पटना। बिहार क्रिकेट एसोसिएशन में खिलाड़ियों को निकालने और फिर इंट्री करने का खेल जारी है पर यह बात समझ से परे है कि जिस खिलाड़ी को एक मैच के लिए बाहर किया फिर उस खिलाड़ी की इंट्री कैसे हो गई। क्या निकालने के समय सेलेक्टर दोषी थे या अब इंट्री करने के समय। ऐसा भी नहीं है कि खिलाड़ी चोटिल था। खिलाड़ी पूरी तरह तरह फिट था और वह खिलाड़ी जिस मैच के लिए निकाला गया था उस मैच के दौरान अपने साथी खिलाड़ियों को दर्शक दीर्घा से हौसला अफजाई कर रहा था।
जी यह मामला है कर्नल सीके नायडू ट्रॉफी अंडर-25 क्रिकेट की बिहार टीम का। बिहार टीम का एक तेज गेंदबाज जिसने अपनी गेंदबाजी से काफी पहचान बना रखी है। इस खिलाड़ी का चयन कर्नल सीके नायडू ट्रॉफी अंडर-25 क्रिकेट टूर्नामेंट के लिए घोषित बिहार टीम के लिए किया गया। दो मैचों तक यह खिलाड़ी बिहार टीम का सदस्य रहा। अच्छा खेला पर तीसरे मैच की टीम से उसे बाहर कर दिया गया। कारण पता नहीं। तीसरे मैच में वह खिलाड़ी मैच स्थल मोइनुल हक स्टेडियम में दिखाई पड़ा और अपने साथी खिलाड़ियों की हौसला अफजाई करता रहा।
मैदान पर ही जूनियर सेलेक्शन चयन समिति के एक सदस्य ने ढ़ाढ़स दिलाया कि अगले सीजन की तैयारी करो। इसके जवाब में बिहार क्रिकेट से जुड़े एक शख्स ने कहा कि अगले सीजन की तैयारी। अगले मैच में इसकी वापसी होगी। अच्छा खिलाड़ी है। उस शख्स की कही बात सही साबित हुई और उस खिलाडी यानी तेज गेंदबाज की पुणे में होने वाले चौथे मैच में वापसी हो गई।
सवाल यह उठता है कि सेलेक्टर ने उस खिलाड़ी को बाहर करने के समय गलती की है कि उसे टीम में शामिल कर। खिलाड़ियों को वेबजह तंग करने या मानसिक प्रताड़ित करने का सिलसिला बिहार क्रिकेट में कब तक चलता रहेगा। सेलेक्टरों के इस रवैये से सवाल उठना लाजिमी है। अगर किसी भी खिलाड़ी को परफॉरमेंस के आधार पर बाहर किया जाता है तो इन पांच-छह दिनों में उसने क्या पहाड़ ढा दिया जो उसे फिर इंट्री की गई। इसका सीधा मतलब है कि खिलाड़ी कुछ भी परफॉरमेंस करे, अगर हमारी मर्जी होगी तो रखेंगे या नहीं मर्जी होगी तो बाहर कर देंगे।
यह बात केवल एक टीम का कहा जाए। कई बार बिहार क्रिकेट में ऐसे वाकए होते रहते हैं। खेलढाबा खिलाड़ी का नाम यहां नहीं दे रहा है। खेलढाबा किसी भी खिलाड़ी की प्रतिभा पर सवाल नहीं उठाता है। उनके तत्कालीन परफॉरमेंस पर सवाल उठ सकते हैं। खेलढाबा सही सिस्टम की बात करता है।