रांची, 25 अक्टूबर। क्रिकेट का सपना पूरा नहीं हुआ, लेकिन खेलों के प्रति जुनून ने समरदीप सिंह गिल को एक नई दिशा दी। मध्य प्रदेश की अंडर-16 क्रिकेट टीम में खेलने वाले समरदीप अब पुरुषों की शॉटपुट स्पर्धा में भारत की अगली बड़ी उम्मीद बनकर उभर रहे हैं।
क्रिकेट से शॉटपुट तक का सफर
समरदीप ने स्कूल के दिनों में क्रिकेट खेला और मध्यम गति के गेंदबाज और आक्रामक बल्लेबाज के रूप में अपनी पहचान बनाई। उनके क्रिकेट करियर का एक यादगार पल वह था, जब उन्होंने जिला स्तर पर आखिरी ओवर में तीन छक्के लगाकर अपनी टीम को जीत दिलाई। हालांकि, उनके राज्य स्तर पर चयन नहीं होने से उनका क्रिकेट का सपना अधूरा रह गया।
“क्रिस गेल मेरे पसंदीदा क्रिकेटर हैं क्योंकि मैं भी बड़ा हिटर हूं। मध्य प्रदेश टीम में खेलना चाहता था लेकिन चयन नहीं हुआ। मेरे कुछ साथी अब राज्य की रणजी टीम में हैं,” समरदीप ने कहा।
शॉटपुट ने बदल दी जिंदगी
छह फीट पांच इंच लंबे और लगभग 150 किलोग्राम वजन वाले समरदीप ने बताया कि बचपन में थोड़ा मोटे होने के कारण उन्हें अपने वजन पर काम करना पड़ा। उनके पिता के एक मित्र, जो रेलवे में पूर्व शॉटपुट एथलीट थे, ने उन्हें इस खेल के लिए प्रेरित किया।
“मैं शुरू में सिर्फ कसरत कर रहा था, लेकिन उन्होंने कहा कि शॉटपुट आजमाओ। कुछ समय बाद, मेरे बड़े भाई ने मुझे एक स्थानीय प्रतियोगिता में भेजा, और वहां मैंने 10 या 11 मीटर थ्रो के साथ गोल्ड जीता। यही से मेरी शॉटपुट यात्रा शुरू हुई,” उन्होंने साझा किया।
अंतरराष्ट्रीय अनुभव और प्रशिक्षण
समरदीप ने देश के विभिन्न हिस्सों का दौरा किया है, क्योंकि उनके पिता महेंद्र सिंह गिल भारतीय रेलवे में वरिष्ठ बीआरआई हैं। उनके पिता की पोस्टिंग के कारण उनका परिवार गुजरात, रतलाम और जूनागढ़ में रहा।
2021 में, समरदीप ने भोपाल स्थित ‘मध्य प्रदेश स्टेट एथलेटिक्स एकेडमी ऑफ एक्सीलेंस’ में दाखिला लिया और तब से अपने कोच संदीप सिंह के मार्गदर्शन में प्रशिक्षण ले रहे हैं।
सफलता की ओर कदम
चौबीस साल के समरदीप ने हाल ही में सैफ सीनियर चैंपियनशिप में 19.59 मीटर के मीट रिकॉर्ड के साथ शॉटपुट में स्वर्ण पदक जीता। क्रिकेट की निराशा अब उनके लिए प्रेरणा बन चुकी है और समरदीप का फोकस अब भारत के लिए शॉटपुट में मेडल जीतने पर है।
उनकी कहानी यह बताती है कि कभी-कभी एक अधूरा सपना भी नई सफलताओं की शुरुआत बन सकता है। समरदीप ने क्रिकेट की निराशा को अपनी नई ताकत में बदल कर खेलों के प्रति अपने जुनून को जीवित रखा।