संतोष कुमार
पटना। आप सबों ने कैप्टन कूल के नाम से मशहूर भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धौनी की जीवनी पर बनी फिल्म ‘एमएस धोनी: अनटॉल्ड स्टोरी’ जरूर देखी होगी। इस फिल्म का वह सीन भी आपको बखूबी याद होगा जिसमें धोनी को अंडर-19 क्रिकेट मैच (बीसीसीआई की कूच बिहार ट्रॉफी टूर्नामेंट) जो बिहार और पंजाब की टीम के बीच था । इस मैच में बिहार की ओर से महेंद्र सिंह धौनी तो पंजाब की ओर युवराज सिंह थे। मगर शायद ही आपको पता होगा कि इस मैच में बिहार टीम की कमान और कैप्टन कूल जिनके अंडर में खेल रहे थे वह शख्स ऑफ स्पिन गेंदबाजी और मध्य क्रम का बल्लेबाजी विकास कुमार थे। क्रिकेटरों के बीच रानू के नाम से मशहूर इस क्रिकेटर की कैरियर को ब्रेक एक चोट ने लगा दी। उसके बाद वे कोचिंग के क्षेत्र में आ गए और इसमें उनका परफॉरमेंस भी शानदार रहा है। तो आइए जानते हैं विकास कुमार उर्फ रानू के बारे में-
पटना में पले-बढ़ें विकास ने अपने क्रिकेट कैरियर की शुरुआत नवीन जमुआर के दिशा-निर्देश में किया पर क्रिकेट की जिस ऊचाईयों पर आज वे हैं उसमें अहम योगदान बिहार के लीजेंड क्रिकेटर सुनील कुमार का है। यह स्वयं विकास कुमार कहते हैं।
विजय नारायण एकादश के ओर से पहली बार पटना क्रिकेट लीग में पदार्पण किया और इसके बाद सचिवालय और वाईएमसीसी क्लबों की ओर से खेला। 1994-95 में बिहार अंडर-16 क्रिकेट टीम में जगह पायी। सत्र 1995-96 में इन्होंने शानदार खेल का प्रदर्शन किया और पांच मैचों में कुल 30 विकेट चटकाये। सत्र 1996-97 से लेकर सत्र 1999-2000 तक बिहार अंडर-19 टीम की ओर बीसीसीआई के टूर्नामेंट में हिस्सा लिया।
जिस मैच की चर्चा धौनी की फिल्म में की गई है वह है कूच बिहार ट्रॉफी का फाइनल मुकाबला। यह सत्र 1999-2000 में खेली गई थी। इस मैच में बिहार की टीम उपविजेता रही थी और कमान विकास कुमार के हाथ में थी। जमशेदपुर के कीनन स्टेडियम में खेले गए इस मैच में पंजाब चैंपियन बना था।
सत्र 1999-2000 में विकास कुमार को ईस्ट जोन क्रिकेट टीम की कमान सौंपी गई। यहां भी महेंद्र सिंह धौनी इनके कैप्टनशिप में महेंद्र सिंह धौनी ने खेला। जूनियर लेवल क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन करने का इनाम विकास कुमार को इसके पहले मिला था। उन्हें सत्र 1997-98 में इंडिया अंडर-19 कैंप में शामिल किया था। सत्र 1998-99 में ही उनका पदार्पण रणजी ट्रॉफी क्रिकेट में हुआ। दो बार उन्होंने पांच विकेट विकेट चटकाये। यह मैच था मध्यप्रदेश और असम के खिलाफ। उन्होंने फस्र्ट क्लास के 11 मैचों में कुल 31 विकेट चटकाये हैं। रणजी ट्रॉफी में बेहतर प्रदर्शन के आधार पर इनका चयन देवधर ट्रॉफी में खेलने वाली ईस्ट जोन टीम में हुआ था पर भाग्य ने दगा दे दिया और वे आगे का सफर जारी नहीं रख गए। उनकी अंगुली में चोट लगी और उनके क्रिकेट कैरियर पर ब्रेक लग गया। उन्होंने दो लिस्ट ए के दो मैच खेले गए हैं दो विकेट चटकाये हैं। बल्लेबाज के रूप में फस्र्ट क्लास में उन्होंने 11 मैचों में 211 रन बनाये हैं।
खिलाड़ी के रूप में कैरियर समाप्त होने के बाद उन्होंने कुछ अंतराल के बाद क्रिकेट कोचिंग की ओर अपना रुख किया और 2011 में लेवल ए कोच की डिग्री ली। इसके बाद उन्हें झारखंड वीमेंस क्रिकेट टीम की कमान सौंपी गई। इसके बाद वे झारखंड अंडर-16 क्रिकेट टीम (बालक) के कोच बने। उन्हें ईस्ट जोन अंडर-19 क्रिकेट टीम के कोच की जिम्मेवारी सौंपी गई। सत्र 2014-15 में मिली इस जिम्मेवारी का विकास कुमार ने पूरा निर्वहन किया और इंटर जोनल क्रिकेट टूर्नामेंट में ईस्ट जोन को चैंपियन बनाया।
खिलाड़ी रहते ही उन्हें रेलवे में नौकरी मिल गई थी। कोचिंग में उनके बढ़ते ग्राफ के बाद रेलवे ने उन्हें अपनी अंडर-19 और रणजी टीम की कमान 2018-19 में सौंपी। सत्र 2019-20 में वे बिहार अंडर-19 और अंडर-23 महिला क्रिकेट टीम के कोच बने। सत्र 2019-20 में बिहार अंडर-19 महिला क्रिकेट टीम का परफॉरमेंस शानदार रहा। वे अपने ग्रुप में दूसरे नंबर पर रही।
उनके साथी क्रिकेटरों का कहना है कि विकास कुमार न केवल बेहतरीन क्रिकेटर व क्रिकेट प्रशिक्षक हैं बल्कि बेहतर इंसान भी हैं। उनमें लीडरशिप करने की अपार गुण हैं।
(लेखक वाईसीसी Sports एकेडमी के हेड कोच हैं)