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Thursday, November 21, 2024

सीएम नीतीश कुमार के गृह जिला समेत 17 जिलों में नहीं तैयार हो पाई एक स्कूल फुटबॉल टीम, जानें पूरा हाल

पटना, 22 जुलाई। बिहार सरकार के खेल विभाग और बिहार राज्य खेल प्राधिकरण के संयुक्त तत्वावधान में मुंगेर जिला प्रशासन की मेजबानी में पिछले दिनों राज्यस्तरीय सुब्रतो कप अंडर-17 बालिका व बालक फुटबॉल प्रतियोगिता आयोजित की गई। इस प्रतियोगिता की बालिका वर्ग में सीवान और बालक वर्ग में मधुबनी की टीम ने बाजी मारी। जैसा हम सभी जानते हैं कि सुब्रतो कप इंटरनेशनल फुटबॉल टूर्नामेंट एक प्रतिष्ठित फुटबॉल प्रतियोगिता है और इसकी राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए क्वालिफाई करना बड़ी बात होती है। साथ ही टैलेंट सर्च का भी यह एक बहुत बड़ा माध्यम है। पर हमेशा टैलेंट सर्च और राज्य में खेल आंदोलन की बात करने वाला बिहार सरकार का खेल विभाग और बिहार राज्य खेल प्राधिकरण इस प्रतियोगिता को लेकर कितना सजग रहा है खेलढाबा.कॉम आपको विस्तार से बता रहा है। हकीकत यह है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिला नालंदा में भी बिहार का सरकारी खेल महकमा एक स्कूल फुटबॉल टीम को नहीं खड़ा कर पाया। बाकी की तो बात ही छोड़िए। तो आइए चलिए जानते है इस प्रतियोगिता के बारे में विस्तार से….

टीमों की प्रतिभागिता काफी कम

बिहार में कुल 38 जिले हैं और नियमानुसार इस प्रतियोगिता में सभी जिला टीमों की प्रतिभागिता होनी चाहिए। पर अफसोस की बात यह है कि बालक वर्ग में कुल 17 जिलों की टीमों ने भाग ही नहीं लिया । इस प्रतियोगिता के बालक अंडर-17 वर्ग में कुल 21 जिलों की भागीदारी रही जबकि बालिका वर्ग में मात्र 8 जिलों की टीम ने ही भाग लिया। इन भागीदारों में वे भी टीम शामिल हैं जहां बिहार सरकार का एकलव्य सेंटर चलता है। गौर करने की बात यह है कि लगभग हर जिला में सरकारी एवं निजी विद्यालयों की संख्या कम से कम दो सौ से अधिक होगी। कई जिलों में तो यह संख्या इससे कहीं ज्यादा है। महत्वपूर्ण बात यह है कि सरकारी खेल महकमा इन 17 जिलों में इतने विद्यालयों में से एक स्कूल की फुटबॉल टीम की प्रतिभागिता सुब्रतो मुखर्जी फुटबॉल में नहीं करा पाई और ऐसे में बिहार में खेल आंदोलन की बात कहना कितना जायज़….

तय समय से पहले कैसे खत्म हो गया यह आयोजन

बिहार राज्य खेल प्राधिकरण द्वारा प्रस्तावित खेल कैलेंडर तथा जारी निर्देश के अनुसार मुंगेर में यह आयोजन 15 से 23 जुलाई तक होना था पर खत्म हो गया 19 जुलाई को। आयोजन को जल्द खत्म करने के चक्कर में सुबह में सेमीफाइनल और शाम में फाइनल करा दिया गया। यानी खेल के नियमों से समझौता हो जाए पर अपना खजाना बचा रहे। यानि खेल से खेला…..

खेल कैलेंडर की नियमों की हुई अनदेखी

खेल कैलेंडर के नियमानुसार राज्यस्तरीय प्रतियोगिता के आयोजन के पूर्व सभी जिला को अपने आगमन की सूचना एक सप्ताह पूर्व आयोजन प्रभारी को दूरभाष या ईमेल के माध्यम से देनी होगी। यह काम नहीं हुआ क्योंकि इसी कारण प्रतियोगिता के दौरान रोज ब रोज टाईशीट बदलते रहे। बालक वर्ग में पहले जो टाईशीट बनी उसमें सभी जिलों की प्रतिभागिता दिखाई गयी तथा लीग मुकाबला 22 जुलाई तक होना था । उसके बाद उसी दिन शाम में सेमीफाइनल खेला जाना था और फिर 23 जुलाई को फाइनल।

खेल कैलेंडर के नियम के अनुसार खेल प्राधिकरण का कोई प्रतिनिधि/ संयोजक आयोजन स्थल पर एक दिन पूर्व से मौजूद रहेगा और सभी तैयारी (तकनीकी और आयोजन) को पूर्ण करवायेगा। क्या इस प्रतियोगिता के दौरान खेल प्राधिकरण का कोई प्रतिनिधि / संयोजक वहां मौजूद था! अगर मौजूद था तो यह सब खामियों क्यों और कैसे! क्या इसी तरह से खेल आयोजन होता रहेगा??

सीएम नीतीश कुमार के गृह जिला नालंदा की टीम की भी नहीं हुई भागीदारी

खेलढाबा.कॉम को जानकारी मिली है मुंगेर में राज्यस्तरीय बालक अंडर-17 फुटबॉल प्रतियोगिता के बालक वर्ग में जिन 17 जिलों की टीमों ने हिस्सा नहीं लिया है उसमें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिला नालंदा की टीम भी शामिल है। प्रतिभागिता नहीं करने वाले 17 जिला हैं – सीतामढ़ी, मधेपुरा, अररिया, बक्सर, सीवान, भोजपुर,जमुई, नालंदा, नवादा, सहरसा,शिवहर, शेखपुरा, अरवल, लखीसराय, सारण, किशनगंज, जहानाबाद। ऐसे खेलढाबा.कॉम ने मुंगेर के प्रभारी जिला खेल पदाधिकारी से प्रतिभागी टीम की लिस्ट मांग की। उनका कहना था कि मेरे पास एक काम नहीं है ऑफिस में बात कर लीजिए। कौन से ऑफिस में बात करना है वह यह नहीं बता पाये।

बालिका वर्ग में मात्र 8 टीमों ने लिया हिस्सा

बालिका अंडर-17 में मात्र 8 जिलों की टीमों ने हिस्सा लिया। ये 8 जिला हैं सीवान, दरभंगा, खगड़िया, गोपालगंज, कैमूर, भागलपुर, समस्तीपुर और मेजबान मुंगेर। इन जिलों में वे भी शामिल हैं जहाँ खेल विभाग का एकलव्य फुटबॉल सेंटर संचालित है। गौरतलब है कि बिहार सरकार का एकलव्य सेंटर किसी न किसी स्कूल में चलता है और यहां ट्रेनिंग लेने वाले खिलाड़ी उसी स्कूल में अध्ययनरत होते हैं।

कैसे होती है इस प्रतियोगिता में भागीदारी

इस प्रतियोगिता में कई स्कूलों के बच्चों को मिलाकर बनाई गई टीम नहीं बनाई जाती बल्कि विद्यालय की खुद की टीम जिला स्तरीय प्रतियोगिता में भाग लेती है। जिला प्रतियोगिता की विजेता स्कूल टीम ही राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में उस जिला का प्रतिनिधित्व करती है। उसी प्रकार राज्य की चैंपियन स्कूल ही राष्ट्रीय सुब्रतो मुखर्जी फुटबॉल प्रतियोगिता में राज्य का प्रतिनिधित्व करती है।

अच्छा रहा है इस प्रतियोगिता में बिहार का इतिहास

संयुक्त बिहार में बालक अंडर-17 में संत इंग्नेसियस स्कूल (जो वर्तमान में झारखंड में है) ने कई बार इस ट्रॉफी को अपनी झोली में डाला है। हजारीबाग की टीम ने खिताब जीता है। संयुक्त बिहार में पटना का सर गणेश दत्त पाटलिपुत्र हाईस्कूल, पटना ने इसकी राष्ट्रीय प्रतियोगिता का दो बार खिताब अपने नाम किया है। वर्ष 1973 में सर गणेश दत्त पाटलिपुत्र हाईस्कूल, पटना ने टॉम्बिसाना एच.एस., इंफाल, मणिपुर को 2-0 से हरा कर यह खिताब जीता जबकि वर्ष 1974 में सर जी.डी. पाटलिपुत्र एच.एस., पटना, बिहार की टीम पीकेए इंस्टीट्यूशन, कलकत्ता, पश्चिम बंगाल के साथ संयुक्त रूप से विजेता रहा। पटना हाईस्कूल की टीम तीन बार इसमें राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में चैंपियन होकर दिल्ली का सफर तय किया और वहां सेमीफाइनल तक पहुंचा। मध्यग्राम, पश्चिम बंगाल की टीम से हार गई थी। आर्मी ब्वायज, बिहार की टीम इस प्रतियोगिता में उपविजेता रही है।

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