिनशिप में तीन मिनट 38.24 सेकंड का व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ समय निकाला था।
पुरुषों की 3000 मी स्टीपलचेस स्पर्धा :
अविनाश साबले : साबले केा पदक का पक्का दावेदार माना जा सकता है। 2022 राष्ट्रमंडल खेलों के रजत पदक विजेता साबले के नाम आठ मिनट 11.20 सेकेंड का राष्ट्रीय रिकॉर्ड है। सत्र में उनका सर्वश्रेष्ठ समय 8:11.63 है जिससे वह एशिया में जापान के मिउरा रयुजी (सत्र का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 8:09.91) के बाद दूसरे स्थान पर हैं।
पुरुषों की 4×400 मी रिले स्पर्धा:
अगस्त में विश्व चैम्पियनशिप के क्वालिफिकेशन राउंड में दो मिनट 59.05 सेकेंड के समय सेएशियाई रिकॉर्ड समय निकालन के बाद भारत पुरुषों की 4×400 मीटर रिले में स्वर्ण पदक का दावेदार है। भारतीय चौकड़ी का यह समय इस सत्र में विश्व का आठवां सर्वश्रेष्ठ समय है। हालांकि भारत जुलाई में एशियाई चैम्पियनशिप में 3:01.80 के समय के साथ श्रीलंका के बाद दूसरे स्थान पर रहा।
महिलाओं की 100 मीटर बाधा दौड़ स्पर्धा:
ज्योति याराजी : वह 100 मीटर बाधा दौड़ में देश की पहली एशियाई चैम्पियन हैं जिससे वह भारतीय महिलाओं में पदक की पक्की दावेदार हैं। उन्होंने जुलाई में 13.09 सेकेंड के समय के साथ एशियाई चैम्पियनशिप का स्वर्ण पदक जीता। वह राष्ट्रीय रिकॉर्ड (12.78 सेकेंड) से इस सत्र में एशिया की दूसरे नंबर की एथलीट हैं। इस 24 साल की एथलीट से ऊपर चीन के वू यान्नी हैं जिनका सत्र का सर्वश्रेष्ठ समय 12.76 सेकेंड का है।
मिश्रित 4×400 मीटर रिले स्पर्धा :
एशियाई खेल 2018 की स्वर्ण विजेता टीम की बदौलत भारत फिर खिताब का दावेदार है। टीम ने जुलाई में एशियाई चैम्पियनशिप में तीन मिनट 14.70 सेकेंड के समय के जीत हासिल की जो इस सत्र में महाद्वीप का सर्वश्रेष्ठ समय है।
महिलाओं की लंबी कूद स्पर्धा:
शैली सिंह : जुलाई में एशियाई चैम्पियनशिप की रजत पदक विजेता 19 वर्षीय एथलीट थोड़ा अनिरंतर रही हैं। अप्रैल में जापान में एक प्रतियोगिता में 6.76 मीटर और मई में 6.65 मीटर की सर्वश्रेष्ठ कूछ लाने के बाद से वह सर्वश्रेष्ठ नहीं दिखा सकी हैं।
महिलाओं की 3000 मीटर स्टीपलचेस स्पर्धा:
पारुल चौधरी : सत्र के सर्वश्रेष्ठ और राष्ट्रीय रिकॉर्ड समय 9:15.31 से वह एशिया में दूसरे नंबर पर हैं जिससे वह आसानी से पदक जीत सकती हैं। उन्हें सबसे बड़ी चुनौती बहरीन की विन्फ्रेड मुटिले यावी से मिलेगी जो 8:54.29 के समय से स्वर्ण पदक की दावेदार हैं।
महिलाओं की 400 मीटर बाधा दौड़ स्पर्धा:
विथ्या रामराज : वह हाल के 55.43 सेकेंड के प्रयास के साथ इस सत्र में एशिया की दूसरे नंबर की खिलाड़ी हैं। यह समय महान एथलीट पीटी ऊषा के राष्ट्रीय रिकॉर्ड से एक सेकेंड का सौवां हिस्सा कम है। सत्र के सर्वश्रेष्ठ ‘टाइम चार्ट’ में वह एशिया में दूसरे नंबर पर हैं और पदक की दावेदार हैं।
महिलाओं की 4×400 मीटर रिले स्पर्धा :
यह मजबूत टीम नहीं है लेकिन भारत फिर भी इस स्पर्धा में पदक जीत सकता है। भारतीय टीम एशिया में इस स्पर्धा में नंबर एक स्थान पर है। टीम ने जुलाई में श्रीलंका में एक प्रतियोगिता में 3:30.41 सेकेंड का समय निकाला था।
हेप्टाथलॉन स्पर्धा :
स्वप्ना बर्मन : वह पदक की बड़ी दावेदार हैं ओर अपने खिताब का बचाव करेगी।
तीरंदाजी
कम्पाउंड टीम स्पर्धा :
अगस्त में विश्व चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदकों की हैट्रिक के बाद भारतीय कम्पाउंड तीरंदाजी टीम आत्मविश्वास से भरी हुई है। मौजूदा विश्व चैम्पियन ओजस देवताले (पुरुष) और अदिति स्वामी (महिला) की बदौलत भारत टीम और मिश्रित युगल स्पर्धाओं के फाइनल में पहुंचने का प्रबल दावेदार होगा।
महिला कम्पाउंड टीम :
ज्योति सुरेखा वेन्नाम : चार साल से ‘लिम्का बुक’ तैराकी रिकॉर्ड धारक और दुनिया की चौथे नंबर की महिला कम्पाउंड तीरंदाज की मौजूदगी से भारत एशियाड में अपने पहले व्यक्तिगत स्वर्ण पदक का सपना संजाये है। पिछले साल वापसी के बाद से यह 27 साल की खिलाड़ी शानदार प्रदर्शन कर रही है। उन्होंने विश्व कप और विश्व चैम्पियनशिप में छह स्वर्ण, एक रजत और तीन कांस्य पदक जीते हैं।
अदिति स्वामी : महाराष्ट्र के शिक्षक की बेटी अदिति इस साल शानदार प्रदर्शन कर रही हैं। पहली बार जुलाई में युवा (अंडर-18) विश्व खिताब जीतने के एक महीने बाद इस 17 वर्षीय ने सीनियर स्तर पर भी सफलता हासिल की।
पुरुषों की कम्पाउंड स्पर्धा:
अभिषेक वर्मा : एशियाड में एक टीम स्वर्ण और दो रजत पदक जीतने वाला यह 34 वर्षीय तीरंदाज अपने अनुभव की बदौलत पुरुष कम्पाउंड वर्ग में दूसरा टीम स्वर्ण जीतने की कोशिश करेगा।
ओजस देवताले और प्रथमेश जावकर : महाराष्ट्र के दो युवा कम्पाउंड तीरंदाज इस साल शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं। 21 वर्षीय देवताले बर्लिन में विश्व चैम्पियन बने। 20 वर्षीय जावकर शानदार फॉर्म में हैं जिन्होंने दुनिया के नंबर एक माइक श्लोसेर को चार महीने में दो बार हराया है।
पुरुषों की रिकर्व स्पर्धा:
धीरज बोम्मदेवरा : विश्व कप फाइनल में कोरिया के दो बार के ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता किम वू जिन को हराने वाले सेना के जवान धीरज ने रिकर्व में आशा की नयी किरण दी है। वह विश्व कप में पदक से चूक गए। साल के शुरु में उन्होंने अंताल्या चरण में कांस्य पदक जीतकर भारत के व्यक्तिगत विश्व कप पदक का सूखा खत्म किया।
मुक्केबाजी
महिला वर्ग :
निकहत जरीन : तेलंगाना की मुक्केबाज भारत के लिए पदक की प्रबल दावेदार है। पिछले दो वर्ष से निकहत का फ्लाईवेट (51 किग्रा)में शानदार सफर जारी है। दो बार विश्व चैम्पियनशिप जीतने के बाद दो स्ट्रैंड्जा मेमोरियल खिताब और फिर राष्ट्रमंडल खेलों का स्वर्ण पदक जीता। वह एक और स्वर्ण पदक जीतने के लिए बेताब होंगी। एशियाड ओलंपिक क्वालीफायर भी हैं तो वह पोडियम स्थान हासिल करने के लिए उत्साहित होंगी।
लवलीना बोरगोहेन : टोक्यो ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता अब भी 69 किग्रा से बढ़ाये गये वजन की पेचीदगियां सीख कर रही हैं। नये 75 किग्रा में एशियाई और विश्व चैम्पियनशिप जीतने से उनका आत्मविश्वास बढ़ा है। असम की यह मुक्केबाज एशियाड में अगर वह चीन की मुक्केबाजों को संभाल लेती हैं तो वह आसानी से फाइनल में पहुंचकर पदक जीत सकती हैं।
पुरुष वर्ग:
दीपक भोरिया : हिसार के 51 किग्रा में मुक्केबाजी करने वाले दीपक खेल के कुछ महान खिलाड़ियों को हरा चुके हैं। उन्होंने मई में विश्व चैम्पियनशिप में तोक्यो ओलंपिक कांस्य पदक विजेता और पूर्व विश्व चैम्पियन साकेन बिबोसिनोव को हराकर उलटफेर किया। वह पहले एशियाड में अपनी छाप छोड़ना चाहेंगे।
बैडमिंटन
पुरुष एकल
एचएस प्रणय: स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से पार पाने के बाद एचएस प्रणय ने जब कोर्ट पर वापसी की तो उन्होंने पहले से बेहतर प्रदर्शन किया जिसके दम पर पिछले साल दिसंबर में वह विश्व रैंकिंग में शीर्ष 10 में शामिल हो गए। पिछले 12 महीनों में उन्होंने निरंतरता बनाए रखी। उन्होंने मई में मलेशिया मास्टर्स का खिताब जीता और फिर विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक हासिल किया जिसके दम पर वह अपने कैरियर की सर्वश्रेष्ठ छठी रैंकिंग पर पहुंचने में सफल रहे।
पुरुष युगल
सात्विकसाईराज रंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी: सात्विक और चिराग ने इस साल अभी तक बेहतरीन प्रदर्शन किया है। वह एशियाई चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय जोड़ी बनी। पिछले साल उन्होंने इंडियन ओपन सुपर 500 और राष्ट्रमंडल खेलों में खिताब जीता था और फिर बाद में तोक्यो में विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक हासिल किया था।
पुरुष टीम चैंपियनशिप: भारत ने पुरुष टीम स्पर्धाओं में अब तक तीन कांस्य पदक जीते हैं लेकिन एशियाई खेलों में वह थॉमस कप की ऐतिहासिक जीत से बड़े मनोबल के साथ उतरेगा। भारतीय टीम में वही खिलाड़ी शामिल है जिन्होंने थॉमस कप जीता था। इनमें प्रणय, किदांबी श्रीकांत, लक्ष्य सेन तथा सात्विक और चिराग की जोड़ी शामिल है। इन खिलाड़ियों की फॉर्म को देखते हुए भारत स्वर्ण पदक के प्रबल दावेदार के रूप में शुरुआत करेगा।
क्रिकेट
पुरुष और महिला टीम: भारत की पुरुष क्रिकेट टीम रुतुराज गायकवाड़ की अगुवाई में स्वर्ण पदक के प्रबल दावेदार के रूप में उतरेगी क्योंकि टीम में अधिकतर ऐसे खिलाड़ी हैं जो आईपीएल में खेलते रहे हैं। एशियाई खेलों में क्रिकेट टी20 प्रारूप में ही खेला जाएगा।
महिला टीम भी खिताब की प्रबल दावेदार है लेकिन बांग्लादेश के खिलाफ हाल के खराब प्रदर्शन और कप्तान हरमनप्रीत कौर के पहले दो मैचों से बाहर रहने के कारण टीम की योजनाओं को नुकसान पहुंचा है। इसके बावजूद टीम को स्वर्ण पदक का दावेदार माना जा रहा है।
हॉकी
पुरुष: टोक्यो ओलंपिक खेलों की कांस्य पदक विजेता भारतीय पुरुष हॉकी टीम एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक का प्रबल दावेदार है। भारतीय टीम अभी विश्व में तीसरे नंबर पर है तथा उसकी फॉर्म और फिटनेस को देखते हुए अगर हरमनप्रीत सिंह की अगुवाई वाली टीम स्वर्ण पदक जीतने में नाकाम रहती है तो यह उसके लिए करारा झटका होगा।
महिला: पुरुष टीम की तरह है भारतीय महिला हॉकी टीम पदक जीतने की प्रबल दावेदार है। सविता पूनिया की अगुवाई वाली टीम विश्व रैंकिंग में सातवें स्थान पर है लेकिन एशियाई देशों में वह शीर्ष पर काबिज है। भारतीय महिला टीम एशियाई खेलों में केवल एक बार 1982 में स्वर्ण पदक जीत पाई थी। उसके पास इस बार यह कारनामा दोहराने का सुनहरा अवसर है।
निशानेबाजी
रुद्रांक्ष पाटिल (पुरुष 10 मीटर एयर राइफल) : इस 19 वर्षीय खिलाड़ी ने 2022 में काहिरा में विश्व चैंपियनशिप ने जीत दर्ज की थी और पेरिस ओलंपिक के लिए कोटा हासिल किया था। अपने इस प्रदर्शन के कारण हुआ एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक के प्रबल दावेदार बन गए हैं।
मनु भाकर (महिला 25 मीटर पिस्टल): टोक्यो ओलंपिक खेलों में निराशाजनक प्रदर्शन करने वाली मनु भाकर स्वर्ण पदक की प्रबल दावेदार है। वह जकार्ता एशियाई खेलों में भी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई थी जिसकी भरपाई वह हांगझोउ में करना चाहेगी।
स्क्वाश
सौरव घोषाल: भारत के नंबर एक पुरुष खिलाड़ी घोषाल 2014 के एशियाई खेलों में फाइनल में हार गए थे। इस बार भी वह खिताब के दावेदार के रूप में शुरुआत करेंगे। इस भारतीय खिलाड़ी को एकल में दूसरी वरीयता प्राप्त है। उन्हें मलेशिया की इयन यो के अलावा पाकिस्तान, कुवैत और ईरान के खिलाड़ियों से भी कड़ी चुनौती मिलने की संभावना है।
जोशना चिनप्पा: रिकॉर्ड 19 बार की राष्ट्रीय चैंपियन जोशना इस साल चोटों से जूझती रही। इससे वह विश्व रैंकिंग में 71वें वह स्थान पर खिसक गई। इसके बावजूद महिला एकल में वह भारत की तरफ से पदक की प्रबल दावेदार है।
मिश्रित युगल-दीपिका पल्लीकल और हरिंदरपाल संधू: दीपिका और मिश्रित युगल के उनके साथी हरिंदर पाल को तीन महीने पहले हांगझोउ में एशियाई खेलों की परीक्षण प्रतियोगिता में भाग लेने का मौका मिला था जिसमें उन्होंने स्वर्ण पदक जीता था। इस परिणाम के बाद उनसे पदक की उम्मीद बढ़ गई है।
टेबुल टेनिस
पुरुष टीम: भारतीय पुरुष टीम में अपना पांचवें और अंतिम एशियाई खेलों में भाग ले रहे शरत कमल, जी साथियान और हरमीत देसाई शामिल हैं। उन्होंने जकार्ता एशियाई खेलों में क्वार्टर फाइनल में जापान की मजबूत टीम को हराकर ऐतिहासिक कांस्य पदक जीता था। इस बार वह अपने इस प्रदर्शन में सुधार करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
मिश्रित युगल: शरत कमल और मनिका बत्रा ने जकार्ता में मिश्रित युगल का कांस्य पदक जीतकर सभी को हैरान कर दिया था। बत्रा इस साल साथियान के साथ जोड़ी बनाएगी। ये दोनों पेरिस ओलंपिक को ध्यान में रखते हुए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करेंगे।
टेनिस
पुरुष युगल- रोहन बोपन्ना और युकी भांबरी: बोपन्ना 43 साल के हो गए हैं लेकिन अभी बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे हैं। वह हाल में अमेरिकी ओपन के पुरुष युगल के फाइनल में पहुंचे थे। बोपन्ना एशियाई खेलों के पुरुष युगल में अपने खिताब का बचाव करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। पिछली बार उन्होंने दिविज शरण के साथ मिलकर स्वर्ण पदक जीता था। हांगझोउ में उनकी युकी भांबरी के साथ जोड़ी बनाने की संभावना है।
कुश्ती
पुरुष– अमन सहरावत (57 किग्रा): अमन ने पिछले दो वर्षों में अपने खेल में काफी प्रगति की है। उन्होंने पिछले साल अंडर 23 विश्व और एशियाई चैंपियनशिप जीती थी। सीनियर सर्किट पर भी उन्होंने अपनी छाप छोड़ी है। उन्होंने इस साल एशियाई चैंपियनशिप जीती। वह हमवतन और ओलंपिक के पदक विजेता रवि दहिया को कड़ी चुनौती देंगे।
महिला– अंतिम पंघाल (57 किग्रा): अंतिम पंघाल अपने भार वर्ग में पदक की प्रबल दावेदार हैं। उन्होंने एशियाई खेलों और विश्व चैंपियनशिप के ट्रायल्स में शानदार प्रदर्शन किया था। वह जूनियर विश्व चैंपियनशिप में लगातार दो खिताब जीतने वाली देश की पहली महिला पहलवान हैं।
भारोत्तोलन
महिला- मीराबाई चानू: टोक्यो ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता मीराबाई चानू एशियाई खेलों में पदक जीतने के लिए बेताब है। वह अभी तक इन खेलों में पदक नहीं जीत पाई हैं और इसलिए इस बार उन्होंने एशियाई खेलों को अपनी प्राथमिकता में सबसे आगे रखा है। उन्हें चीन की होउ झीहुइ और जियांग हुइहुआ से कड़ी चुनौती मिल सकती है।
कबड्डी
भारतीय कबड्डी टीम भी पदक के दावेदारों में शामिल हैं। भारतीय पुरुष व महिला कबड्डी दोनों टीमों से पदक की पूरी उम्मीद की जा सकती है। हालांकि पिछले एशियाड में बहुत बड़ा उलटफेर हुआ था। भारतीय पुरुष कबड्डी टीम सेमीफाइनल में ईरान से हार गई थी और उसे कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा था। लीग मैच में उसे दक्षिण कोरिया से भी हार का सामना करना पड़ा था। पुरुष वर्ग में पिछले एशियाड में ईरान चैंपियन बना था जबकि दक्षिण कोरिया उपविजेता।
महिला वर्ग में भारतीय महिला कबड्डी टीम को ईरान के खिलाफ फाइनल मुकाबले में 24-27 से मिली हार के कारण रजत पदक से संतोष करना पड़ा था। एशियाई खेलों में ईरान की महिला टीम को पहली बार कबड्डी में स्वर्ण पदक हासिल हुआ है, वहीं भारतीय टीम अपने स्वर्ण पदक की हैट्रिक नहीं लगा पाई।
यह तो है कि प्रो कबड्डी लीग के शुरू होने के बाद विदेशी कबड्डी प्लेयरों का स्तर काफी ऊंचा हुआ है और उससे भारतीय टीम को कड़ी टक्कर मिलने लगी है पर इस बार भारतीय टीम भी पूरे दमखम में है और पिछली हार का बदला चुकता कर चैंपियन बनने का पूरा प्रयास करेगी और पुराना गौरव एक बार फिर से लौटेगा।