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ए जर्नी ऑफ लोकल पार्क टू इंटरनेशनल कबड्डी

by Khel Dhaba
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संध्या कुमारी
पटना। कबड्डी यों तो पौराणिक और ग्रामीण खेल है। आमतौर पर यह गांव से लेकर शहर में पहले से खेला जाता रहा है पर बिहार के हर गांव व शहर में तकनीकी रूप से कबड्डी के बोल बोलना इस शख्स ने सिखाए। राजधानी के शिवाजी पार्क से कबड्डी की ओर रुख करने वाले बिहार के इस दिग्गज खेल प्रशासक ने बिहार में महिला विश्व कप का सफल आयोजन करा कर एक मिसाल कायम की। इस शख्स का नाम है कुमार विजय सिंह पर लोग इन्हें कुमार विजय के नाम से ही जानते हैं। लोग कबड्डी नरेश भी कहते हैं। तो आइए जानते हैं कुमार विजय और उनके द्वारा कबड्डी के विकास के लिए किये गए कार्यों के बारे में-

पटना जिला के बाढ़ अनुमंडल के कासिमपुरडाढ़ी गांव निवासी कुमार विजय सामाजिक संस्था वीर कुंवर सिंह फाउंडेशन के बैनर तले हर साल स्वतंत्रता सेनानी बाबू वीर कुंवर सिंह विजयोत्सव के अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम और सेमिनार जैसे कार्यक्रम कराया करते थे। इन्हें लगा कि इसे खेल से जोड़ा जाए और शुरू कर दिया कबड्डी का आयोजन। राजधानी के कंकड़बाग स्थित शिवाजी पार्क मैदान पर हर साल स्वतंत्रता सेनानी बाबू वीर कुंवर सिंह विजयोत्सव के अवसर पर ऑल इंडिया कबड्डी का शानदार आयोजन होने लगा। इस टूर्नामेंट में दिग्गज टीमें हिस्सा लेती थी। इस आयोजन के ओपनिंग व क्लोजनिंग सेरेमनी में देश के नामी-गिरामी हस्तियां माधव राव सिंधिया, चेतन चौहान, राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद समेत कईयों ने हिस्सा लिया। इस टूर्नामेंट को कराते-कराते उनका परिचय इस खेल को देशभर में संचालित करने वाली संस्था अमेच्योर कबड्डी फेडरेशन ऑफ इंडिया के पदाधिकारियों से हुआ।

कुमार विजय का पूर्व खेलमंत्री अब्दुल बारी सिद्दिकी से पुराना परिचय था। वे उनसे मिले और कहा कि एक कबड्डी एकेडमी का गठन करना चाहते हैं। अब्दुल बारी सिद्दिकी ने कहा कि कबड्डी एकेडमी को खोलने से पहले कबड्डी का राज्य में वर्चस्व करना जरूरी है। इस वार्ता के दौरान स्व. ए आर खान भी मौजूद थे। स्व. ए आर खान बिहार राज्य कबड्डी संघ से जुड़े हुए थे। उन्होंने भी सिद्दिकी की बात में हामी मिलाई और फिर शुरू हुआ कबड्डी को संपूर्ण बिहार में मार्ग खोलने का प्रयास। इस प्रयास में कुमार विजय को कई लोगों का साथ मिला।

इस समय बिहार में कबड्डी खेल का संचालन जमशेदपुर से होता था जिसके कारण क्रिकेट की तरह बिहार के खिलाड़ियों को नजरअंदाज किया जाता था। कुमार विजय ने इस वर्चस्व को तोड़ा और जमशेदपुर से हेडक्वार्टर खींच कर पटना लाया और बना दिया बिहार राज्य कबड्डी संघ। अब क्या था बिहार में कबड्डी के विकास की गति शनै शनै बढ़ने लगी। इसमें उनका साथ मिला पूर्व खेल मंत्री अब्दुल बारी सिद्दिकी और मुख्यमंत्री के सलाहकार अंजनी कुमार सिंह का।

कुमार विजय ने एक सृदुढ़ टीम तैयार की और हर जिला में कबड्डी की गतिविधियां भी बढ़ने लगी। राज्य में हर आयु वर्ग के राज्यस्तरीय प्रतियोगिता का आयोजन होने लगा। राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के आयोजन से इस खेल को प्रोत्साहन मिला। अबतक राज्य में हर आयु वर्ग की राष्ट्रीय प्रतियोगिता बिहार में हो चुकी है। यह आयोजन राजधानी पटना तक सीमित नहीं रही। दरभंगा से लेकर मुजफ्फरपुर, गया से लेकर पटना सिटी तक इसके भव्य आयोजन हुए। खिलाड़ियों के खेल का स्तर बढ़ने लगा। जिला स्तर पर कोचिंग कैंप के आयोजन किये जाने लगे। वर्ष 2000 के बाद इसके विकास में गति आयी। यहां के खिलाड़ी राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में फाइट देने लगे। खासकर जूनियर और सबजूनियर लेवल पर। अबतक बिहार ने जूनियर व सबजूनियर लेवल पर कई पदक जीते हैं। रेलवे में जब खिलाड़ियों की भर्ती शुरू हुई तो खिलाड़ियों की नौकरी की समस्या दूर हुई और टीम के स्तर में भी सुधार हुआ। आज की तारीख में सीनियर लेवल पर खास कर महिला वर्ग में बिहार की टीम अच्छे पोजिशन में है। झारखंड में हुए नेशनल गेम्स में बिहार की टीम ने झंडा लहराया है। अंतरराष्ट्रीय लेवल पर यहां अपना परजम लहरा चुके हैं।

कुमार विजय अमेच्योर कबड्डी फेडरेशन ऑफ इंडिया के संयुक्त सचिव रह चुके हैं और दो बार टीम के मैनेजर और एक बार टेक्निकल डेलिगेट्स बन कर अंतरराष्ट्रीय आयोजन में हिस्सा ले चुके हैं।

बिहार में जब वर्ष 2012 में पहली महिला विश्व कप कबड्डी चैंपियनशिप का आयोजन हुआ तो लोगों की प्रति कबड्डी के प्रति दीवानगी देखते ही बन रही थी। देखने वालों की लंबी कतार लगी थी। इस आयोजन का भी फायदा बिहार कबड्डी को हुआ। प्रो कबड्डी शुरू होने के बाद यहां की फ्रेंचाइची टीम से बिहार के लोगों का इस खेल के प्रति झुकाब बढ़ा और आज की तारीख में कबड्डी की ट्रेनिंग लेने और उसमें कैरियर बनाने के लिए युवाओं की चाहत बढ़ गई है।

सत्र 2019-20 में बिहार की कबड्डी टीम सबजूनियर कैटेगरी के दोनों वर्गों में तृतीय स्थान, सीनियर कबड्डी के महिला वर्ग में तृतीय स्थान और खेलो इंडिया के दोनों वर्गों में तृतीय स्थान प्राप्त किया है। बिहार एक ऐसा राज्य है जहां कबड्डी के हर कैटेगरी जैसे सर्किल, बीच और नॉरमल कबड्डी की राष्ट्रीय प्रतियोगिता का आयोजन हो चुका है। यह अपने आप में एक रिकॉर्ड है।

कुमार विजय का कबड्डी के प्रति डेडिकेशन इसी से पता चलता है कि राज्य सरकार खेल के लिए कोई भी प्रोजेक्ट तैयार करे तो उसमें कबड्डी को शामिल कराने के लिए पदाधिकारियों से आरजू विनती करते हैं। उनका कहना है कि कबड्डी देश की प्राचीन खेल है। यह हर गांव में खेला जाता है। आज की तारीख में इसकी अपनी अलग पहचान है। आप इसे इग्नोर नहीं कर सकते हैं।

कुमार विजय जेपी आंदोलन के सिपाही रह चुके हैं। उनका राजनीति से गहरा नाता रहा है। एक समय था जब कुमार विजय का कंकड़बाग के अशोक नगर में प्रिंटिग प्रेस चला करता था। इस प्रिंटिग प्रेस में तत्कालीन सारे राजनीति दिग्गज यहां पधारते थे और राजनीति पर लंबी-चौड़ी बहस होती थी। कुल मिला कर यही है कि बिहार में कबड्डी के लिए कुमार विजय हैं और कुमार विजय के लिए कबड्डी से ऊपर कुछ भी नहीं है।

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